रोहतास। फर्जी शिक्षकों के मामले में हाई कोर्ट के आदेश धरा रह गया।
इस्तीफा देने वाले शिक्षकों पर निगरानी ने न तो रहम किया न ही माफी दी।
विजिलेंस ने जिन 31 फर्जी शिक्षकों पर फर्जीवाड़ा का मुकदमा दायर किया है
उनमें दो ऐसे शिक्षक के भी नाम शामिल है जिन्होंने नौ जुलाई तक स्वेच्छा से
इस्तीफा दे दिया था और शिक्षा विभाग उसे स्वीकृत भी कर लिया था।
नगर थाना में निगरानी के इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज कराई गई कांड संख्या 817/ 2015 में बसंत उच्च माध्यमिक विद्यालय इटिम्हा करमा के रंजना कुमारी व श्रीनगर उच्च माध्यमिक विद्यालय सुकहारा की आभा कुमारी का भी नाम शामिल है। इन दोनों शिक्षकों ने कोर्ट के आदेश के आलोक में अपना इस्तीफा दिया है। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में नौ जुलाई तक स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले फर्जी शिक्षकों को क्षमादान के तहत उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने की बात कही थी। इस आदेश के आलोक में अब तक जिले में 50 से अधिक शिक्षकों ने इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि इस मुद्दे पर न तो विभाग के अधिकारी हीं कुछ बोलने की स्थिति में हैं न हीं निगरानी के।
कार्रवाई पर उठने लगे सवाल :
निगरानी ने जिन फर्जी शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है, उस पर शिक्षकों ने सवाल खड़ा किया है। शिक्षकों की मानें तो कोर्ट ने 29 जुलाई तक शिक्षकों को स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए एक और मौका दिया है। फिर बीच में प्राथमिकी दर्ज करना कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना जाएगा।
पात्रता परीक्षा पास नहीं और बन गए..
सासाराम। विजिलेंस ने जिन शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है उसमें सिर्फ एसटेट के प्रमाणपत्र पर सवाल उठाया गया है। जांच के दौरान बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इन सभी के सर्टिफिकेट को फर्जी करार दिया है। ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि जब पात्रता परीक्षा पास नहीं हुए तो इन अभ्यर्थियों का नियोजन कैसे हुआ। क्या काउंसलिंग के वक्त इकाई के पदाधिकारी प्रमाण पत्रों का अवलोकन सही से नहीं किया। इतनी संख्या में आखिर फर्जी प्रमाणपत्र आए कहां से, यह यक्ष प्रश्न है।
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नगर थाना में निगरानी के इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज कराई गई कांड संख्या 817/ 2015 में बसंत उच्च माध्यमिक विद्यालय इटिम्हा करमा के रंजना कुमारी व श्रीनगर उच्च माध्यमिक विद्यालय सुकहारा की आभा कुमारी का भी नाम शामिल है। इन दोनों शिक्षकों ने कोर्ट के आदेश के आलोक में अपना इस्तीफा दिया है। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में नौ जुलाई तक स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले फर्जी शिक्षकों को क्षमादान के तहत उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने की बात कही थी। इस आदेश के आलोक में अब तक जिले में 50 से अधिक शिक्षकों ने इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि इस मुद्दे पर न तो विभाग के अधिकारी हीं कुछ बोलने की स्थिति में हैं न हीं निगरानी के।
कार्रवाई पर उठने लगे सवाल :
निगरानी ने जिन फर्जी शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है, उस पर शिक्षकों ने सवाल खड़ा किया है। शिक्षकों की मानें तो कोर्ट ने 29 जुलाई तक शिक्षकों को स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए एक और मौका दिया है। फिर बीच में प्राथमिकी दर्ज करना कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना जाएगा।
पात्रता परीक्षा पास नहीं और बन गए..
सासाराम। विजिलेंस ने जिन शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है उसमें सिर्फ एसटेट के प्रमाणपत्र पर सवाल उठाया गया है। जांच के दौरान बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इन सभी के सर्टिफिकेट को फर्जी करार दिया है। ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि जब पात्रता परीक्षा पास नहीं हुए तो इन अभ्यर्थियों का नियोजन कैसे हुआ। क्या काउंसलिंग के वक्त इकाई के पदाधिकारी प्रमाण पत्रों का अवलोकन सही से नहीं किया। इतनी संख्या में आखिर फर्जी प्रमाणपत्र आए कहां से, यह यक्ष प्रश्न है।
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