शिक्षक अभ्यर्थियों के मुद्दे को लेकर बिहार की सियासत फिर से गरमा गई है। मानसून सत्र के शुरुआत में ही वामदल के नेताओं ने शिक्षक अभ्यर्थियों के समर्थन में जमकर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि सरकार नियाजित शिक्षकों राज्यकर्मी का दर्जा दें। वहीं विधान परिषद में नई शिक्षक नियमावली पर भाजपा और जदयू के नेता आमने-सामने हो गए। इसी बीच जदयू के एमएलसी संजीव सिंह भी उनके समर्थन में उतर गए हैं।
उन्होंने कहा कि मैं बिहार सरकार से अपील करता हूं कि सरकार को इनकी मांगों पर विचार करनी चाहिए। उनकी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। संजीव सिंह ने कहा कि बिहार सरकार ने पहले भी शिक्षकों के हित में कई काम किए हैं और आगे भी करती रहेगी।संसदीय कार्य मंत्री बोले- नीतीश कुमार नई शिक्षक नियमावली की समीक्षा करेंगे
संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद शिक्षक प्रतिनिधियों से बात करेंगे। भाजपा इस मामले पर राजनीति करना चाहती है। उनकी शिक्षक अभ्यर्थियों से कोई हमदर्दी नहीं है, इसलिए आंदोलन की बात कह रही है। इस पर पलटवार करते हुए सम्राट चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री अगर शिक्षक अभ्यर्थियों से बातचीत करना चाहते हैं तो वह उन्हें गिरफ्तार क्यों करवा रहे हैं।
माले विधायकों ने भी किया शिक्षक अभ्यर्थियों का समर्थन
इधर, माले के विधायकों विधानसभा परिसर में प्रदर्शन करने लगे। उनका कहना है कि नई शिक्षक नियमावली में सुधार की आवश्यकता है। नियोजित शिक्षकों बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दें। साथ उनका वेतनमान लागू करें। माले विधायकों का कहना है कि 6 साल से नियोजित शिक्षकों को मानदेश नहीं मिला है ऐसे में वह अपने परिवार को पेट कैसे पालेंगे। वहीं राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने भाजपा पर निशाना साधा। कहा कि शिक्षक अभ्यर्थियों को भड़काया जा रहा है। वह यह जान रहे हैं कि भाजपा वाले ऐसा कर रहे हैं। मैं उनसे अपील करता हूं कि महागठबंधन की सरकार हमेशा शिक्षकों के साथ रही है। आगे की हमेशा रहेगी।