दीनबंधु सिंह, सिवान
बिहार सरकार ने साढ़े तीन लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों पर दरियादिली दिखाते हुए उनके वेतन में 15 फीसदी बढ़ोतरी (Bihar Teachers Salary Hike) का फैसला लिया है। छठ पर्व पर बिहार सरकार के फैसले से शिक्षकों में खुशी की लहर है। शिक्षकों का कहना है कि करीब एक साल से वेतन बढ़ाने की बातें कही जा रही थी। अब ऐसा लग रहा है कि वेतन में बढ़ोतरी हो जाएगी।इस फैसले से नियोजित शिक्षकों को करीब तीन से 5 हजार तक का फायदा होगा। सबसे बड़ी बात की वेतन वृद्धि (7th Pay Commission) का फायदा अप्रैल से लागू होने की बात कही जा रही है। ऐसे में शिक्षकों को कई महीनों का एक साथ एरियर का भी लाभ मिलेगा। शिक्षकों ने इस फैसले पर कहा कि ये छठी मईया की कृपा है।
नियोजित शिक्षक वेतन वृद्धि के लिए सरकार से लड़ते रहे
सरकारी स्कूलों में शिक्षामित्र के रूप में बहाल हुए शिक्षकों ने सरकार से लड़ाई लड़ते हुए अपना वेतनमान निर्धारित कराया। 1500 रुपये की नौकरी से शुरू हुआ सफर आज 34 हजार तक पहुंच चुका है। नियोजित शिक्षक कामाख्या पाठक ने कहा कि साल 2020 में पहले लॉकडाउन से ठीक पहले वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल किया गया था। बाद में सरकार ने वेतन बढ़ोतरी का आश्वासन दिया था।
'समान काम, समान वेतन' की मांग
पिछले कई साल से नियोजित शिक्षक 'समान काम के समान वेतन' की मांग कर रहे हैं। नियोजित शिक्षक नेता आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अभी भी हम सरकार से समान काम के समान वेतन की मांग कर रहे हैं। सरकार की गलत नीतियों की वजह से शिक्षकों में असंतोष और असमानता है। जिसे दूर किया जाना चाहिए। वहीं शिक्षक महेश कुमार पर्वत का कहना है कि अब विद्यालय पूरी तरह नियोजित शिक्षकों से ही संचालित हो रहे हैं। चुनाव से लेकर दूसरे काम में शिक्षकों का उपयोग किया जाता है। फिर वेतन में सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है?
पिछले कई साल से नियोजित शिक्षक 'समान काम के समान वेतन' की मांग कर रहे हैं। नियोजित शिक्षक नेता आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अभी भी हम सरकार से समान काम के समान वेतन की मांग कर रहे हैं। सरकार की गलत नीतियों की वजह से शिक्षकों में असंतोष और असमानता है। जिसे दूर किया जाना चाहिए। वहीं शिक्षक महेश कुमार पर्वत का कहना है कि अब विद्यालय पूरी तरह नियोजित शिक्षकों से ही संचालित हो रहे हैं। चुनाव से लेकर दूसरे काम में शिक्षकों का उपयोग किया जाता है। फिर वेतन में सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है?