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आखिर कौन बड़ा : डीएम या फिर कोई..

रोहतास। जिले के उच्च माध्यमिक विद्यालय तिलौथू में हेडमास्टर के प्रभार को ले दस माह से उत्पन्न गतिरोध को शिक्षा विभाग अब तक दूर नहीं कर सका है। यहां तक विभागीय अधिकारी भी आज तक वरीय अधिकारियों के निर्देश व पत्र पर अमल नहीं कर पाए हैं।
जिस कारण विद्यालय में प्रधान के प्रभार को ले दो शिक्षकों के बीच घमासान मचा हुआ है। इस मामले में डीएम द्वारा बार- बार भेजे जा रहे स्मार पत्र से यह स्पष्ट होने लगा है कि आखिर कौन बड़ा है- डीएम या विभागीय अधिकारी।

उच्च माध्यमिक विद्यालय तिलौथू के मामले ने विभागीय व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। जहां प्रभार को ले बीते दस माह से गतिरोध कायम है। जिसमें डीएम से लेकर आरडीडीई तक ने हस्तक्षेप किया है, बावजूद विभाग गतिरोध को आज तक दूर नहीं कर सका है। निर्देश के बाद भी विभाग अब तक दोषी शिक्षक का न तो वेतन स्थगित कर पाया है, न ही उसपर अनुशासनिक कार्रवाई ही कर सका है। लिहाजा विभाग प्रभार सौंपने संबंधी पत्र निर्गत करने के अलावा और कुछ नहीं कर पाया है। विद्यालय की वरीय महिला शिक्षक आशा तिवारी ने इसके लिए विभागीय अधिकारी को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है। कहा कि बीते माह 25 अगस्त को पटना परिक्षेत्र के आरडीडीई ने डीईओ को पत्र भेज नियोजित शिक्षक मैकू राम से 24 घंटे के अंदर प्रभार वापस लेते हुए उन्हें दिलाने का निर्देश दिया था। साथ ही संबंधित शिक्षक के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के लिए प्राधिकार को अनुशंसा करने की भी बात कही थी। चार दिन पूर्व भी डीएम ने इस संबंध में डीईओ को पत्र भेज पूर्व के निर्देश पर तत्काल अमल कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है, जो डीईओ कार्यालय को प्राप्त हो चुका है। लेकिन पत्र में अंकित बातों को दरकिनार कर डीईओ ने 30 अगस्त को चौथी बार संबंधित शिक्षक को प्रभार वापस देने संबंधी पत्र निर्गत किया, जो पांच सितंबर को बीआरसी तिलौथू को प्राप्त कराया गया। इसके पहले भी विभाग तीन बार प्रभार सौंपने संबंधी पत्र निर्गत कर चुका है। इस संबंध में डीईओ महेंद्र पोद्दार ने कहा कि प्रभार नहीं सौंपने वाले शिक्षक का वेतन स्थगित करने संबंधी कार्रवाई करने का निर्देश डीपीओ स्थापना को दिया गया है। अन्य कार्रवाई करने का अधिकार जिला परिषद माध्यमिक शिक्षक नियोजन इकाई को है। 

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