बक्सर। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को उच्च शिक्षा
प्राप्त करने के लिए के सभी उच्च विद्यालयों को प्लस टू की श्रेणी में
अपग्रेड कर दिया गया। ताकि, छात्रों को शिक्षा पाने के लिए भटकना न पडे।
लेकिन, विडम्बना यह है कि विद्यालय अपग्रेड तो हो गए लेकिन अभी तक प्लस टू स्तर के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी। नतीजतन, शिक्षकों के अभाव में छात्रों की पढ़ाई-लिखाई चौपट हो रही है। इसकी बानगी गुरुवार को दैनिक जागरण द्वारा संचालित प्लस टू विद्यालयों की सुरते हाल का जायजा लेने के दौरान प्रखंड मुख्यालय स्थित फ्लस टू विद्यालय इटाढ़ी में देखने को मिला। जहां विद्यालय का जर्जर भवन और शिक्षकों का घोर अभाव दिखा।
सरकार ने वर्ष-2013 में ही इस विद्यालय को प्लस टू श्रेणी में अपग्रेड करते हुए शिक्षकों के 14 पद स्वीकृत किए। मगर विभाग द्वारा अभी तक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई। स्कूल प्रबंधक ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष प्लस टू में छात्रों का नामंकन किया जाता है। लेकिन, छात्र किसके बूते छात्र उच्च्च शिक्षा प्राप्त करेंगे। इसकी व्यवस्था आज तक नहीं हो सकी है। ऐसी स्थिति में छात्रों को पढ़-लिखकर कुछ कर दिखाने की तमन्ना शिक्षकों के अभाव में दफन हो रही है। जिसके चलते गरीब-तबके के च्च्चे उच्च्च शिक्षा से वंचित रह जाते है। जबकि, सम्पन्न च्च्चे उच्च्च शिक्षा पाने के लिए जिला मुख्यालय के अलावा दूसरे शहरों की और रूख कर लेते हैं। वहीं, हाई स्कूल के च्च्चे का पठन-पाठन मात्र तीन शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। वहीं, जर्जर भवन में शिक्षा पाने के लिए च्च्चे विवश हैं। भवन की बदहाली का आलम यह है कि विद्यालय के हर कमरे में दरार पड़ गए हैं। जो कभी भी किसी बड़ी घटना का गवाह बन सकते हैं। ऐसी स्थिति में च्च्चे जान हथेली पर रख पढ़ाई करने के लिए विवश हैं।
शिक्षक के अभाव में कम्प्यूटर की पढ़ाई बाधित
सरकार द्वारा हाईटेक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के उद्देश्य से हाई स्कूल में कम्प्यूटर की पढ़ाई शुरू की गई। ताकि, गरीब छात्र भी कम्प्यूटर की शिक्षा प्राप्त कर सके। अफसोस शिक्षक के अभाव में वर्ष बीत गए। लेकिन, शिक्षक के अभाव में कम्प्यूटर की पढ़ाई बंद पडा। ऐसी स्थिति में हाईटेक शिक्षा की कल्पना करना बेमानी होगी।
कहते हैं छात्र
जर्जर भवन में जान जोखिम डाल पठन-पाठन के लिए विद्यालय आते हैं। जहां शिक्षकों के अभाव में सभी विषयों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती।
-अर¨वद कुमार
हर विषय की पढ़ाई नहीं होती है। जिसके चलते निजी को¨चग संस्थान से शिक्षा ग्रहण करना पड़ता है। परीक्षा में केवल सख्ती कर शिक्षा की गुणवत्ता को नही सुधारा जा सकता है। पहले इसकी बुनियाद मजबूत करना होगा।
-राजकुमार गुप्ता
हम लोग पढ़ाई के लिए स्कूल आते हैं। लेकिन, यहां हर विषय के शिक्षक नहीं रहने के चलते राम भरोसे पढ़ाई होती है। अगर स्कूल के भरोसे रह गए तो पास होने की कोई गारंटी नहीं रहेगी।
-अमानत अली
समाजशास्त्र, संस्कृत तथा अंग्रेजी के शिक्षक नहीं रहने के चलते पढ़ाई नहीं हो पाती। वहीं, विभाग द्वारा कम्प्यूटर की व्यवस्था की गई है। लेकिन, शिक्षक के अभाव में पढ़ाई बाधित है। नतीजतन, को¨चग संस्थान में शिक्षा ग्रहण करना मजबूरी है।
-विमलेश पाल
कहते हैं प्रधानाध्यपक
शिक्षकों के घोर अभाव के चलते सभी विषयों तथा कम्प्यूटर की पढ़ाई नहीं होती है। वहीं, विद्यालय का भवन जर्जर होने से हादसे को ले आशंका बनी रहती है। जबकि, प्लस टू में अपग्रेड होने के बावजूद आज तक एक भी शिक्षकों की नियुक्ति नहच् होने नामांकित बच्चों की पढ़ाई अधर में है।
-प्रधानाध्यापक, प्रमोद कुमार मिश्र
By
Jagran
लेकिन, विडम्बना यह है कि विद्यालय अपग्रेड तो हो गए लेकिन अभी तक प्लस टू स्तर के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी। नतीजतन, शिक्षकों के अभाव में छात्रों की पढ़ाई-लिखाई चौपट हो रही है। इसकी बानगी गुरुवार को दैनिक जागरण द्वारा संचालित प्लस टू विद्यालयों की सुरते हाल का जायजा लेने के दौरान प्रखंड मुख्यालय स्थित फ्लस टू विद्यालय इटाढ़ी में देखने को मिला। जहां विद्यालय का जर्जर भवन और शिक्षकों का घोर अभाव दिखा।
सरकार ने वर्ष-2013 में ही इस विद्यालय को प्लस टू श्रेणी में अपग्रेड करते हुए शिक्षकों के 14 पद स्वीकृत किए। मगर विभाग द्वारा अभी तक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई। स्कूल प्रबंधक ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष प्लस टू में छात्रों का नामंकन किया जाता है। लेकिन, छात्र किसके बूते छात्र उच्च्च शिक्षा प्राप्त करेंगे। इसकी व्यवस्था आज तक नहीं हो सकी है। ऐसी स्थिति में छात्रों को पढ़-लिखकर कुछ कर दिखाने की तमन्ना शिक्षकों के अभाव में दफन हो रही है। जिसके चलते गरीब-तबके के च्च्चे उच्च्च शिक्षा से वंचित रह जाते है। जबकि, सम्पन्न च्च्चे उच्च्च शिक्षा पाने के लिए जिला मुख्यालय के अलावा दूसरे शहरों की और रूख कर लेते हैं। वहीं, हाई स्कूल के च्च्चे का पठन-पाठन मात्र तीन शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। वहीं, जर्जर भवन में शिक्षा पाने के लिए च्च्चे विवश हैं। भवन की बदहाली का आलम यह है कि विद्यालय के हर कमरे में दरार पड़ गए हैं। जो कभी भी किसी बड़ी घटना का गवाह बन सकते हैं। ऐसी स्थिति में च्च्चे जान हथेली पर रख पढ़ाई करने के लिए विवश हैं।
शिक्षक के अभाव में कम्प्यूटर की पढ़ाई बाधित
सरकार द्वारा हाईटेक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के उद्देश्य से हाई स्कूल में कम्प्यूटर की पढ़ाई शुरू की गई। ताकि, गरीब छात्र भी कम्प्यूटर की शिक्षा प्राप्त कर सके। अफसोस शिक्षक के अभाव में वर्ष बीत गए। लेकिन, शिक्षक के अभाव में कम्प्यूटर की पढ़ाई बंद पडा। ऐसी स्थिति में हाईटेक शिक्षा की कल्पना करना बेमानी होगी।
कहते हैं छात्र
जर्जर भवन में जान जोखिम डाल पठन-पाठन के लिए विद्यालय आते हैं। जहां शिक्षकों के अभाव में सभी विषयों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती।
-अर¨वद कुमार
हर विषय की पढ़ाई नहीं होती है। जिसके चलते निजी को¨चग संस्थान से शिक्षा ग्रहण करना पड़ता है। परीक्षा में केवल सख्ती कर शिक्षा की गुणवत्ता को नही सुधारा जा सकता है। पहले इसकी बुनियाद मजबूत करना होगा।
-राजकुमार गुप्ता
हम लोग पढ़ाई के लिए स्कूल आते हैं। लेकिन, यहां हर विषय के शिक्षक नहीं रहने के चलते राम भरोसे पढ़ाई होती है। अगर स्कूल के भरोसे रह गए तो पास होने की कोई गारंटी नहीं रहेगी।
-अमानत अली
समाजशास्त्र, संस्कृत तथा अंग्रेजी के शिक्षक नहीं रहने के चलते पढ़ाई नहीं हो पाती। वहीं, विभाग द्वारा कम्प्यूटर की व्यवस्था की गई है। लेकिन, शिक्षक के अभाव में पढ़ाई बाधित है। नतीजतन, को¨चग संस्थान में शिक्षा ग्रहण करना मजबूरी है।
-विमलेश पाल
कहते हैं प्रधानाध्यपक
शिक्षकों के घोर अभाव के चलते सभी विषयों तथा कम्प्यूटर की पढ़ाई नहीं होती है। वहीं, विद्यालय का भवन जर्जर होने से हादसे को ले आशंका बनी रहती है। जबकि, प्लस टू में अपग्रेड होने के बावजूद आज तक एक भी शिक्षकों की नियुक्ति नहच् होने नामांकित बच्चों की पढ़ाई अधर में है।
-प्रधानाध्यापक, प्रमोद कुमार मिश्र