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शिक्षक आंदोलन में कल एक नया अध्याय खुलने को तैयार , घोषणा.. और केवल घोषणा.... कोई बंद कमरा वार्ता नहीं...

सम्मानित शिक्षक साथियों,
सादर अभिनंदन..
शिक्षक आंदोलन में कल एक नया अध्याय खुलने को तैयार है, तमाम हाँ, ना के बाद इसे कई संघों का समर्थन भी मिला है...

लेकिन,
- क्या यह आंदोलन प्रभावकारी होगा?
- क्या पूरे प्रदेश में हड़ताल हो पाएगा?
- पूरे प्रदेश में हड़ताल नहीं होने पर सफलता की कितनी उम्मीद है?
- क्या अपने नाक की लड़ाई बनाने वाले संघों को एकजुटता दिखाते हुए एकसाथ नहीं आना चाहिए?
-किस भय या होशियारी के कारण दो प्रमुख संघ अभी भी डरे हुए हैं?
- 24 मार्च को महासंघ की उपस्थिति में निकट सफलता का दावा करने वाले पूरनजी किस इंतज़ार में हैं?
- कहीं बदला तो नहीं चुका रहे कि पप्पूजी उनके कार्यक्रम में नहीं आए, तो वह भी नहीं जाएँगे?
- क्या उन्हें शिक्षक हित के निजी अहंकार का त्याग कर एकजुटता नहीं दिखानी चाहिए?
- किसी संघ के आगे आने पर नंगे पाँव आने का लिखित आश्वासन देने वाले ब्रजवासी जी कहाँ हैं?
- क्या शिक्षक हित से बढ़कर उनके लिए संगठन विस्तार है?
- क्या उन्हें कोई राज़ खुलने का डर सता रहा है?
- क्या वे शिक्षकों को सरकार की तरह केवल आश्वासन की घुट्टी पिलाने में ही सिद्धहस्त हैं?
मित्रों,
न जाने कितने सवाल हैं, आम शिक्षकों के मन में...
लेकिन, इन भाग्यविधाताओं के पास कोई जवाब नहीं है..
हाँ, इनके चाटुकारों के पास दूसरे संघों को गाली देकर अपने मसीहा(?) के चारण गान का समय जरूर है...
ये नेतागण खुद तो एक होते नहीं, लेकिन अपने चापलूसों से आम शिक्षक को कोसवाने और गाली दिलाने का काम जरूर करते हैं..
जैसे...
- कुछ लोग फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर ही रहते हैं, पटना बुलाया जाता है, तो वहाँ तक नहीं आते और घर बैठे पूर्ण वेतनमान चाहते हैं...
- हमारे नेता को कुछ मत कहना, फलाने की नाक टेढ़ी है, आपने कुछ कहा...?
- उसकी दाढ़ी सफेद है, उस पर तो आपने कुछ नहीं बोला..?
- आप केवल हमारे संगठन को ही सुनाते हैं...?
- आप उस संघ के आदमी हैं और उसी के इशारे पर एकता की बात करते हैं..
साथियों, शिक्षक एकता के मार्ग में जो भी बाधक बनेगा, उससे सवाल किए ही जाएँगे...
चाहे वे कोई हों...
पहले भी कहा गया...
आम शिक्षकों ने पूरनजी के साथ आने के लिए अन्य संघों को आग्रह किया था, और जो नहीं आए उनसे सवाल भी किया गया था...
पाठकजी के आंदोलन में भी सबसे विनती की गई, प्रयास किया गया, जो नहीं आए, उनसे प्रश्न किए गए...
आज पप्पूजी अगर आगे आए हैं, तो फिर सबसे अपील की जा रही है, कि आप सब साथ आओ और एक संयुक्त माँग पत्र, जिसमें बस एक ही माँग हो, 'सहायक शिक्षक के रूप में समान काम का समान वेतन, सभी को एक साथ'.. पर सहमति बनाकर संघर्ष को दिशा दें|
कोई कॉमन मीनिमम प्रोग्राम बनाकर अतिरिक्त माँग घुसेड़ने की जरूरत नही, वे सारी माँगे सभी संघ अपने संघ के विशेष आंदोलन में श्रेय लेने किए बाद में रथ सकते हैं..
समान माँग के लिए अभी (अपने-अपने बैनर समेत ही सही) एक साथ आएँ....
और तब तक कोई नहीं हटें, जब तक कि हमारी माँग मानने की घोषणा नहीं की जाती..
जी हाँ, घोषणा.. और केवल घोषणा.... कोई बंद कमरा वार्ता नहीं...
बंद कमरे की वार्ता का बड़ा कड़वा अनुभव है हमारे पास..
और हाँ, केदार जी को गाली देने वाले वे संघ, जो शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ सेल्फी लेकर वापस आने का जवाब आपसे भी माँगा जा सकता है...
इसलिए,
आपस में लड़ना छोड़कर सरकार से शिक्षकों के लिए लड़िए..
और दिखा दीजिए, सरकार को अपना क्षमता...
जो नारा लगाते हैं, उसे सिद्ध करके दिखाइए...
"शिक्षक एकता.. ज़िंदाबाद"
------------ कुछ बुरा लगा हो, तो क्षमायाचना के साथ...
✍ओम @ आम शिक्षक चौपाल

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