पटना : अब गली-मुहल्लों में खुले प्ले स्कूलों पर भी सरकार की नजर
रहेगी. इन स्कूलों पर लगाम कसने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने
गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत अब निजी प्ले स्कूलों को निबंधन कराना होगा.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस
संबंध में दिशा-निर्देश दिया है. इसके तहत प्रत्येक राज्यों में संचालित
आयोग अब गैर सरकारी सभी प्ले स्कूलों पर नजर रखेगी. इस कार्य का जिम्मा सभी
जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया गया है. ताकि जिला अंतर्गत संचालित सभी
प्ले स्कूलों को निबंधन के दायरे में लाया जा सके.
तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों का नहीं होगा नामांकन : समाज कल्याण
विभाग की ओर से प्रत्येक राज्य के समाज कल्याण विभाग को इस संबंध में सूचना
दी गयी है. इसके तहत प्ले ग्रुप, प्ले स्कूल, प्री-स्कूल के नाम पर
संचालित सभी गैर सरकारी प्ले स्कूल अब तीन वर्ष से लेकर छह वर्ष से अधिक
उम्र के बच्चों का नामांकन नहीं ले पायेंगे. अब तीन से छह वर्ष के बच्चों
के अधिकारों के हनन को रोकने के लिए प्ले स्कूलों को सरकार द्वारा जारी
गाइडलाइन के तहत संचालित करना होगा. इसके तहत किसी भी प्ले स्कूल में तीन
वर्ष से कम उम्र के बच्चों का नामांकन नहीं लिया जा सकता है. इसके अलावा
प्रत्येक स्कूल में 20 बच्चों पर एक शिक्षक और केयर गीवर की सुविधा दिया
जाना है. केयर गीवर की जिम्मेवारी बच्चों की साफ-सफाई के साथ उनकी सुरक्षा
की होगी. साथ ही शुल्क पर भी सरकार का नियंत्रण होगा. इसके तहत प्ले
स्कूलों को ये भी तय करना होगा कि वह शुल्क हर माह या प्रत्येक तीन महीने
पर ले. तय शुल्क के अलावा किसी प्रकार का वह शुल्क नहीं ले सकेंगे.
इसके अलावा स्कूल में पैरेंटस शिक्षक एसोसिएशन का भी गठन किया जायेगा.
जिसमें 75 फीसदी अभिभावक होंगे. इनमें माताएं 50 अौर पिता 25 फीसदी
होंगे. वहीं, 25 फीसदी शिक्षक एसोसिएशन के सदस्य होंगे.
अब तक डिसेबल बच्चों के लिए एनजीओ के द्वारा संचालित स्कूलों की
मॉनीटरिंग की जाती है. प्ले स्कूलों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं बनाया गया
था. नये नियम से अब प्राइवेट प्ले स्कूलों पर भी सरकार का नियंत्रण हो
सकेगा.
शशि सुधा, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा निदेशालय, पटना.
इस तरह की बातें चल रही हैं. पर अब तक हमारे पास इस संबंध में कोई
लेटर नहीं आया है. लेटर मिलने के बाद से इस पर काम किया जायेगा. स्कूलों के
तर्ज पर अब प्ले स्कूलों पर भी सरकार का नियंत्रण होगा.
एम दास, डीइओ
ये हैं गाइडलाइन
तीन वर्ष से कम नहीं और छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को नामांकन नहीं लिया जायेगा.
20 बच्चाें पर एक शिक्षक और एक केयर गीवर
बच्चों की उम्र को देखते हुए शौचालय, बेसिन, तौलिया आदि की व्यवस्था
बच्चों को किसी प्रकार की काॅरपोरेल यानी शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना नहीं दे सकते हैं
फीस स्ट्रक्चर भी सरकार द्वारा निर्धारित
बच्चों की मॉनीटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे
पैरेंटस-टीचर एसोसिएशन का गठन