मुंगेर : मानव श्रृंखला निर्माण के लिए राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग
को नोडल विभाग बनाया था और इसके माध्यम से ही पूरी व्यवस्था को नियंत्रित
किया जाना था. लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण पूरी व्यवस्था
तार-तार हो गयी. कहीं तीसरे व चौथे क्लास के बच्चे को ह्यूमेन चेन में
खड़ा कर दिया गया. तो कहीं वाहन के छतों पर बच्चों को ढोया जाता रहा.
बदहाली यह रही है कि सरकार के 10.20 लाख आवंटन के बावजूद 12 किलोमीटर तक
बच्चों को पैदल लाकर श्रृंखला में शामिल किया गया. बावजूद श्रृंखला नहीं बन
पायी.
छोटे बच्चों को शृंखला में किया गया शामिल
सरकार एवं प्रशासन का सख्त निर्देश था कि मानव श्रृंखला में छोटे-छोटे
बच्चों को शामिल नहीं किया जाये़ किंतु विभिन्न विद्यालयों के प्रभारी ने
इन निर्देशों की धज्जियां उड़ा दी. वे अपने शिक्षाधिकारी को खुश करने के
चक्कर में तीसरे व चौथे कक्षा के बच्चों को भी घंटों लाइन में खड़ा कर
दिया. जिसके कारण बच्चों को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ा़
नौवागढ़ी कंतपुर मोड़ से भगतचौकी तक दर्जनों बच्चे ऐसे पाये गये जो कक्षा
तीन व चार के छात्र थे़ प्राथमिक विद्यालय हरदियाबाद के कक्षा तीन की
छात्रा खुशी कुमारी, कक्षा चार का छात्र ज्योतिष कुमार, मध्य विद्यालय
महादेवपुर के कक्षा चार की छात्रा पिंकी कुमारी, कक्षा तीन का छात्र बादल
कुमार, प्राथमिक विद्यालय नाथटोला मनियारचक के कक्षा तीन की छात्रा पूजा
कुमारी, कंचन कुमारी तथा स्वेता कुमारी ने बताया कि उन्हें विद्यालय के
प्रधानाध्यापक ने ही मानव श्रृंखला में शामिल होने को कहा है़ इधर मुंगेर
शहर के कन्या मध्य विद्यालय बेलन बाजार के कक्षा तीन का छात्र आदित्य राज
जहां बेलन बाजार क्वार्टर के सामने सड़क पर कतार में खड़ा था. वहीं उर्दू
मध्य विद्यालय ईदगाह कासिम बाजार का मो. फैयाज, आकिम, रेहान जैसे छोटे-छोटे
बच्चे धूप में परेशान होकर चूआबाग मुख्य सड़क पर लाइन में लगा था जो बच्चे
कक्षा तीन व चार के छात्र हैं. बच्चे परेशान होकर कभी बैठ जाता तो कभी
खड़ा होकर हाथ पकड़ लेता था.