कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की छात्राएं गणित और विज्ञान नहीं पढ़ रही
हैं। इन विषयों के शिक्षक स्कूलों में नहीं हैं। भागलपुर जिले में 16
कस्तूरबा विद्यालय हैं। शिक्षकों के अलावे दूसरे कर्मचारियों की भी स्कूलों
में कमी है।
नवगछिया में पांच कर्मचारी काम करते हैं तो कंझिया में नौ। इसके अलावा विज्ञान और गणित के शिक्षक भी नहीं हैं। सबौर कस्तूरबा विद्यालय में गणित के शिक्षक नहीं हैं तो नवगछिया में विज्ञान की शिक्षक का अभाव है। सबौर में एक साल से लेखापाल भी नहीं है। नवगछिया कस्तूरबा के लेखापाल पंकज कुमार यहां आते हैं। उन्होंने बताया कि कस्तूरबा के कर्मचारियों का वेतन बहुत कम है। वह भी दो महीने से नहीं मिला है।
चहारदीवारी नहीं होने से रहती हैं असुरक्षित
कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियां असुरक्षा के बीच रहती हैं। विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है। शिक्षकों की भी भारी कमी है। कंझिया, नवगछिया और गोराडीह कस्तूरबा विद्यालय में चहारदीवारी नहीं है। सबौर कस्तूरबा विद्यालय परिसर में गेट नहीं लगा है। स्कूलों को मेंटेनेंस और अनुदान मद में हर तीन महीने पर दो लाख 35 हजार रुपए मिलते हैं। लेकिन इस राशि का उपयोग कस्तूरबा विद्यालयों में नहीं दिख रहा है। चहारदीवारी नहीं रहने से बाहरी के विद्यालय में घुस जाने या बच्चियों के भाग जाने का डर रहता है। पिछले दिनों कंझिया कस्तूरबा विद्यालय से एक दिव्यांग स्कूल से बाहर निकल गई थी। जिस पर वार्डन और दूसरे कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई थी।
अधिकारी बोले, रोस्टर दिया है
डीपीओ एसएसए नसीम अहमद ने बताया कि आरडीडीई कार्यालय में नियुक्ति का रोस्टर कई महीने पहले ही दिया गया। लेकिन आरडीडीई के नहीं बैठने से वह जारी नहीं हो रहा है। जहां तक चहारदीवारी का सवाल है वह स्थानीय विवाद के कारण नहीं बन पा रहा है।
नवगछिया में पांच कर्मचारी काम करते हैं तो कंझिया में नौ। इसके अलावा विज्ञान और गणित के शिक्षक भी नहीं हैं। सबौर कस्तूरबा विद्यालय में गणित के शिक्षक नहीं हैं तो नवगछिया में विज्ञान की शिक्षक का अभाव है। सबौर में एक साल से लेखापाल भी नहीं है। नवगछिया कस्तूरबा के लेखापाल पंकज कुमार यहां आते हैं। उन्होंने बताया कि कस्तूरबा के कर्मचारियों का वेतन बहुत कम है। वह भी दो महीने से नहीं मिला है।
चहारदीवारी नहीं होने से रहती हैं असुरक्षित
कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियां असुरक्षा के बीच रहती हैं। विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है। शिक्षकों की भी भारी कमी है। कंझिया, नवगछिया और गोराडीह कस्तूरबा विद्यालय में चहारदीवारी नहीं है। सबौर कस्तूरबा विद्यालय परिसर में गेट नहीं लगा है। स्कूलों को मेंटेनेंस और अनुदान मद में हर तीन महीने पर दो लाख 35 हजार रुपए मिलते हैं। लेकिन इस राशि का उपयोग कस्तूरबा विद्यालयों में नहीं दिख रहा है। चहारदीवारी नहीं रहने से बाहरी के विद्यालय में घुस जाने या बच्चियों के भाग जाने का डर रहता है। पिछले दिनों कंझिया कस्तूरबा विद्यालय से एक दिव्यांग स्कूल से बाहर निकल गई थी। जिस पर वार्डन और दूसरे कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई थी।
अधिकारी बोले, रोस्टर दिया है
डीपीओ एसएसए नसीम अहमद ने बताया कि आरडीडीई कार्यालय में नियुक्ति का रोस्टर कई महीने पहले ही दिया गया। लेकिन आरडीडीई के नहीं बैठने से वह जारी नहीं हो रहा है। जहां तक चहारदीवारी का सवाल है वह स्थानीय विवाद के कारण नहीं बन पा रहा है।