बिहार में नक्सल प्रभावित बेलहर प्रखंड के बघौनिया गांव में सरकारी
नौकरी ने घर-घर दस्तक दे दी है। 400 घर वाले इस गांव में शायद ही कोई ऐसा
घर हो जिसके सदस्य सरकारी नौकरी में न हों। पिछले दो साल के दौरान गांव से
200 युवाओं को नौकरी मिली है। पहले से भी विभिन्न क्षेत्रों में गांव के
लोग बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे हैं।
गांव में पहले से कई लोग सेना, सीमा सुरक्षा बल
(बीएसएफ) व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) में नौकरी कर रहे हैं। बिहार पुलिस को जोड़ कर इस गांव में करीब 150 लोग केवल सुरक्षा सेवा में हैं। दूसरी नौकरी रेलवे की है।
अब तक स्टेशन प्रबंधक, गुड्स गार्ड, टीसी से लेकर गैंगमैन तक के पद पर गांव के लगभग 100 लोग काम कर रहे हैं। गांव में न्यायिक अधिकारी भी हैं। बीच के समय में दर्जनों शिक्षक भी बने। नतीजा पूर्व में समाजवादी आंदोलन के नेता सह विधायक चतुर्भुज मंडल के नाम से जाना जाने वाला गांव अब "नौकरी वाला" गांव कहा जाने लगा है।
गांव के रजनीश, सावंत, संजीव और विजय ने बताया कि गांव में युवाओं को त्योहार से अधिक वेकेंसी व रिजल्ट का इंतजार रहता है। लगभग हर बहाली में गांव से कुछ युवाओं का चयन होता है। दूसरी ओर दौड़ में अब लड़कियां भी शामिल होने लगी हैं।
यहां से सविता का चयन बिहार पुलिस में हुआ। दो लड़कियां इस बार राष्ट्रीय वालीबॉल खेल कर आई हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि आने वाले समय में उनकी लड़कियां भी सरकारी नौकरी और खेलकूद में लड़कों को चुनौती देने लगेंगी।
गांव में पहले से कई लोग सेना, सीमा सुरक्षा बल
(बीएसएफ) व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) में नौकरी कर रहे हैं। बिहार पुलिस को जोड़ कर इस गांव में करीब 150 लोग केवल सुरक्षा सेवा में हैं। दूसरी नौकरी रेलवे की है।
अब तक स्टेशन प्रबंधक, गुड्स गार्ड, टीसी से लेकर गैंगमैन तक के पद पर गांव के लगभग 100 लोग काम कर रहे हैं। गांव में न्यायिक अधिकारी भी हैं। बीच के समय में दर्जनों शिक्षक भी बने। नतीजा पूर्व में समाजवादी आंदोलन के नेता सह विधायक चतुर्भुज मंडल के नाम से जाना जाने वाला गांव अब "नौकरी वाला" गांव कहा जाने लगा है।
गांव के रजनीश, सावंत, संजीव और विजय ने बताया कि गांव में युवाओं को त्योहार से अधिक वेकेंसी व रिजल्ट का इंतजार रहता है। लगभग हर बहाली में गांव से कुछ युवाओं का चयन होता है। दूसरी ओर दौड़ में अब लड़कियां भी शामिल होने लगी हैं।
यहां से सविता का चयन बिहार पुलिस में हुआ। दो लड़कियां इस बार राष्ट्रीय वालीबॉल खेल कर आई हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि आने वाले समय में उनकी लड़कियां भी सरकारी नौकरी और खेलकूद में लड़कों को चुनौती देने लगेंगी।