जमुई। भ्रष्टाचार और उस पर लगाम लगाने की कवायद राज्य व केन्द्र सरकार
द्वारा लंबे अर्से से की जा रही है। वर्ष 2016 में बिहार के निगरानी विभाग
द्वारा 100 लोगों को रंगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी
बिहार के विभिन्न जिलों में हुई है। इन गिरफ्तारियों में जमुई जिले के भी
आधा दर्जन पदाधिकारी रिश्वत लेते रंगे हाथ ट्रैप किए गए हैं।
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2006 के जनवरी से लेकर अब तक निगरानी विभाग ने 720 लोगों को ट्रैप कर उन पर केस दर्ज कर रखा है। जमुई में 12 वर्ष पूर्व सोनो थाना के तात्कालिक सीओ विभूति रंजन चौधरी को निगरानी टीम ने ट्रैप किया था। यह ट्रैपिंग निगरानी द्वारा जमुई में पहली ट्रैपिंग थी। इसके ठीक बाद जमुई थाना के दरोगा अभिमन्यू शर्मा को बोधवन तालाब के समीप से रिश्वत लेते ट्रैप किया गया था। जिसका मामला आज भी निगरानी के समक्ष चल रहा है। वर्ष 2011 में गिद्धौर बिजली विभाग के जेई दिलीप कुमार को भी रिश्वत लेने के दौरान निगरानी द्वारा ट्रैप किया गया था। इन ट्रैपिंग के बाद भी भ्रष्टाचार का सिलसिला जमुई जिले में नहीं थमा और 2016 में निगरानी द्वारा अब तक तीन ट्रैपिंग की जा चुकी हैं। 2016 के जून माह में मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी राम कुमार को निगरानी विभाग ने 36 हजार रुपये के साथ रंगे हाथ ट्रैप किया था। यह ट्रैपिंग उनके जमुई स्थित आवास से हुई थी। उक्त ट्रैपिंग के ठीक एक पखवारे बाद जमुई प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मजहर आलम को निगरानी ने बोधवन तालाब स्थित उनके आवास से घूस की राशि के साथ ट्रैप किया था। जिसके बाद 16 दिसम्बर को सिकन्दरा के सीओ को निगरानी विभाग ने 12 हजार रुपये घूस लेते ट्रैप किया। यह ट्रैप निगरानी विभाग की इस वर्ष की 99वीं ट्रैपिंग थी जो अब शतक पूरा कर चुकी है। निगरानी द्वारा समय-समय पर जमुई जिले सहित अन्य जिलों में की जा रही ट्रैपिंग के बावजूद भ्रष्टाचार का सिलसिला थम नहीं पाया है। आंकड़ों पर गौर करें तो जहां एक ओर 2006 से लेकर 2016 तक निगरानी विभाग ने 720 मामलों में धावा बोलकर ट्रैप किया है। वहीं बीते चार वर्षो में निगरानी विभाग की सक्रियता में काफी तेजी आई है और 330 लोगों को घूस लेते रंगे हाथ ट्रैप किया गया है।
राज्य भर के ट्रैपिंग का आंकड़ा
वर्ष ट्रैप की संख्या
2012 48
2013 56
2014 73
2015 53
2016 100
------------
कुल 330
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2006 के जनवरी से लेकर अब तक निगरानी विभाग ने 720 लोगों को ट्रैप कर उन पर केस दर्ज कर रखा है। जमुई में 12 वर्ष पूर्व सोनो थाना के तात्कालिक सीओ विभूति रंजन चौधरी को निगरानी टीम ने ट्रैप किया था। यह ट्रैपिंग निगरानी द्वारा जमुई में पहली ट्रैपिंग थी। इसके ठीक बाद जमुई थाना के दरोगा अभिमन्यू शर्मा को बोधवन तालाब के समीप से रिश्वत लेते ट्रैप किया गया था। जिसका मामला आज भी निगरानी के समक्ष चल रहा है। वर्ष 2011 में गिद्धौर बिजली विभाग के जेई दिलीप कुमार को भी रिश्वत लेने के दौरान निगरानी द्वारा ट्रैप किया गया था। इन ट्रैपिंग के बाद भी भ्रष्टाचार का सिलसिला जमुई जिले में नहीं थमा और 2016 में निगरानी द्वारा अब तक तीन ट्रैपिंग की जा चुकी हैं। 2016 के जून माह में मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी राम कुमार को निगरानी विभाग ने 36 हजार रुपये के साथ रंगे हाथ ट्रैप किया था। यह ट्रैपिंग उनके जमुई स्थित आवास से हुई थी। उक्त ट्रैपिंग के ठीक एक पखवारे बाद जमुई प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मजहर आलम को निगरानी ने बोधवन तालाब स्थित उनके आवास से घूस की राशि के साथ ट्रैप किया था। जिसके बाद 16 दिसम्बर को सिकन्दरा के सीओ को निगरानी विभाग ने 12 हजार रुपये घूस लेते ट्रैप किया। यह ट्रैप निगरानी विभाग की इस वर्ष की 99वीं ट्रैपिंग थी जो अब शतक पूरा कर चुकी है। निगरानी द्वारा समय-समय पर जमुई जिले सहित अन्य जिलों में की जा रही ट्रैपिंग के बावजूद भ्रष्टाचार का सिलसिला थम नहीं पाया है। आंकड़ों पर गौर करें तो जहां एक ओर 2006 से लेकर 2016 तक निगरानी विभाग ने 720 मामलों में धावा बोलकर ट्रैप किया है। वहीं बीते चार वर्षो में निगरानी विभाग की सक्रियता में काफी तेजी आई है और 330 लोगों को घूस लेते रंगे हाथ ट्रैप किया गया है।
राज्य भर के ट्रैपिंग का आंकड़ा
वर्ष ट्रैप की संख्या
2012 48
2013 56
2014 73
2015 53
2016 100
------------
कुल 330