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छात्रवृत्ति घोटाला : बीइओ व प्रधानाध्यापक पर प्राथमिकी

छात्रवृत्ति घोटाला . नामांकन 1612 का और 5568 छात्रों के नाम पर निकाल ली राशि
छात्रवृत्ति घोटाले में कुर्साकांटा प्रखंड में प्रथम स्तर की जांच में आठ विद्यालयों द्वारा अब तक 25 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया है. इस संबंध में तत्कालीन बीइओ व प्रधानाध्यापक समेत 15 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
 अररिया : छात्रवृत्ति योजना के 22 लाख 12 हजार रुपये के गबन के आरोप में कुर्साकांटा प्रखंड के तत्कालीन बीइओ, आठ प्रधानाध्यापकों व तीन बीआरपी समेत पंद्रह लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. यह प्राथमिकी कल्याण पदाधिकारी अररिया द्वारा कुर्साकांटा थाना में अपने कार्यालय पत्रांक 829 दिनांक 18 सितंबर जारी कर रविवार की देर शाम दर्ज करायी गयी है. ज्ञात हो कि विगत एक सप्ताह से जिला पदाधिकारी द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 में छात्रवृत्ति योजना मद में दो हजार विद्यालयों में भेजे गये छात्रवृत्ति राशि की जांच की प्रक्रिया में अनियमितता बरते जाने के बाद दर्ज करायी गयी है.
 
प्रथम स्तर की जांच के बाद कुर्साकांटा प्रखंड के आठ विद्यालयों द्वारा लगभग 25 लाख रुपये का गबन किये जाने का मामला सामने आया है. गबन किये जाने को लेकर जिला कल्याण पदाधिकारी के आवेदन के आधार पर 15 लोगों के विरुद्ध कांड संख्या 154/16 दर्ज कराया गया है. सबसे दिलचस्प पहलू तो यह है कि दर्ज कराये गये मामले के आरोपी राजीव ठाकुर उर्फ गोपाल ठाकुर का न तो कल्याण विभाग से और न ही शिक्षा विभाग से कोई ताल्लुकात है. इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि लंबे समय से कल्याण विभाग में बिचौलियों की चांदी कट रही है. 
 
किसे-किसे किया गया है नामजद
 
जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में शिक्षक, कार्यालय कर्मी, बीइओ, बिचौलिया को नामजद किया गया है. अररिया प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी विजय कुमार सिंह, कल्याण विभाग के लिपिक चंद्रमोहन झा, कंप्यूटर ऑपरेटर मंतोस कुमार, बिचौलिया राजीव ठाकुर उर्फ गोपाल ठाकुर, प्रखंड साधन सेवी विजेंद्र मंडल, अरविंद कुमार राम, कलानंद कामत समेत आठ विद्यालयों के प्रधानाध्यापक शामिल हैं.
 
दिये गये आवेदन में कल्याण पदाधिकारी ने कहा है कि विद्यालय द्वारा अपने चेहेते के निजी खाते में छात्रवृत्ति की राशि का स्थानांतरण कराकर सरकारी राशि का दुरुपयोग व बंदरबाट करने का काम किया गया है. साथ ही इस पूरी प्रक्रिया में तत्कालीन बीइओ व उनके कार्यालय कर्मी व संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की मिली भगत प्रमाणित होती है.
 

जांच में हो रहे चौंकाने वाले खुलासे
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