शिक्षा विभाग का निर्देश. सरकारी स्कूलों के शिक्षक से नहीं लिया जाये अन्यत्र कार्य
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जिले में िशक्षकों के प्रतिनियोजन का खेल लगातार जारी है. जबकि
सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश है िक िशक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं हो. इसके
बावजूद आरटीइ एक्ट का भी िजले में लगातार उल्लंघन हो रहा है. िमलीभगत से
िशक्षक अपना प्रतिनियोजन करा ले रहे हैं.
पूर्णिया : सर्वोच्च न्यायालय का सख्त आदेश के बावजूद व शिक्षा का
अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीइ एक्ट) का उल्लंघन कि जिले में शिक्षकों के
प्रतिनियोजन का खेल लगातार जारी है. हालांकि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग
ने अब इस दिशा में सख्त निर्देश जारी कर दिया है.
22 सितंबर को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने सभी जिलों
के जिला शिक्षा पदाधिकारी को इस बाबत पत्र भेजा है. इसमें सरकारी
विद्यालयों के शिक्षक से अन्यत्र कार्य नहीं लेने व सभी प्रतिनियुक्ति को
तत्काल रद्द करने का निर्देश दिया गया है. पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया
है कि इस आदेश के बावजूद अगर प्रतिनियोजन रद्द नहीं हुआ तो शिक्षा विभाग
ऐसे शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं करेगा.
डीइओ व बीइओ करेंगे मासिक समीक्षा :
प्रधान सचिव ने प्रतिनियोजन के बाबत सभी डीइओ व बीइओ को मासिक समीक्षा
का निर्देश दिया है. साथ ही आशय की रिपोर्ट जिला पदाधिकारी को भी प्रति
माह समर्पित करने को कहा गया है. अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए
भी कहा गया है कि उनके क्षेत्र अंतर्गत किसी भी शिक्षक की प्रतिनियुक्ति
किसी भी पदाधिकारी के आदेश से नहीं की गयी है.
साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि शिक्षक की
प्रतिनियुक्ति किसी भी स्तर से नहीं की जाये. प्रधान सचिव के अनुसार
प्रतिनियोजन का मामला सामने आया तो इसकी व्यक्तिगत जिम्मेवारी जिला शिक्षा
पदाधिकारी व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की होगी. इसके अलावा अधिकारियों को यह
भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि दस वर्षीय जनगणना, आपदा
सहायता व चुनाव कार्य को छोड़ कर अन्य किसी गैर शैक्षणिक कार्य में
शिक्षकों को नहीं लगाया जाये.
प्रधान सचिव ने इस आदेश को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया
है. आदेश की प्रति सभी आरडीडीइ तथा प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशक को
भी भेजी गयी है. उक्त सभी अधिकारियों को भी नियमित रूप से अपने स्तर से
आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है.मतदाता सूची संबंधी कार्य का
शैक्षणिक गतिविधि पर न पड़े प्रभाव
जारी पत्र में प्रधान सचिव आरके महाजन ने आरटीइ एक्ट 2009 का हवाला
देते हुए कहा है कि यह अप्रैल 2010 से प्रभावी है. जिसकी धारा 27 के तहत दस
वर्षीय जनगणना, आपदा सहायता तथा विधानमंडल, संसद अथवा स्थानीय निकाय के
चुनाव को छोड़ अन्य किसी गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षक प्रतिनियुक्त
नहीं किये जायेंगे. उन्होंने कहा है इस बाबत भारत सरकार से भी पत्र प्राप्त
हुआ है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि चुनाव संबंधी कार्य यथा प्रशिक्षण,
चुनाव सामग्रियों की प्राप्ति,
मतदान एवं मतगणना से संबंधित कार्य शिक्षण के लिए निर्धारित कार्य
दिवसों अथवा समयावधियों में किये जा सकते हैं, लेकिन मतदाता सूची के
निर्माण अथवा पुनरीक्षण का कार्य गैर शैक्षणिक कार्य दिवस, अवकाश व छुट्टी
के दिन में ही कराया जाये. मतलब यह कि मतदाता सूची से संबंधित किसी भी
कार्य का प्रभाव शिक्षक के शैक्षणिक गतिविधियों पर न पड़े.
जो करेगा प्रतिनियुक्ति, भुगतान की जिम्मेवारी भी उसकी
प्रधान सचिव श्री महाजन द्वारा प्रतिनियोजन पर रोक के बाबत 05 दिसंबर
2014 को भी सख्त निर्देश जारी किया गया था. सभी अधिकारियों को शिक्षकों का
प्रतिनियोजन समाप्त कर मूल विद्यालय में योगदान कराने का निर्देश दिया गया
था और आगे भी प्रतिनियोजन नहीं करने को कहा गया था. लेकिन प्रतिनियुक्ति का
खेल इसके बावजूद बदस्तूर जारी रहा. प्रधान सचिव ने इस पर खेद जताया है.
साथ ही कहा है कि विभाग की पूर्वानुमति के बिना किसी भी प्रकार की
प्रतिनियुक्ति वर्जित रहेगी.
प्रधान सचिव के अनुसार भविष्य में भी अगर किसी शिक्षक के
प्रतिनियुक्ति की पुष्टि हुई तो प्रतिनियुक्ति अवधि का भुगतान शिक्षा विभाग
की ओर से नहीं किया जायेगा. संबंधित शिक्षक के भुगतान की व्यक्तिगत
जिम्मेवारी प्रतिनियुक्त करने वाले अधिकारी की होगी.
खास बातें
प्रतिनियुक्ति के जारी खेल पर प्रधान सचिव ने जताया खेद
प्रतिनियुक्ति रद्द करने के लिए जारी किया सख्त आदेश
आरटीइ एक्ट का दिया हवाला
कहा, अनुपालन सुनिश्चित करायें अधिकारी
प्रतिनियुक्ति करने वाले अधिकारी होंगे प्रतिनियुक्त शिक्षक के भुगतान के लिए जिम्मेवार
डीइओ व बीइओ मासिक समीक्षा कर सुनिश्चित करेंगे आदेश का अनुपालन
प्रतिमाह िजलािधकारी को भी भेजी जायेगी आशय की रिपोर्ट