पटना :
बिहार बोर्ड के टॉपर्स घोटाले में सुर्खियों में आये वैशाली जिले में एक
और घोटाला सामने आया है. ताजा मामला वैशाली में कार्यपालक सहायक पद पर
नियोजन का. इसमें जिन लोगों को लिखित परीक्षा में शून्य अंक प्राप्त हुआ,
उनका नियोजन कर लिया गया है.
चौंकानेवाली बात यह है कि एक-दो नहीं,
बल्कि 31 लोगों का नियोजन किया गया है. यह नियोजन डीएम की अध्यक्षता में
बनी चयन समिति ने किया है, इसलिए उसकी नीयत पर सवाल खड़े हो गये हैं. मामला
पटना में मिशन निदेशक, बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन साेसाइटी के पास
पहुंचा है. इसकी शिकायत सोंधो रत्ति के रहनेवाले प्रिंस कुमार ने की है.
उन्होंने पूरी नियाेजन प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है.
पांच साल से उठा रहे हैं वेतन
दरअसल, वर्ष 2011 में बिहार प्रशासनिक
सुधार मिशन साेसाइटी की तरफ से वैशाली जिले में विज्ञापन निकाला गया था.
इसके तहत कार्यपालक सहायक का नियोजन किया जाना था. इसके लिए वैशाली के
तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने चयन समिति का गठन किया था. चयन के लिए तत्कालीन
आइटी प्रबंधक, वैशाली ने परीक्षा में 105 शब्द अंगरेजी टंकण (5 अंक), 103
शब्द हिंदी टंकण (5 अंक) और 10 अंकों का साक्षत्कार निर्धारित किया था.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चयन समिति ने उनलोगो को चयन किया, जो परीक्षा में
शून्य अंक प्राप्त किया था. इतना ही नहीं पिछले पांच साल से गलत ढंग से
चयनित लोग मानदेय उठा रहे हैं और प्रशासन खामोश है.
मेरिट लिस्ट और नियोजन पैनल सूची से हुआ खुलासा
नियोजन में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा
फाइनल मेरिट लिस्ट और नियोजन पैनल से हुई है. इसमें साफ है कि टोटल
प्राप्तांक में शून्य अंक प्राप्त करने वाले सदानंद पंडित (vai00112) का
चयन किया गया है. वहीं, टंकण परीक्षा में न्यूनतम अंक नहीं प्राप्त
करनेवाले राकेश कुमार सौरभ (vai00085) का चयन हुआ है. इसके अलावा 29 लोग
ऐसे हैं, जिनका परीक्षा के निर्धारित मानक को पूरा नहीं करने के बावजूद चयन
हो गया है.
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