गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ दायर होगा चार्जशीट
जांच के घेरे में आए शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर, कई सबूत मिले
टॉपर घोटाले की जांच में लगी एसआईटी के राडार पर अब शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर केएन पासवान भी गए हैं। कॉलेजों को मान्यता देने में हुई गड़बड़ी में उनके खिलाफ कई सबूत मिले हैं।
सूत्रों के मुताबिक एफिलिएशन में हुई धांधली के फाइल पर तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर के रूप में केएन पासवान के सिग्नेचर मिले हैं। कॉलेजों को एफिलिएशन देने को गठित चार सदस्यीय बोर्ड में वे भी शामिल थे। इस सिलसिले में मंगलवार को एसआईटी प्रमुख मनु महाराज ने कहा कि डिप्टी डायरेक्टर से पूछताछ की जाएगी। इससे पहले पिछले सप्ताह एफिलिएशन में हुई धांधली को लेकर बोर्ड के पूर्व सचिव श्रीनिवास को एसआईटी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
पूछताछमें फफकने लगे दरभंगा के नगर आयुक्त : लालकेश्वरप्रसाद सिंह के पीए रहे मुंगेर के शिक्षक अनिल कुमार को एनओसी देने के मामले में एसआईटी के सवालों की बौछार के बीच दरभंगा के नगर आयुक्त नागेंद्र कुमार सिंह फफकने लगे। खुद के बेगुनाह होने की बात कहते हुए आला अफसरों के सामने वे भावुक हो गए। मुंगेर जिले में डीडीसी रहे नागेंद्र से शिक्षक को एनओसी देने के बारे में पूछताछ के लिए एसआईटी ने बुलाया था। पूछताछ के बाद एसआईटी ने उन्हें क्लीन चीट दे दी।
...10 वर्षों की सजा
अदालतमें आरोप साबित होने पर दोषियों को 10 वर्षों या उससे अधिक की जेल की सजा मिल सकती है। कानूनी मामलों के जानकारों के मुताबिक पीसी एक्ट या जालसाजी में 7 से 10 वर्षों की सजा जुर्माने का प्रावधान है। वैसे आरोप या कानूनी धाराएं भले ही अलग हों पर सजा एक साथ चलेगी यानी अधिकतम सजा ही भुगतनी होगी।
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पूछताछमें फफकने लगे दरभंगा के नगर आयुक्त : लालकेश्वरप्रसाद सिंह के पीए रहे मुंगेर के शिक्षक अनिल कुमार को एनओसी देने के मामले में एसआईटी के सवालों की बौछार के बीच दरभंगा के नगर आयुक्त नागेंद्र कुमार सिंह फफकने लगे। खुद के बेगुनाह होने की बात कहते हुए आला अफसरों के सामने वे भावुक हो गए। मुंगेर जिले में डीडीसी रहे नागेंद्र से शिक्षक को एनओसी देने के बारे में पूछताछ के लिए एसआईटी ने बुलाया था। पूछताछ के बाद एसआईटी ने उन्हें क्लीन चीट दे दी।
...10 वर्षों की सजा
अदालतमें आरोप साबित होने पर दोषियों को 10 वर्षों या उससे अधिक की जेल की सजा मिल सकती है। कानूनी मामलों के जानकारों के मुताबिक पीसी एक्ट या जालसाजी में 7 से 10 वर्षों की सजा जुर्माने का प्रावधान है। वैसे आरोप या कानूनी धाराएं भले ही अलग हों पर सजा एक साथ चलेगी यानी अधिकतम सजा ही भुगतनी होगी।
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