एसटीइटी में फेल को पास करने का खेल : बिहार बोर्ड में अभी कई घोटालों का राज खुलना बाकी है. बोर्ड के
सूत्रों को कहना है पैसे लेकर एसटीइटी के करीब पांच हजार फेल अभ्यर्थियों
को पास किया गया है़
पटना : इंटर रिजल्ट घोटाले के अलावा बिहार बोर्ड में टीइटी और एसटीइटी
सर्टिफिकेट को लेकर भी काफी धांधली हुई है. जो अभ्यर्थी टीइटी और एसटीइटी
में फेल कर गये थे, उनसे पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद पैसे लेकर पास
करवाने का काम करते थे. बोर्ड के कर्मचारियों ने बताया कि ऐसे लगभग पांच
हजार अभ्यर्थी समय-समय पर बोर्ड कार्यालय आकर लालकेश्वर से बात करते थे.
फेल अभ्यर्थियों को पास करवाने के लिए पैसा फिक्स था. इतना ही नहीं,
पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा ने तो कई अभ्यर्थियों को हाथ से लिखा हुआ
सर्टिफिकेट तक निर्गत कर दिया था. हाल में पूर्वी चंपारण के ढाका प्रखंड के
एक विद्यालय में प्रतिमा नाम की अभ्यर्थी को पकड़ा गया. इस अभ्यर्थी को
टीइटी में सिर्फ 18 फीसदी अंक थे, लेकिन पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा ने इसे 88
फीसदी अंक का रिजल्ट दे दिया था. जब यह स्कूल गयी, तो जांच होने के बाद
पता चला कि यह फर्जी सर्टिफिकेट बिहार बोर्ड की ओर से दिया गया है.
इस तरह के मामले कई जिलों में पकड़ में आ रहे हैं. फेल को पास करवाने
का खेल काफी सफाई से किया गया है. ऐसे फेल अभ्यर्थी को तभी पकड़े जायेंगे,
जब टीइटी और एसटीइटी की ओएमआर शीट की जांच होगी.
ओएमआर शीट की जांच में यह पता चलेगा कि कितने छात्र फेल हुए, जिन्हें
बाद में लालकेश्वर प्रसाद ने पैसे लेकर पास करवाने का काम किया था. वहीं,
दूसरी ओर एक लाख रुपये लेकर डुप्लीकेट सर्टिफिकेट भी टीइटी और एसटीइटी के
बांटे गये हैं. इस संबंध में टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ के
अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक ने बताया कि जो अभ्यर्थी फेल कर गये थे, हमलोग उन
अभ्यर्थियों को फेल वाले के रूप में जानते थे. लेकिन, इधर एक साल से ऐसे कई
अभ्यर्थियों के पास अचानक से टीइटी और एसटीइटी का सर्टिफिकेट देखा जाता
था.
ऐसे होता था खेल : एसटीइटी में पास करने के िलए फेल अभ्यर्थी से दो
लाख रुपये लिये जाते थे. पैसे लेने के बाद अभ्यर्थी का रजिस्ट्रेशन नंबर और
रौल नंबर लिया जाता था. इसके बाद रिजल्ट का सीडी निकाला जाता था. सीडी में
फेलवाली केटेगरी से अभ्यर्थी का रौल नंबर निकाल कर उसे पासवाली लिस्ट में
डाल दिया जाता था. लालकेश्वर प्रसाद ने बड़े पैमाने पर यह काम किया था.
33 लाख में ढाई लाख हुई थे पास : 2011 में टीइटी और एसटीइटी की हुई
परीक्षा में लगभग 33 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. इनमें से लगभग ढाई लाख
अभ्यर्थी पास हुए, जिन्हें टीइटी अाैर एसटीइटी का सर्टिफिकेट दिया गया.
इनमें ट्रेंड और अन ट्रेंड दोनों ही तरह के अभ्यर्थी शामिल थे. टीइटी बोर्ड
ने आयोजित किया था, लेकिन टेस्ट एनसीइआरटी द्वारा लिया गया था. वहीं
एसटीइटी बिहार बोर्ड ने ही लिया था.
मुंगेर के पूर्व डीडीसी से भी होगी पूछताछ
पटना : बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद के पीए अनिल
कुमार को बिहार बोर्ड में प्रतिनियुक्ति कराने में वर्ष 2014 में मुंगेर के
तत्कालीन डीडीसी की भूमिका सामने आ रही है. एसआइटी की टीम अब इस बात की
जांच कर रही है कि उस समय मुंगेर के डीडीसी कौन थे और किसने अनिल कुमार की
प्रतिनियुक्ति में एनओसी पर हस्ताक्षर किये थे. प्रतिनियुक्ति में डीडीसी
ही नियमानुसार एनओसी भेजते हैं.
बिहार बोर्ड में प्रतिनियुक्ति के बाद नालंदा निवासी अनिल कुमार
लालकेश्वर के पीए बने थे. अनिल कुमार को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी
है. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि मुंगेर के तत्कालीन डीडीसी से भी इस
संबंध में पूछताछ की जायेगी. नियमानुसार एनओसी देने में डीडीसी की भूमिका
होती है. जांच के क्रम में राहुल का भी नामसामने आया है. यह मुजफ्फरपुर का
रहनेवाला है और लालकेश्वर प्रसाद का एजेंट था. इसे भी पुलिस खोज रही है.
श्रीनिवास चंद्र व विशेश्वर निलंबित
पटना. बिहार बोर्ड के पूर्व सचिव सह मिड डे मील के सहायक निदेशक
श्रीनिवास चंद्र तिवारी और हाइस्कूल, राजेंद्र नगर के प्राचार्य विशेश्वर
यादव को निलंबित कर दिया गया है. शिक्षा विभाग ने दोनों के निलंबन को लेकर
आदेश जारी कर दिया है. इन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
लालकेश्वर के बेटे राहुल राज पर भी प्राथमिकी दर्ज
लालकेश्वर के बेटे व बैंक अधिकारी राहुल राज के खिलाफ भी प्राथमिकी
दर्ज कर ली गयी है. उस पर आरोप है कि बिहार बोर्ड के 54 करोड़ रुपये उसने
अपने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में जमा करवाये, जिसके कारण उसे प्रोमोशन
मिला. उसने इस कार्य में लाभ कमाया. जबकि बोर्ड के पैसे इलाहाबाद बैंक में
जमा होते थे. पुलिस उसे पकड़ने के लिए अब कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट प्राप्त
करने के लिए अर्जी देगी.
विकास चंद्रा को लिया जायेगा रिमांड पर : पूर्व बोर्ड अध्यक्ष
लालकेश्वर प्रसाद के निजी सहायक विकास चंद्रा को एसआइटी रिमांड पर लेकर
पूछताछ करेगी. विकास चंद्रा को लालकेश्वर प्रसाद ने निजी सहायक बना रखा था
और उनके सारे काले धंधों को देखता था. एसआइटी को उम्मीद है कि विकास चंद्रा
से दोबारा पूछताछ में और राज उजागर होंगे.
िपछले वर्ष स्क्रूटनी में अंक बढ़ा कर विशाल काे बना िदया था टॉपर
इंटर साइंस टाॅपर घोटाला भले ही 2016 में सामने आ आया हो, लेकिन इसकी
शुरुआत 2015 में ही हाे गयी थी. वीआर कॉलेज, वैशाली के छात्र विशाल के अंक
स्क्रूटनी में बढ़ा कर उसे विकास कुमार की जगह साइंस टॉपर बना दिया गया
था.
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