जमुई : जमुई जिले में वैसे शिक्षकों को भी वेतनमान का लाभ मिला है जिनके
प्रमाण-पत्र अमान्य संस्थान के हैं अथवा जिनके प्रमाण-पत्रों की जांच
निगरानी द्वारा की जा रही है। गौरतलब हो कि इस संदर्भ में विभागीय निदेशालय
द्वारा अक्टूबर 2015 को ही आदेश जारी कर वैसे शिक्षकों के वेतन पर रोक
लगाने की बात कही गई थी जिनके प्रमाण-पत्र अमान्य संस्थान के हैं।
इस आदेश के बाद तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी बीएन झा द्वारा स्थानीय स्तर पर जांच कराकर वैसे 118 शिक्षकों को चिन्हित किया गया था। साथ ही उनके वेतनमान पर रोक लगाने का आदेश निर्गत किया। बावजूद शिक्षा विभाग ने मार्च 2016 तक प्राथमिक व मध्य विद्यालय के 5534 शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर दिया। इनमें वे भी शामिल हैं जिनके प्रमाण-पत्रों की जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है या फिर जिनके प्रमाण-पत्र अमान्य संस्थान के हैं। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक अमान्य संस्थान वाले सर्वाधिक शिक्षकों की संख्या खैरा, सोनो, चकाई, झाझा व जमुई प्रखंड में है। इधर प्राथमिक व मध्य विद्यालय के दो दर्जन से अधिक वैसे शिक्षकों को भी वेतनमान का लाभ मिला है जिनके प्रमाण-पत्रों की जांच निगरानी द्वारा की जा रही है। टीईटी सहित उनके शैक्षणिक-प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों के वैद्य होने संबंधी कोई रिपोर्ट विभाग के पास नहीं है लेकिन स्थानीय स्तर पर मेलजोल के जरिये उन्हें वेतन भुगतान किया गया है। इधर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अप्रैल माह के वेतनमान के लिए स्थापना शाखा को भेजी गई रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अप्रैल माह से उनके शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है जिनके प्रमाण-पत्र अमान्य संस्थान के हैं। सवाल यह उठता है कि किस परिस्थिति में निदेशालय द्वारा दिए गए रोक के बाद भी वैसे 118 शिक्षकों को छह महीने के वेतनमान का लाभ मिला। जाहिर है कि प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर मेलजोल के जरिये भुगतान की प्रक्रिया पूरी की गई जिसमें जिलास्तरीय कार्यालय की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
बोले पदाधिकारी
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) डॉ. महेन्द्र झा ने बताया कि अमान्य संस्थान के प्रमाण-पत्र पर कार्यरत शिक्षकों की सूची प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से ली जा रही है। साथ ही यह पुष्टि कराई जा रही है कि वेतनमान के लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं है।
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इस आदेश के बाद तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी बीएन झा द्वारा स्थानीय स्तर पर जांच कराकर वैसे 118 शिक्षकों को चिन्हित किया गया था। साथ ही उनके वेतनमान पर रोक लगाने का आदेश निर्गत किया। बावजूद शिक्षा विभाग ने मार्च 2016 तक प्राथमिक व मध्य विद्यालय के 5534 शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर दिया। इनमें वे भी शामिल हैं जिनके प्रमाण-पत्रों की जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है या फिर जिनके प्रमाण-पत्र अमान्य संस्थान के हैं। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक अमान्य संस्थान वाले सर्वाधिक शिक्षकों की संख्या खैरा, सोनो, चकाई, झाझा व जमुई प्रखंड में है। इधर प्राथमिक व मध्य विद्यालय के दो दर्जन से अधिक वैसे शिक्षकों को भी वेतनमान का लाभ मिला है जिनके प्रमाण-पत्रों की जांच निगरानी द्वारा की जा रही है। टीईटी सहित उनके शैक्षणिक-प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों के वैद्य होने संबंधी कोई रिपोर्ट विभाग के पास नहीं है लेकिन स्थानीय स्तर पर मेलजोल के जरिये उन्हें वेतन भुगतान किया गया है। इधर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अप्रैल माह के वेतनमान के लिए स्थापना शाखा को भेजी गई रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अप्रैल माह से उनके शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है जिनके प्रमाण-पत्र अमान्य संस्थान के हैं। सवाल यह उठता है कि किस परिस्थिति में निदेशालय द्वारा दिए गए रोक के बाद भी वैसे 118 शिक्षकों को छह महीने के वेतनमान का लाभ मिला। जाहिर है कि प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर मेलजोल के जरिये भुगतान की प्रक्रिया पूरी की गई जिसमें जिलास्तरीय कार्यालय की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
बोले पदाधिकारी
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) डॉ. महेन्द्र झा ने बताया कि अमान्य संस्थान के प्रमाण-पत्र पर कार्यरत शिक्षकों की सूची प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से ली जा रही है। साथ ही यह पुष्टि कराई जा रही है कि वेतनमान के लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं है।
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