खगड़िया। एक तरफ जहा कालेजों में बेहतर शिक्षा को लेकर सरकार व
विश्वविद्यालय स्तर से दावा किया जा रहा है, कालेजों को वाई फाई से जोड़ने
के साथ ही सुविधाएं बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। वहीं, क्षेत्र के
केडीएस कालेज गोगरी में कालेज के शिक्षा-व्यवस्था की दयनीय स्थिति बनी हुई
है।
यहा छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा दाव पर है। हाल यह है कि अगर छात्र-छात्रा कालेज में होने वाली पढ़ाई के भरोसे रहे तो वे अपना पाठ्यक्रम कभी पूरा नहीं कर सकेंगे। कालेज में शिक्षकों का घोर अभाव है। यहा विषयवार शिक्षक ही नहीं हैं।
कालेज में इंटर व स्नातक में करीब दो हजार छात्र-छात्राएं हैं। इसके विरुद्ध अगर शिक्षकों की बात करें तो मात्र छह व्याख्याता हैं। जिसमें प्राचार्य भी शामिल हैं। उनके अलाव इतिहास, राजनीति शास्त्र व जीव विज्ञान, हिन्दी व दर्शनशास्त्र के व्याख्याता हैं। जबकि, अन्य विषयों के कोई व्याख्याता यहां नहीं हैं। विज्ञान के अन्य विषयों में कोई शिक्षक हैं ही नहीं। कालेज में शिक्षकों की कमी व नियमित क्लाश नहीं होने के कारण छात्र छात्राएं कालेज नहीं आते हैं। ये कहते हैं कि एक तो कालेज में शिक्षकों की कमी है, जो व्याख्याता हैं भी अक्सर वो क्लास में नहीं आते हैं। मात्र दर्शन शास्त्र के व्यख्याता ही नियमित रूप से कालेज आते हैं। ऐसे में कालेज जाने से क्या फायदा है।
इधर कालेज के प्रभारी प्राचार्य अवधेश अंबष्ट का कहना हुआ कि कालेज में शिक्षकों की कमी है। बावजूद अतिथि शिक्षकों के सहारे क्लास पूरा किया जा रहा है। जहा तक व्याख्याताओं के गायब रहने का सवाल है वे इस मामले में पहल करेंगे।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यहा छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा दाव पर है। हाल यह है कि अगर छात्र-छात्रा कालेज में होने वाली पढ़ाई के भरोसे रहे तो वे अपना पाठ्यक्रम कभी पूरा नहीं कर सकेंगे। कालेज में शिक्षकों का घोर अभाव है। यहा विषयवार शिक्षक ही नहीं हैं।
कालेज में इंटर व स्नातक में करीब दो हजार छात्र-छात्राएं हैं। इसके विरुद्ध अगर शिक्षकों की बात करें तो मात्र छह व्याख्याता हैं। जिसमें प्राचार्य भी शामिल हैं। उनके अलाव इतिहास, राजनीति शास्त्र व जीव विज्ञान, हिन्दी व दर्शनशास्त्र के व्याख्याता हैं। जबकि, अन्य विषयों के कोई व्याख्याता यहां नहीं हैं। विज्ञान के अन्य विषयों में कोई शिक्षक हैं ही नहीं। कालेज में शिक्षकों की कमी व नियमित क्लाश नहीं होने के कारण छात्र छात्राएं कालेज नहीं आते हैं। ये कहते हैं कि एक तो कालेज में शिक्षकों की कमी है, जो व्याख्याता हैं भी अक्सर वो क्लास में नहीं आते हैं। मात्र दर्शन शास्त्र के व्यख्याता ही नियमित रूप से कालेज आते हैं। ऐसे में कालेज जाने से क्या फायदा है।
इधर कालेज के प्रभारी प्राचार्य अवधेश अंबष्ट का कहना हुआ कि कालेज में शिक्षकों की कमी है। बावजूद अतिथि शिक्षकों के सहारे क्लास पूरा किया जा रहा है। जहा तक व्याख्याताओं के गायब रहने का सवाल है वे इस मामले में पहल करेंगे।
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