पटना : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के तर्ज पर बिहार में ‘हायर एजुकेशन एक्जामिनिशेन बोर्ड’ का गठन होगा. इसमें विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर की सभी परीक्षाएं एक साथ आयोजित की जायेंगी और एक साथ रिजल्ट प्रकाशित किया जायेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है.
उच्च शिक्षा को लेकर 14 मई को राजगीर में होनेवाली बैठक में राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद के सामने मंजूरी के लिए इसे रखा जायेगा. कुलाधिपति की मंजूरी मिलने के बाद उसे लागू करने की कार्रवाई शुरू की जायेगी. इसके लिए राज्य सरकार को एक एक्ट तैयार करना होगा. हायर एजुकेशन एक्जामिनिशेन बोर्ड देश का पहला बोर्ड होगा, जो विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर की परीक्षा एक साथ ले सकेगा. विश्वविद्यालयों द्वारा एग्जाम लेने से पढ़ाई और रिसर्च करने में दिक्कतें आती हैं. राज्य स्तर पर परीक्षाएं हों, तो विश्वविद्यालयों का भार कम होगा, वे पढ़ाई व रिसर्च में ध्यान दे सकेंगे. पटना में जहां इस बोर्ड का मुख्यालय होगा, वहीं मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बोधगया, मधेपुरा, सासाराम, मधबुनी, छपरा, आरा में इसके रिजनल सेंटर हो सकते हैं.
इससे सरकार सभी विश्वविद्यालयों में एक एकेडमिक व परीक्षा कैलेंडर आसानी से लागू कर पायेगी. एक साथ मार्च-अप्रैल में परीक्षाएं हो जायेंगी. परीक्षा के अधिकतम 45 दिनों में (जून में) रिजल्ट आ जायेगा और जुलाई से छात्र बिहार या फिर पढ़ने के लिए बाहर जाना चाहे,तो जा सकेंगे. परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए भी बोर्ड अलग से फैकल्टी बहाल करेगा. जो जिस विषय के एक्सपर्ट होंगे, उस विषय की कॉपियों की ऑनलाइन जांच करेंगे. जैसे अगर इतिहास की कॉपी का मूल्यांकन कोई एक शिक्षक नहीं करेंगे, बल्कि प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास के सवालों की जांच संबंधित एक्सपर्ट शिक्षक ही करेंगे.
हायर एजुकेशन एक्जामिनिशेन बोर्ड गठित होने से विश्वविद्यालयों का परीक्षा कोषांग बंद नहीं होगा. वह इंटर्नल परीक्षाओं का मार्क्स देगा. साथ ही अगर बोर्ड परीक्षा लेगा, तो विश्वविद्यालयों को फीस से आ रही राशि नहीं मिल सकेगी. वर्तमान फीस से भी आधी हो जायेगी. विश्वविद्यालय अपने यहां दीक्षांत समारोह का भी आयोजन करेगा. कमेटी का यह भी प्रस्ताव है कि ऑनलाइन आवेदन तो भरे ही जाये, ऑनलाइन परीक्षा और ऑनलाइन कॉपियों का मूल्यांकन की भी व्यवस्था की जा सकेगी.
सेल्फ फाइनेंस के आधार पर कॉलेजों में होगी बीएड की पढ़ाई
राज्य के सभी कॉलेजों में बीएड की पढ़ाई शुरू होगी. इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा गया है कि सेल्फ फाइनेंस के आधार पर वे बीएड का पाठ्यक्रम अपने-अपने विवि के कॉलेजों में शुरू करें. बीएड पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए विवि-कॉलेजों के पास 31 मई तक की अंतिम तिथि है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से संबंधित कॉलेजों की मदद भी की जायेगी और प्रस्ताव आने पर पांच-पांच लाख रुपये भी दिये जायेंगे. शिक्षा विभाग ने चिंता जतायी है कि राज्य के स्कूलों में शिक्षक नियोजन के लिए मास्टर डिग्री के साथ ट्रेंड अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं. प्लस टू स्कूलों में ही करीब 16 हजार पद खाली हैं. इनमें गणित, साइंस, अंगरेजी समेत कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. ऐसे में विश्वविद्यालयों को भी टास्क दिया गया है कि वे अपने डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन खोलें. साथ ही उनके यहां पीजी कर रहे छात्रों को पीजी के बाद बीएड की पढ़ाई करने के लिए भी प्रेरित करें. पीजी के बाद बीएड करने से छात्र-छात्राओं की शिक्षक के रूप में नियुक्ति की संभावना बढ़ जाती है. शिक्षा विभाग ने माना कि अगर प्लस टू स्कूलों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू भी की जाये, तो पद नहीं भरे जा सकेंगे.
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
उच्च शिक्षा को लेकर 14 मई को राजगीर में होनेवाली बैठक में राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद के सामने मंजूरी के लिए इसे रखा जायेगा. कुलाधिपति की मंजूरी मिलने के बाद उसे लागू करने की कार्रवाई शुरू की जायेगी. इसके लिए राज्य सरकार को एक एक्ट तैयार करना होगा. हायर एजुकेशन एक्जामिनिशेन बोर्ड देश का पहला बोर्ड होगा, जो विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर की परीक्षा एक साथ ले सकेगा. विश्वविद्यालयों द्वारा एग्जाम लेने से पढ़ाई और रिसर्च करने में दिक्कतें आती हैं. राज्य स्तर पर परीक्षाएं हों, तो विश्वविद्यालयों का भार कम होगा, वे पढ़ाई व रिसर्च में ध्यान दे सकेंगे. पटना में जहां इस बोर्ड का मुख्यालय होगा, वहीं मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बोधगया, मधेपुरा, सासाराम, मधबुनी, छपरा, आरा में इसके रिजनल सेंटर हो सकते हैं.
इससे सरकार सभी विश्वविद्यालयों में एक एकेडमिक व परीक्षा कैलेंडर आसानी से लागू कर पायेगी. एक साथ मार्च-अप्रैल में परीक्षाएं हो जायेंगी. परीक्षा के अधिकतम 45 दिनों में (जून में) रिजल्ट आ जायेगा और जुलाई से छात्र बिहार या फिर पढ़ने के लिए बाहर जाना चाहे,तो जा सकेंगे. परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए भी बोर्ड अलग से फैकल्टी बहाल करेगा. जो जिस विषय के एक्सपर्ट होंगे, उस विषय की कॉपियों की ऑनलाइन जांच करेंगे. जैसे अगर इतिहास की कॉपी का मूल्यांकन कोई एक शिक्षक नहीं करेंगे, बल्कि प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास के सवालों की जांच संबंधित एक्सपर्ट शिक्षक ही करेंगे.
हायर एजुकेशन एक्जामिनिशेन बोर्ड गठित होने से विश्वविद्यालयों का परीक्षा कोषांग बंद नहीं होगा. वह इंटर्नल परीक्षाओं का मार्क्स देगा. साथ ही अगर बोर्ड परीक्षा लेगा, तो विश्वविद्यालयों को फीस से आ रही राशि नहीं मिल सकेगी. वर्तमान फीस से भी आधी हो जायेगी. विश्वविद्यालय अपने यहां दीक्षांत समारोह का भी आयोजन करेगा. कमेटी का यह भी प्रस्ताव है कि ऑनलाइन आवेदन तो भरे ही जाये, ऑनलाइन परीक्षा और ऑनलाइन कॉपियों का मूल्यांकन की भी व्यवस्था की जा सकेगी.
सेल्फ फाइनेंस के आधार पर कॉलेजों में होगी बीएड की पढ़ाई
राज्य के सभी कॉलेजों में बीएड की पढ़ाई शुरू होगी. इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा गया है कि सेल्फ फाइनेंस के आधार पर वे बीएड का पाठ्यक्रम अपने-अपने विवि के कॉलेजों में शुरू करें. बीएड पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए विवि-कॉलेजों के पास 31 मई तक की अंतिम तिथि है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से संबंधित कॉलेजों की मदद भी की जायेगी और प्रस्ताव आने पर पांच-पांच लाख रुपये भी दिये जायेंगे. शिक्षा विभाग ने चिंता जतायी है कि राज्य के स्कूलों में शिक्षक नियोजन के लिए मास्टर डिग्री के साथ ट्रेंड अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं. प्लस टू स्कूलों में ही करीब 16 हजार पद खाली हैं. इनमें गणित, साइंस, अंगरेजी समेत कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. ऐसे में विश्वविद्यालयों को भी टास्क दिया गया है कि वे अपने डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन खोलें. साथ ही उनके यहां पीजी कर रहे छात्रों को पीजी के बाद बीएड की पढ़ाई करने के लिए भी प्रेरित करें. पीजी के बाद बीएड करने से छात्र-छात्राओं की शिक्षक के रूप में नियुक्ति की संभावना बढ़ जाती है. शिक्षा विभाग ने माना कि अगर प्लस टू स्कूलों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू भी की जाये, तो पद नहीं भरे जा सकेंगे.
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