पटना: पटना हाइकोर्ट ने राज्य में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे
शिक्षकों की नियुक्ति की निगरानी जांच कराने का आदेश दिया है. मुख्य
न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश सुधीर सिंह के खंडपीठ ने सोमवार
को यह आदेश दिया. कोर्ट के इस आदेश के बाद वर्ष 2006 के बाद अब तक नियोजित
शिक्षकों की डिग्री की जांच निगरानी अन्वेषण ब्यूरो करेगा. जांच रिपोर्ट के
आधार पर दोषी पाये जानेवाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
हाइकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने सभी डीपीओ को फर्जी शिक्षकों की
सूची उपलब्ध कराने को कहा है.
याचिकाकर्ता रंजीत पंडित एवं अन्य के वकील का कहना है कि 2006 से अब तक नियुक्ततीन लाख से अधिक शिक्षकों में करीब 40 हजार फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे हैं. इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को भी है. उनका यह भी कहना है कि इस बार भी शिक्षक नियोजन के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर लोगों ने आवेदन किया है. सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि राज्य सरकार इसकी जांच करवा रही है.
याचिकाकर्ता रंजीत पंडित एवं अन्य के वकील का कहना है कि 2006 से अब तक नियुक्ततीन लाख से अधिक शिक्षकों में करीब 40 हजार फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे हैं. इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को भी है. उनका यह भी कहना है कि इस बार भी शिक्षक नियोजन के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर लोगों ने आवेदन किया है. सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि राज्य सरकार इसकी जांच करवा रही है.
अब तक 700 ऐसे शिक्षक दोषी पाये गये हैं, जिन्हें नौकरी से हटा दिया
गया है. उन पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा
कि कार्रवाई करने में देरी क्यों हो रही है? इसके जवाब में प्रधान अपर
महाधिवक्ता ने कोर्ट को को बताया कि जिन संस्थानों से शिक्षकों ने डिग्री
ली है, उन संस्थानों से जानकारी मांगी गयी है. अब तक कई जगहों से जानकारी
नहीं मिल पायी है. सरकार जब तक आश्वस्त नहीं हो जाती कि फर्जी डिग्रीका
इस्तेमाल किया गया है, तब तक कार्रवाई नहीं कर सकती. राज्य सरकार ने इसके
लिए कोर्ट से तीन महीने का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने कहा कि एक महीने में
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को जांच की जिम्मेवारी सौंपते हैं. उसे जांच
रिपोर्ट कोर्ट को उपलब्ध करानी है.
याचिकाकर्ता का कहना था कि इस बार भी 10 हजार से अधिक शिकायतें शिक्षा
विभाग में आयी हैं. शिक्षा विभाग ने टीइटी परीक्षाफल की पूरी कॉपी सभी
जिलों को उपलब्ध करायी है. जिला शिक्षा पदाधिकारियों ने टीइटी की सूची से
जब आवेदकों के नाम मिलाना शुरू किया, तो सैकड़ों की संख्या में फर्जीवाड़ा
सामने आया. मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान निगरानी ब्यूरो के डीजी से
तेजी से जांच करने का आदेश दिया है.
बीडीओ ने अनसुनी की शिकायत
लेकिन, योग्य लोगों के चयन के तीन साल बाद गोपनीय तरीके से उन्हीं
सातों शिक्षकों का नियोजन कर लिया गया, जिनके प्रमाणपत्र को हाइ कोर्ट ने
जाली बताया था. बीडीओ की ओर से उनलोगों को नियोजन पत्र भी दे दिया गया. कहा
तो यह भी जा रहा है कि सभी शिक्षक योगदान भी दे चुके हैं. हद तो यह है कि
नियोजन प्रक्रिया शुरू होने के दौरान ही उपेंद्र कुमार ने बीडीओ को चार
मार्च, 2015 को आवेदन दिया. इसमें उसने अवगत कराया कि हाइकोर्ट के आदेश पर
हटाये गये उन सात शिक्षकों का पुन: नियोजन किये जाने की चर्चा है. इसके
बावजूद बीडीओ विनीत कुमार ने उन फर्जी प्रमाणपत्र वाले लोगों को बीते 28
मार्च को नियोजन पत्र दे दिया.
आदापुर के बीडीओ विनीत कुमार ने कहा कि हमारे आने से पूर्व विधि
प्रशाखा से मंतव्य मांगा गया था. मंतव्य आने के बाद हमने शिक्षकों का
नियोजन किया है.
आप भी दे सकते हैं सूचना
हाइकोर्ट ने अपने इस आदेश का समाचार पत्रों में प्रचार-प्रसार कराने
का आदेश देते हुए कहा कि कोई भी आम आदमी को यह पता चले कि किसी स्कूल में
फर्जी डिग्री के आधार पर कोई शिक्षक नौकरी कर रहा है, तो उसकी जानकारी वह
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को दे सकता है.
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