कटिहार:
आखिरकार उच्च न्यायालय के निर्देश पर विभाग ने फर्जी प्रमाण पत्र पर
कार्यरत शिक्षकों की सूची व उनके विरुद्ध अब तक की गयी कार्रवाई की जानकारी
मांग की है. विभाग ने आनन-फानन में पिछले दिनों सभी जिला कार्यक्रम
पदाधिकारी (स्थापना) की बैठक बुला कर कार्रवाई करने का आदेश दे दिया है.
जिले में पिछले सभी नियोजन वर्ष 2006, 2008 व 2012 में जम कर फर्जी अनुभव
प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षकों का नियोजन किया गया था. इसका सत्यापन
विभागीय रूप से शत प्रतिशत नहीं कराया गया.
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1500 से अधिक फर्जी शिक्षक जिले में हैं कार्यरत
जानकारी के अनुसार यदि विभाग द्वारा सही व कड़ाई से नियोजित शिक्षकों
के प्रमाण पत्रों की जांच करायी जाय तो पंद्रह सौ से अधिक शिक्षकों को अपनी
नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. फर्जी प्रमाण पत्रों में सबसे अधिक जन
शिक्षा कार्यालय द्वारा वर्ष 2008 में रुपये लेकर कई अवैध व फर्जी लोगों को
अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया. इसकी पुष्टि कार्यालय के अनुभव
प्रमाण पत्र जारी करने वाले पंजी को देख कर लगाया जा सकता है. पंजी में
सैकड़ों जगह ओवर राइटिंग कर कई लोगों के नाम काटे गये व कई नये लोगों के
नाम जोड़े गये. इसी प्रकार सर्वशिक्षा अभियान का भी कार्यालय इस फर्जीवारे
से अछूता नहीं रहा.
फर्जी प्रमाण-पत्र जारी करने का क्या था मामला
जिला जन शिक्षा कार्यालय द्वारा फर्जी प्रमाण-पत्र हासिल करने का
स्रोत वर्ष 2008 में कार्यालय के समीप चाय, पान व फोटो स्टेट के दुकानदारों
ने भी बिचौलिये के रूप में किया. आलम यह था कि तीस से पचास हजार रुपये तक
लेकर कार्यालय द्वारा फर्जी रूप से अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया.
इसमें कई ऐसे शिक्षकों के नाम अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिये गये, जो कभी
भी किसी विद्यालय या पंचायत या ग्रामीण स्तर पर शिक्षण कार्य नहीं किया या
किसी प्रकार का मानदेय नहीं पाया. ऐसे सैकड़ों फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र
धारी जिले में वेटेज अंक पाकर पंचायत अथवा प्रखंड शिक्षक के रूप में
नियोजित होकर कार्यरत हैं.
ज्यादातर उर्दू शिक्षकों की योग्यता पर प्रश्न
पंचायत/प्रखंड शिक्षक नियोजन में उर्दू शिक्षकों के मामले में जहां
मौलवी योग्यताधारी को प्राथमिकता दी गयी. जानकारी के अनुसार ऐसे कई
अभ्यर्थी अवैध रूप से नियोजित हो गये, जो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
पटना एवं बिहार शिक्षा मदरसा बोर्ड पटना दोनों ही बोर्ड से इंटरव मौलवी की
योग्यता हासिल किये हुए हैं. ऐसे अभ्यर्थियों के द्वारा जन्मतिथि में भी
अंतर दर्शाते हुए नियोजित हो गये. चूंकि इस स्तर पर स्थानीय कार्यालय
द्वारा जांच नहीं करायी गयी. यदि फोटो सहित संपूर्ण जांच दोनों बोर्ड से
करायी जाय तो सैकड़ों नियोजित उर्दू
शिक्षकों को अपनी नौकरी से वंचित होना पड़ेगा.
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