बिहार में स्कूलों शिक्षकों की भर्ती व्यवस्था में सरकार ने बदलाव क्या किया, सदन से सड़क तक हंगामा जंगल में आग की तरह फैल गया। नियमावली लागू करने के बाद इसमें डोमिसाइल को लेकर किए गए संशोधन में बाहर के राज्यों के अभ्यर्थियों को भी छूट देना उस आग में घी का काम कर गया। इसके बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के
बयान, कुछ विषयों के शिक्षक के लिए उम्मीदवार बिहार से पूरे नहीं पड़ते, ने तो जलते आग में घी के साथ पेट्रोल भी मिला दिया। मंगलवार को सदन में भाजपा अलग अलग मुद्दों पर सरकार को घेरते दिखी तो बाहर शिक्षक अभ्यर्थी बेकाबू होते दिखे। लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार शिक्षक भर्ती नियमावली में बदलाव ला सकती है। हालांकि यह बदलाव कितना कारगर होगा, यह तो बदलाव सामने आने के बाद पता चलेगा। लेकिन रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि सरकार इसमें फेरबदल कर सकती है।मानसून सत्र के बाद बदलाव पर चर्चा की संभावना
वैसे शिक्षक भर्ती नियमावली में फौरी बदलाव संभव नहीं दिख रहा। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नीतीश सरकार नियमावली पर पुनर्विचार कर सकती है। दरअसल, मानसून सत्र के पहले दिन सीएम नीतीश कुमार ने महागठबंधन के विधायकों की बैठक में कहा कि मानसून सत्र के बाद सर्वदलीय बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी। इसमें बीपीएससी की भर्ती परीक्षा में बैठने के साथ डोमिसाइल नीति पर भी चर्चा हो सकती है। बताया जा रहा है कि सरकार इस बारे में इसलिए सोच रही है क्योंकि गठबंधन के साथी ही नियमावली के खिलाफ हैं। वाम दलों के विधायकों ने सीएम नीतीश के सामने इस पर आपत्ति भी दर्ज कराई है।
डोमिसाइल नीति का ज्यादा विरोध
वैसे तो शिक्षक भर्ती नियमावली 2023 के कई मुद्दों पर अभ्यर्थियों की आपत्ति है। इसमें बीपीएससी द्वारा परीक्षा लेने का भी विरोध है। साथ ही वाम दलों का यह भी कहना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने का वादा किया गया था। ऐसे में अब परीक्षा लेना सही नहीं है। वहीं सबसे अधिक विरोध इस बात को लेकर है कि इस नियमावली में डोमिसाइल नीति का पालन नहीं हो रहा है। संशोधन के जरिए दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को भी छूट दी जा रही है। अब संभावना है कि दोनों मुद्दों पर सर्वदलीय बैठक में चर्चा होगी।