मुख्यमंत्रीने
विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को ढेर सारे तोहफे दिए। नियोजित शिक्षकों को
वेतनमान देने की घोषणा की गई तो डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्रसीमा में
दो वर्ष का इजाफा किया गया। सोमवार को अपनी सरकार के दस साल का रिपोर्ट
कार्ड पेश करते हुए नीतीश ने आम आदमी को शिकायतों के निवारण का कानूनी
अधिकार देने का भी एलान किया।
नीतीश ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नियोजित सभी प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष को 1 जुलाई के प्रभाव से वेतनमान दिया जाएगा। बिहार के नागरिकों को लोक शिकायतों के निवारण का कानूनी अधिकार देने के लिए आगामी सत्र में एक विधेयक लाया जाएगा। उन्होंने किसान सलाहकार के मानदेय में दो हजार रुपए, जबकि टोला सेवक और शिक्षा स्वयंसेवी के मानदेय में तीन हजार रुपए की वृद्धि किए जाने की भी घोषणा की।
10 साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते सीएम नीतीश कुमार, पीके शाही, श्याम रजक अन्य।
जिनको विकास नहीं दिखता, वे आंख का इलाज करा लें
10 साल का रिपोर्ट कार्ड : मुख्यमंत्री ने उपलब्धियां गिना उठाया सवाल-अगर यह विकास नहीं, तो फिर किसे कहते हैं विकास?
पॉलिटिकल रिपोर्टर | पटना
मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि बहुत से लोगों को बिहार में विकास नहीं दिखता है। मैं ऐसे लोगों को आंख के डॉक्टर का पता बता दूंगा, वे इलाज करा लें। पिछले 10 वर्षों में कानून व्यवस्था, बुनियादी ढांचा और मानव विकास के क्षेत्र में इतना काम हुआ है। अगर इसे विकास नहीं कहते हैं तो फिर किसे कहेंगे?
सोमवार को अपनी सरकार के दस साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए नीतीश ने वर्ष 2005 से पहले बिहार में कैसे हालात थे? मैंने सत्ता की बागडोर संभालने के बाद से स्कूल, अस्पताल, बिजली, कृषि, सड़क और पुल-पुलिया की स्थिति में व्यापक सुधार किया। दस साल में बिहार में 66500 किमी ग्रामीण और वृहद सड़कें बनीं। यह कम बड़ी उपलब्धि है क्या?
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी सरकार ने न्याय के साथ विकास किया है और अब आगे सरकार की नीति और योजना क्या हो यह जन भागीदारी से तय करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 40 हजार गांवों में लोगों की राय ली जानी है। इस महत्वपूर्ण कार्य में भी बाधा डाली गई। फिलहाल, 18 हजार से अधिक गांवों में लोगों से इस बारे में राय ली जा चुकी है और उम्मीद है कि अगस्त के दूसरे सप्ताह में लोगों की राय के आधार पर दृष्टि पत्र तैयार कर उसे जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की सबसे पहली जवाबदेही राज्य में शांति बहाल करना और विश्वास का माहौल बनाना था। राज्य में कानून का राज स्थापित किया। इससे लोगों का भरोसा और विश्वास बढ़ा तथा डर समाप्त हो गया। वर्ष 2005 से पहले जो लोग बिहार आने से डरते थे, वे अब बिहार आने को उत्सुक रहते हैं। बिहार आने वालों की अब पहली प्रतिक्रिया होती है कि बिहार बदल गया है, जबकि पहले आम धारणा थी कि बिहार नहीं बदल सकता है। सीएम ने कहा कि राज्य में वर्ष 2005 के नवंबर में विद्युत की औसत उपलब्धता शहरी क्षेत्रों में छह से आठ घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में दो से तीन घंटे थी। अब शहरी क्षेत्रों में 22 से 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 15 से 16 घंटे बिजली रहती है।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details
नीतीश ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नियोजित सभी प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष को 1 जुलाई के प्रभाव से वेतनमान दिया जाएगा। बिहार के नागरिकों को लोक शिकायतों के निवारण का कानूनी अधिकार देने के लिए आगामी सत्र में एक विधेयक लाया जाएगा। उन्होंने किसान सलाहकार के मानदेय में दो हजार रुपए, जबकि टोला सेवक और शिक्षा स्वयंसेवी के मानदेय में तीन हजार रुपए की वृद्धि किए जाने की भी घोषणा की।
10 साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते सीएम नीतीश कुमार, पीके शाही, श्याम रजक अन्य।
जिनको विकास नहीं दिखता, वे आंख का इलाज करा लें
10 साल का रिपोर्ट कार्ड : मुख्यमंत्री ने उपलब्धियां गिना उठाया सवाल-अगर यह विकास नहीं, तो फिर किसे कहते हैं विकास?
पॉलिटिकल रिपोर्टर | पटना
मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि बहुत से लोगों को बिहार में विकास नहीं दिखता है। मैं ऐसे लोगों को आंख के डॉक्टर का पता बता दूंगा, वे इलाज करा लें। पिछले 10 वर्षों में कानून व्यवस्था, बुनियादी ढांचा और मानव विकास के क्षेत्र में इतना काम हुआ है। अगर इसे विकास नहीं कहते हैं तो फिर किसे कहेंगे?
सोमवार को अपनी सरकार के दस साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए नीतीश ने वर्ष 2005 से पहले बिहार में कैसे हालात थे? मैंने सत्ता की बागडोर संभालने के बाद से स्कूल, अस्पताल, बिजली, कृषि, सड़क और पुल-पुलिया की स्थिति में व्यापक सुधार किया। दस साल में बिहार में 66500 किमी ग्रामीण और वृहद सड़कें बनीं। यह कम बड़ी उपलब्धि है क्या?
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी सरकार ने न्याय के साथ विकास किया है और अब आगे सरकार की नीति और योजना क्या हो यह जन भागीदारी से तय करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 40 हजार गांवों में लोगों की राय ली जानी है। इस महत्वपूर्ण कार्य में भी बाधा डाली गई। फिलहाल, 18 हजार से अधिक गांवों में लोगों से इस बारे में राय ली जा चुकी है और उम्मीद है कि अगस्त के दूसरे सप्ताह में लोगों की राय के आधार पर दृष्टि पत्र तैयार कर उसे जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की सबसे पहली जवाबदेही राज्य में शांति बहाल करना और विश्वास का माहौल बनाना था। राज्य में कानून का राज स्थापित किया। इससे लोगों का भरोसा और विश्वास बढ़ा तथा डर समाप्त हो गया। वर्ष 2005 से पहले जो लोग बिहार आने से डरते थे, वे अब बिहार आने को उत्सुक रहते हैं। बिहार आने वालों की अब पहली प्रतिक्रिया होती है कि बिहार बदल गया है, जबकि पहले आम धारणा थी कि बिहार नहीं बदल सकता है। सीएम ने कहा कि राज्य में वर्ष 2005 के नवंबर में विद्युत की औसत उपलब्धता शहरी क्षेत्रों में छह से आठ घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में दो से तीन घंटे थी। अब शहरी क्षेत्रों में 22 से 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 15 से 16 घंटे बिजली रहती है।
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