गड़बड़झाला. कुचायकोट में 85 सीटों पर टीइटी अभ्यर्थियों का नहीं हुआ नियोजन
नियोजन इकाई में नहीं बनी सहमति, रिक्त रह गयीं सीटें
गोपालगंज : शिक्षक बनने की उम्मीद में अधिकारियों के दरबार में गणेश
परिक्रमा कर रहे अभ्यर्थियों के भाग्य में अब भी ग्रहण लगा हुआ है. वर्ष
2011 से टीइटी और एसटीइटी पास अभ्यर्थियों का ही नियोजन शिक्षक के रूप में
करना था. कुचायकोट प्रखंड की 85 सीटों पर 2015 में कैंप लगा कर नियोजन करने
का आदेश विभाग का था. विभाग के आदेश के बाद भी नियोजन इकाई में सहमति नहीं
बनी और नियोजन खटाई में पड़ गया, जिसमें 50 साइंस और मैथ, सात सामाजिक
विज्ञान, 13 संस्कृत के शिक्षकों का नियोजन भी शामिल था. हालांकि पंचायत
स्तर पर कैंप लगा कर नियोजन हो गया.
लेकिन, प्रखंड नियोजन इकाई में आपसी सहमति नहीं बनने से यह पद रिक्त
रहा. अब शिक्षा विभाग ने सभी बीइओ से प्रत्येक स्कूलों के विषयवार शिक्षकों
की रिक्ति तलब की है, जिसमें यह रिक्त पद भी अब शामिल हो जायेंगे. खास बात
यह है कि इस बार टीइटी की परीक्षा वहीं देंगे जो बीएड की डिग्रीधारक
होंगे. यानी योग्यता के अनुरूप शिक्षकों की बहाली होनी है. इस बार वर्ष
2017 में बीएड की परीक्षा में शामिल होनेवाले अभ्यर्थियों को टीइटी की
परीक्षा में शामिल होने का मौका मिला है.
दो साल बाद याद आया नियोजन
कुचायकोट में शिक्षक नियोजन द्वितीय चरण का नियमानुकूल 2010 में ही
समाप्त हो जाना था. पटना हाइकोर्ट और अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर 2012 में
पुन: 207 शिक्षकों की नियोजन प्रक्रिया शुरू हुई. तब दो साल की लंबे
जांच-पड़ताल के बाद 125 अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र दिया गया. नियोजन इकाई
में बीडीओ का तबादला हो गया. जब बीडीओ दृष्टी पाठक पहुंचे, तो वर्ष 2005
में 30 शिक्षकों को नियोजन पत्र दिया गया. दो साल के बाद अचानक 54 पदों पर
नियोजन की याद अधिकारियों को आ गयी. पहले से तैयार मेधा सूची और चयन सूची
को दरकिनार कर नये ढंग से तैयारी की गयी है.
कोर्ट से न्याय की अपील :कुचायकोट में वर्ष 2008 से शिक्षक बनने की
उम्मीद लिये नियोजन इकाई के एक-एक सदस्य के पास चक्कर लगाने के बाद आज एक
सौ से अधिक अभ्यर्थी उम्मीद में हैं कि उनका चयन होगा. लेकिन, इनमें से तीन
लोगों ने तो सीजेएम कोर्ट में मुकदमा कर शिक्षक बनाने के लिए दो-दो लाख
रुपये रिश्वत लेने का आरोप भी नियोजन इकाई के एक सदस्य के बेटे पर लगा चुके
हैं. कोर्ट में मामला विचाराधीन है. इस बीच दो साल के बाद नियोजन की
तैयारी ने अभ्यर्थियों की बेचैनी को बढ़ा दी है.
पांच साल में क्यों नहीं हुई नियुक्ति : विभाग
कुचायकोट नियोजन इकाई ने नियोजन के लिए विभाग से अनुमति मांगी है.
स्पष्ट किया जा चुका है कि प्राधिकार का आदेश था कि एक साथ नियोजन
प्रक्रिया को पूरा किया जाये. 2012 से 2017 तक आखिर कौन सी परिस्थिति बनी
कि शिक्षकों का नियोजन नहीं हुआ. अब रिक्त पदों पर नये सिरे से रिक्ति लेते
हुए टीइटी और एस टीइटी के अभ्यर्थियों से ही भरा जायेगा.
संजय कुमार, डीपीओ स्थापना, गोपालगंज