पटना हाईकोर्ट ने प्रदेश में 34540 नियमित शिक्षक की बची सीटों पर
छह महीनों के भीतर बहाली करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। अदालत ने
कहा कि बची सीटें समाप्त नहीं हो सकतीं।
अदालत ने कर्मचारी चयन आयोग को कहा है कि वह शिक्षक बहाली के लिए अखबार में विज्ञापन प्रकाशित कर अभ्यर्थियों से आपत्ति मांगे। आपत्तियों का तीन महीनों में निपटारा कर सरकार को सूची भेजे। राज्य सरकार इस लिस्ट के तहत अगले तीन महीनों में शिक्षकों की बहाली करे।
न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति विकास जैन की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। आवेदकों के वकील चक्रपाणी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2010 में 34540 शिक्षकों की बहाली का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसको लेकर हाईकोर्ट में केस दायर किया गया। हाईकोर्ट ने छात्रों के पक्ष में फैसला दिया, जिसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। बाद में सरकार अपनी अर्जी वापस ले ली।
वकील का कहना था कि बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जज एसके चट्टोपाध्याय की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। कमेटी ने छात्रों के आवेदनों की जांच कर करीब 25 हजार छात्रों की उम्मीदवारी समाप्त कर दी। उसके बाद राज्य सरकार ने बहाली प्रक्रिया शुरू कर 32 हजार 127 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी। उनका कहना था कि फर्जी दस्तावेज पर करीब दस हजार से ज्यादा उम्मीदवार शिक्षक पद पर बहाल हो गए। फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल शिक्षकों को नौकरी से हटाने की प्रक्रिया सरकार ने की है। इधर, राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अपर महाधिवक्ता आशुतोष रंजन पांडेय ने कहा कि अदालती आदेश के बाद शिक्षकों की बहाली की गई। बहाली के बाद 2413 पद रिक्त रह गए। लेकिन हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश के बाद लगभग दो सौ शिक्षकों को बहाल कर दिया गया है। अब करीब 2200 पद ही खाली हैं। लेकिन बहाली के लंबे समय होने के कारण पद को समाप्त कर दिया गया।
अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि पद समाप्त नहीं हो सकता। कमेटी ने छात्रों से आपत्ति नहीं मांगी और उसे निपटाए बगैर उम्मीदवारी समाप्त कर दी, जो न्यायसंगत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि तय समय सीमा के भीतर छात्रों को आपत्ति देने का मौका दिया जाना चाहिए था। फिर मेरिट लिस्ट तैयार कर बहाली प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी। कोर्ट ने माना कि करीब दस हजार शिक्षकों की बहाली फर्जी सर्टिफिकेट पर की गई, जो बहाल होने योग्य नहीं थे। फर्जी कागजात पर चयन किए गए लोगों की बहाली को सही नहीं कहा जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी।
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अदालत ने कर्मचारी चयन आयोग को कहा है कि वह शिक्षक बहाली के लिए अखबार में विज्ञापन प्रकाशित कर अभ्यर्थियों से आपत्ति मांगे। आपत्तियों का तीन महीनों में निपटारा कर सरकार को सूची भेजे। राज्य सरकार इस लिस्ट के तहत अगले तीन महीनों में शिक्षकों की बहाली करे।
न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति विकास जैन की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। आवेदकों के वकील चक्रपाणी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2010 में 34540 शिक्षकों की बहाली का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसको लेकर हाईकोर्ट में केस दायर किया गया। हाईकोर्ट ने छात्रों के पक्ष में फैसला दिया, जिसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। बाद में सरकार अपनी अर्जी वापस ले ली।
वकील का कहना था कि बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जज एसके चट्टोपाध्याय की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। कमेटी ने छात्रों के आवेदनों की जांच कर करीब 25 हजार छात्रों की उम्मीदवारी समाप्त कर दी। उसके बाद राज्य सरकार ने बहाली प्रक्रिया शुरू कर 32 हजार 127 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी। उनका कहना था कि फर्जी दस्तावेज पर करीब दस हजार से ज्यादा उम्मीदवार शिक्षक पद पर बहाल हो गए। फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल शिक्षकों को नौकरी से हटाने की प्रक्रिया सरकार ने की है। इधर, राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अपर महाधिवक्ता आशुतोष रंजन पांडेय ने कहा कि अदालती आदेश के बाद शिक्षकों की बहाली की गई। बहाली के बाद 2413 पद रिक्त रह गए। लेकिन हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश के बाद लगभग दो सौ शिक्षकों को बहाल कर दिया गया है। अब करीब 2200 पद ही खाली हैं। लेकिन बहाली के लंबे समय होने के कारण पद को समाप्त कर दिया गया।
अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि पद समाप्त नहीं हो सकता। कमेटी ने छात्रों से आपत्ति नहीं मांगी और उसे निपटाए बगैर उम्मीदवारी समाप्त कर दी, जो न्यायसंगत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि तय समय सीमा के भीतर छात्रों को आपत्ति देने का मौका दिया जाना चाहिए था। फिर मेरिट लिस्ट तैयार कर बहाली प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी। कोर्ट ने माना कि करीब दस हजार शिक्षकों की बहाली फर्जी सर्टिफिकेट पर की गई, जो बहाल होने योग्य नहीं थे। फर्जी कागजात पर चयन किए गए लोगों की बहाली को सही नहीं कहा जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी।