Advertisement

पूछ रहे बच्चे..बिन किताब कैसे ही पढ़ाई


 वैशाली। नाम बड़े और दर्शन छोटे। शिक्षा के मामले में बिहार सरकार का यही हाल है। प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने को लेकर सरकार के मंत्री से लेकर अधिकारियों तक के पास बड़े-बड़े दावे हैं लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जमीनी सच्चाई बिलकुल विपरीत है ।

नया शिक्षण सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया लेकिन 15 दिन से भी अधिक समय बीतने के बाद भी सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को किताब नहीं मिली है। ऐसे में सवाल उठता है की बिना किताब के आखिर शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे तो दें कैसे ? किताब के प्रत्येक पाठ को पढ़ाने के लिये दिन निर्धारित है। लेकिन जो 15 दिन से अधिक का समय बीत गया उसकी भरपाई कैसे होगी यह यक्ष प्रश्न है। किताब उपलब्ध न होने का खामियाजा बच्चों के साथ साथ शिक्षकों भी उठाना पर रहा है। इधर शिक्षकों को अभिभावकों के आक्रोश का सामना करना पर रहा है।
स्थानीय अधिकारी से जब किताब के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने बताया की विभाग से अभी तक केवल वर्ग प्रथम, द्वितीय और अष्टम की किताब मिली है। शेष किताबें कब मिलेंगी इसका जवाब उनके पास नहीं है। जब उनसे पूछा गया की दैनिक कार्ययोजना का क्या होगा और उसे कैसे पूरा किया जायेगा तो इसका जवाब भी अधिकारी नहीं दे सके। लेकिन किताबें मिलने की सच्चाई यह है की जितनी संख्या में विद्यालयों ने किताबें मांगी गई थी उससे बहुत कम संख्या में किताबें विद्यालयों को मिली है ।यहां यह उल्लेखनीय है की दैनिक कार्य योजना को लेकर शिक्षकों को स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि इसका पालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाए। ऐसे में बेचारे शिक्षक क्या करेंगे यदि उन्हें किताबें ही न मिले। शिक्षक के पास यदि किताबें उपलब्ध भी है तो वह तो पढ़ कर आएंगे लेकिन बिना किताब के छात्र पढ़ाई कैसे करेंगे। इसका जबाब कौन देगा ?
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला कार्यकारी अध्यक्ष आलोक रंजन ने इस स्थिति को दुखद बताते हुए कहा कि शिक्षा विभाग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर हमेशा शिक्षक को ही दोषी ठहराते है। जबकि उसकी अपनी व्यवस्था में काफी खामियां है। न किताब है और न मानक के अनुसार विद्यालय में शिक्षक हैं। हद तो यह है की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करने वाली सरकार की जानकारी में सैकड़ों विद्यालय भवनहीन है और आज अस्त-व्यस्त हालत में चल रहे है। उन्होंने कहा की सरकार पहले विद्यालयों को समय पर किताब दे, शिक्षकों की कमी को पूरा करे और भवनहीन विद्यालय के लिये जमीन उपलब्ध कराए तब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करे।

सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC

UPTET news

Blogger templates