संवाद सूत्र, मधेपुरा : विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों को खेल के प्रति जागरूक बनाने तथा उसमें हिस्सा लेने के लिए सरकार ने विभिन्न योजना चला रखी है किंतु हालत यह है कि किताबों में उलझे रहने के कारण बच्चे खेल से दूर भाग रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिले मे संचालित सैकड़ों राजकीयकृत तथा अनुशंसित विद्यालयों में अध्यनरत बच्चों को खेल से जोड़ने के लिए बिहार सरकार के युवा, संस्कृति एवं खेल मंत्रालय ने विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक के रूप में खेल शिक्षकों का नियोजन किया है
किंतु हालत यह है कि विद्यालय में खेल की सामग्री रहने के बाद भी शिक्षक बच्चों को खेल से दूर रख रहे हैं। अक्सर देखा तो यह जा रहा है कि खेल के नाम पर केवल बच्चों को कबड्डी व खो-खो जैसे खेल के प्रति आकृष्ट किया जा रहा है। यही कारण है कि जिला प्रशासन की ओर से आयोजित किए जाने वाले जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में केवल एथलेटिक्स, कबड्डी व खो-खो का आयोजन करके औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। प्रधानाध्यापकों ने बताया कि जिन शारीरिक शिक्षकों का नियोजन बच्चों में खेल
के प्रति रूचि जगाने के लिए किया गया है वह पूरी तरह से खेल विद्या में प्रशिक्षित नहीं है जिसके कारण वे किसी भी खेल को पूरी इमानदारी व सफलतापूर्वक संचालित नहीं कर पा रहे हैं। जिला एथलेटिक्स संघ के सचिव व खेल प्रशिक्षक संत कुमार व जिला कबड़्डी संघ के सचिव अरूण कुमार के तत्परता तथा जानकारी का ही नतीजा है कि खेलों का आयोजन सही तरीके से किया जा रहा है अन्यथा नए शिक्षकों के भरोसे खेलों का आयोजन नहीं हो सकता था। यही कारण है कि खेल में कमजोर शिक्षकों से विद्यालय में दूसरे तरह का काम लिया जा रहा है। प्रधानाध्यापकों ने जिला पदाधिकारी से मांग की है कि जिले के शारीरिक शिक्षकों को कैंप लगा कर प्रशिक्षण दिया जाय ताकि वे बच्चों को खेल के प्रति आकृष्ट कर सके।
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किंतु हालत यह है कि विद्यालय में खेल की सामग्री रहने के बाद भी शिक्षक बच्चों को खेल से दूर रख रहे हैं। अक्सर देखा तो यह जा रहा है कि खेल के नाम पर केवल बच्चों को कबड्डी व खो-खो जैसे खेल के प्रति आकृष्ट किया जा रहा है। यही कारण है कि जिला प्रशासन की ओर से आयोजित किए जाने वाले जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में केवल एथलेटिक्स, कबड्डी व खो-खो का आयोजन करके औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। प्रधानाध्यापकों ने बताया कि जिन शारीरिक शिक्षकों का नियोजन बच्चों में खेल
के प्रति रूचि जगाने के लिए किया गया है वह पूरी तरह से खेल विद्या में प्रशिक्षित नहीं है जिसके कारण वे किसी भी खेल को पूरी इमानदारी व सफलतापूर्वक संचालित नहीं कर पा रहे हैं। जिला एथलेटिक्स संघ के सचिव व खेल प्रशिक्षक संत कुमार व जिला कबड़्डी संघ के सचिव अरूण कुमार के तत्परता तथा जानकारी का ही नतीजा है कि खेलों का आयोजन सही तरीके से किया जा रहा है अन्यथा नए शिक्षकों के भरोसे खेलों का आयोजन नहीं हो सकता था। यही कारण है कि खेल में कमजोर शिक्षकों से विद्यालय में दूसरे तरह का काम लिया जा रहा है। प्रधानाध्यापकों ने जिला पदाधिकारी से मांग की है कि जिले के शारीरिक शिक्षकों को कैंप लगा कर प्रशिक्षण दिया जाय ताकि वे बच्चों को खेल के प्रति आकृष्ट कर सके।
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