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Bihar Teacher Recruitment: पहली कलम से 10 लाख नौकरी का क्या हुआ? 'वादा भूल गए लेकिन लाठी चलाना नहीं'

जब जब चुनाव आता है तब तब खूब वादे किए जाते हैं, लेकिन बाद में सारे वादे भूल जाते हैं. बिहार सरकार में भी यही हो रहा है. तेजस्वी यादव ने पहली कलम से 10 लाख नौकरी का वादा किया था, लेकिन जीत के बाद नौकरी के बदले सिर्फ लाठी दे रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...
    पटनाः बिहार में शिक्षक बहाली (Bihar Teacher Recruitment) में डोमिसाइल नीति हटने के बाद से सरकार का पूरजोर विरोध हो रहा है. विपक्ष के साथ साथ शिक्षक अभ्यर्थी भी सरकार पर धोखे देने का आरोप लगा रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने चुनाव से पूर्व जो वादा किया था, वह पूरा नहीं किया गया. सरकार अपने वादा से मुकर गई. विधानसभा चुनाव 2020 में घोषणा पत्र जारी किया गया था, लेकिन चुनाव के बाद घोषणा पत्र का कोई पता नहीं है. सरकार ने युवाओं को ठगने का काम किया है.

10 लाख नौकरी का वादा क्या हुआ?: दरअसल, आरजेडी ने 16 पेज का घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें बेरोजगारी प्रमुख एजेंडा था. 10 लाख नौकरियों का वादा भी किया था. इसके साथ ही सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति के तहत बिहारियों के लिए 90 फीसदी की बात कही गयी थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं है. बिहार में 1.70 लाख पदों पर शिक्षकों की बहाली आई है जिसमें देशभर के अभ्यर्थी भाग ले सकते हैं क्योंकि डोमिसाइल नीति का हटा दिया गया है. हालांकि शिक्षा सचिव केके पाठक ने साफ कर दिया कि शिक्षक बहाली में 50 फीसदी सीटें बिहारियों के लिए रिजर्व रहेंगी.

मांगी नौकरी, मिली लाठी : बिहार एसटीइटी उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष अभिषेक कुमार झा ने कहा कि युवाओं ने तेजस्वी यादव पर भरोसा किया. लेकिन वादाखिलाफी की जा रही है. तेजस्वी यादव कहते थे कि बिहार के नौकरियों में 90 फीसदी भागीदारी बिहारी की होगी, लेकिन डोमिसाइल नीति हटा दी गयी.

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