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21 जनवरी को मानव श्रृंखला से अलग रहेंगे शिक्षक

नालंदा। राज्य सरकार शिक्षा व शिक्षकों का बेड़ा गर्क करने पर तूली है। राष्ट्र की मुख्यधारा शिक्षा की बदहाली का जिम्मेवार स्वयं सरकार है। बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है। जहां विद्यार्थी बुकलेस एवं शिक्षक वेतन लेस है।
उच्च न्यायालय का निर्णय समान काम का समान वेतन लागू नहीं कर सरकार अदालत की अवहेलना कर रही है। उक्त बातें राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संगठन प्रतिनिधि शिशिर कुमार पांडेय एवं नवनियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. गणेश शंकर पांडेय ने संयुक्त रूप से शनिवार को धरना को संबोधित करते हुए कही। नेताद्वय ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के मामले में उच्च न्यायालय पटना के न्यायादेश के विरुद्ध सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एससीपी दायर किया है। जबकि कोर्ट ने इस मामले में पूर्व में ही समान काम का समान वेतन का फैसला दे दिया है। ऐसी स्थिति में सरकार अपना और नियोजित शिक्षकों का वक्त बर्बाद कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के नियोजित शिक्षक दहेज बंदी व बाल-विवाह उन्नमूलन का समर्थन करते हैं परन्तु आगामी 21 जनवरी को मानव श्रृंखला से अलग रहेंगे। श्री पांडेय ने कहा कि समान काम का समान वेतन लागू होने पर शिक्षकों का आंदोलन जारी रहेगा। जिला संयोजक जितेन्द्र कुमार ¨सह, संघ के जिलाध्यक्ष संजीत कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों के प्रति संवेदनहीन है। समाधान करने के बजाए उसमें इजाफा कर रही है। धरना को डॉ. विश्वनाथ प्रसाद, सत्यनारायण प्रसाद, अनिल कुमार सिन्हा, आत्मानंद कुमार, सुधांशु कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, रंजीत कुमार, शंभूशरण शर्मा आदि संबोधित किया। 

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