सिमुलतला आवासीय विद्यालय बिहार सरकार और सूबे के मुखिया नीतीश कुमार का एक ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. बिहार से झारखंड अलग हुआ तो नेतरहाट विद्यालय भी झारखंड चला गया. इसके बाद बिहार में भी नेतरहाट के तर्ज पर एक स्कूल की मांग हुई.
इस सोच के साथ ही जमुई जिले के सिमुलतला में इस आवासीय विद्यालय की स्थापना 9 अगस्त 2010 को हुई थी. खुद नीतीश कुमार ने इसका उदघाटन वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से किया था.
बिहार सरकार से होती है फंडिंग
सिमुलतला आवासीय विद्यालय का संचालन सिमुलतला एजुकेशन सोसायटी करती है. यह स्कूल पूरी तरह बिहार सरकार द्वारा वित्त प्रदत है. इस स्कूल के संचालन के लिए तीन तरह की अलग-अलग कमिटियां है, जिसमे सूबे के शिक्षा मंत्री, विभाग के महासचिव से लेकर जिले के डीएम और स्कूल के प्राचार्य तक शामिल हैं. इन्ही लोगों पर स्कूल के सफल संचालन की सारी जिम्मेदारियां है.
टफ होती है एडमिशन की प्रक्रिया
जमुई जिले के मिनी शिमला कहे जाने वाले सिमुलतला मे चारों तरफ घने जंगल वाला पहाडियां है. हरी-हरी वादियों के बीच स्थित सिमुलतला आवासीय विद्यालय में कक्षा 6 में ही छात्रो का नामांकन होता है जिसके लिए प्रदेश स्तर पर जांच परीक्षा ली जाती है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा संचालित जांच परीक्षा में सूबे के सभी जिले के छात्र-छात्राएं शामिल होती है.
दर्ज है खास रिकॉर्ड
सिमुलतला स्कूल के बच्चे पिछले दो साल से बिहार में मैट्रिक के नतीजों में अपना परचम लहरा रहे हैं. 2015 की मैट्रिक परीक्षा में टॉप 10 में आने वाले 31 में से 30 बच्चे इसी स्कूल से थे. 2016 के मैट्रिक नतीजों में इस स्कूल की बच्ची बिहार टॉपर बनी . 2016 के नतीजों में टॉप 10 में इस स्कूल के 46 बच्चे शामिल थे.
6ठी से 12वीं तक की होती है पढ़ाई
पूरी तरह से निशुल्क शिक्षा के लिए इस स्कूल मे कक्षा 6 से 12 वीं तक सभी विषयों की पढाई होती है. कक्षा 6 मे नामांकन के लिए 120 सीटें हर साल के लिए निर्धारित है. जिसमे 60 लडकों के लिए और 60 लडकियों के लिए शामिल है. इस स्कूल मे नामांकन के लिए हर साल हजारों छात्र जांच परीक्षा में शामिल होते हैं.
लगातार तीन साल से किसी न किसी परीक्षा में अपने प्रतिभा के परिचय देने से सिमुलतला आवासीय विद्यालय सुर्खियां जुटाने लगा है. हालांकि अभी तक यह स्कूल किराये के मकान और जमीन पर ही चल रहा है. इस स्कूल में छात्रो के लिए अलग-अलग कई हास्टल बनाए गए है. जहां छात्रों के साथ शिक्षक भी रहते हैं.
सुबह साढ़े चार बजे से ही शुरू हो जाती है दिनचर्या
सुबह 4.30 से शुरु होने वाले दिनचर्या और अध्ययन के बाद रात 10 बजे यहां के छात्र नींद के लिए बिस्तर पर जाते है. अगर छात्रो के दिनचर्या की बात करें तो सुबह 4.30 मे उठना ,फिर व्यायाम और प्रार्थना के बाद सुबह आठ बजे से दो बजे तक स्कूल की कक्षाओ में पढाई, शाम 6.30 से रात 9.30 तक सेल्फ स्टडी.
इस स्कूल के वैसे छात्र जिन्हे किसी विषयों को समझने मे परेशानी होती है उसके लिए स्कूल के शिक्षक अलग से उन छात्रों को समय देते हैं. पूरी तरह से आवासीय विद्यालय के छात्र अध्ययन के लिए स्कूल परिसर से कहीं बाहर नहीं जाते है. कम्प्यूटर से लेकर आईटी की शिक्षा स्कूल परिसर में ही मौजूद है.
महापुरूषों के नाम पर हैं आश्रम
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति या यूं कहे कि बिहार बोर्ड के अनुसार चलने वाले इस स्कूल में छात्रों के बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक के किताबों के साथ एनसीईआरटी के किताबों से भी पढाई जाती है. इसके अलावा अन्य सहयोगी किताबों से भी अभ्यास कराया जाता है.
अंग्रेजी माध्यम से होने वाली पढाई के साथ स्कूल के छात्रों में समुचित विकास हो इस कारण समय-समय पर विज्ञान-प्रदर्शनी, वाद-विवाद जैसे अन्य गतिविधियां भी कराई जाती है. सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्रों को लिए यहां महापुरुषों के नाम पर कुल दस आश्रम बनाए गए है. जैसे रामानुजम, दशरथ, दिनकर, गौतम, मैत्रेयी, सरोजनी.
स्कूल के प्राचार्य डा राजीव रंजन का कहना है कि पूरे सूबे के चयनित होकर इस स्कूल में पढने वाले छात्र आगे भी अपनी प्रतिभा का परिचय देंगे. सफल छात्रों को शुभकामना देते हुए प्राचार्य ने कहा कि स्कूल के शिक्षकों का इन छात्रों के सफलता के लिए मेहनत जारी रहेगा.
सिमुलतला आवासीय विद्यालय के कक्षा 6 से 12वीं तक के सभी छात्रो को पढाने के लिए इस स्कूल मे एक प्राचार्य और उप-प्राचार्य के अलावा 17 शिक्षक पदस्थापित है.
मानदेय पर काम करते हैं शिक्षक
प्राचार्य से लेकर शिक्षक जो भी इस स्कूल के छात्र और देश के प्रतिभा के निखारने मे लगे है उनकी नियुक्ति मानदेय पर हुई है. इन शिक्षको को बिहार सरकार के अन्य शिक्षकों की तरह वेतनमान का लाभ नहीं मिलता है.
सरकार का शिक्षा के क्षेत्र में ड्रीम प्रोजेक्ट सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्र लगातार अपनी प्रतिभा का परिचय तो दे रहे है. जरुरी है कि सरकार भी नेतरहाट स्कूल के तर्ज पर खुले सिमुलतला आवासीय विद्यालय पर समय पर अपना ध्यान दें.
इस सोच के साथ ही जमुई जिले के सिमुलतला में इस आवासीय विद्यालय की स्थापना 9 अगस्त 2010 को हुई थी. खुद नीतीश कुमार ने इसका उदघाटन वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से किया था.
बिहार सरकार से होती है फंडिंग
सिमुलतला आवासीय विद्यालय का संचालन सिमुलतला एजुकेशन सोसायटी करती है. यह स्कूल पूरी तरह बिहार सरकार द्वारा वित्त प्रदत है. इस स्कूल के संचालन के लिए तीन तरह की अलग-अलग कमिटियां है, जिसमे सूबे के शिक्षा मंत्री, विभाग के महासचिव से लेकर जिले के डीएम और स्कूल के प्राचार्य तक शामिल हैं. इन्ही लोगों पर स्कूल के सफल संचालन की सारी जिम्मेदारियां है.
टफ होती है एडमिशन की प्रक्रिया
जमुई जिले के मिनी शिमला कहे जाने वाले सिमुलतला मे चारों तरफ घने जंगल वाला पहाडियां है. हरी-हरी वादियों के बीच स्थित सिमुलतला आवासीय विद्यालय में कक्षा 6 में ही छात्रो का नामांकन होता है जिसके लिए प्रदेश स्तर पर जांच परीक्षा ली जाती है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा संचालित जांच परीक्षा में सूबे के सभी जिले के छात्र-छात्राएं शामिल होती है.
दर्ज है खास रिकॉर्ड
सिमुलतला स्कूल के बच्चे पिछले दो साल से बिहार में मैट्रिक के नतीजों में अपना परचम लहरा रहे हैं. 2015 की मैट्रिक परीक्षा में टॉप 10 में आने वाले 31 में से 30 बच्चे इसी स्कूल से थे. 2016 के मैट्रिक नतीजों में इस स्कूल की बच्ची बिहार टॉपर बनी . 2016 के नतीजों में टॉप 10 में इस स्कूल के 46 बच्चे शामिल थे.
6ठी से 12वीं तक की होती है पढ़ाई
पूरी तरह से निशुल्क शिक्षा के लिए इस स्कूल मे कक्षा 6 से 12 वीं तक सभी विषयों की पढाई होती है. कक्षा 6 मे नामांकन के लिए 120 सीटें हर साल के लिए निर्धारित है. जिसमे 60 लडकों के लिए और 60 लडकियों के लिए शामिल है. इस स्कूल मे नामांकन के लिए हर साल हजारों छात्र जांच परीक्षा में शामिल होते हैं.
लगातार तीन साल से किसी न किसी परीक्षा में अपने प्रतिभा के परिचय देने से सिमुलतला आवासीय विद्यालय सुर्खियां जुटाने लगा है. हालांकि अभी तक यह स्कूल किराये के मकान और जमीन पर ही चल रहा है. इस स्कूल में छात्रो के लिए अलग-अलग कई हास्टल बनाए गए है. जहां छात्रों के साथ शिक्षक भी रहते हैं.
सुबह साढ़े चार बजे से ही शुरू हो जाती है दिनचर्या
सुबह 4.30 से शुरु होने वाले दिनचर्या और अध्ययन के बाद रात 10 बजे यहां के छात्र नींद के लिए बिस्तर पर जाते है. अगर छात्रो के दिनचर्या की बात करें तो सुबह 4.30 मे उठना ,फिर व्यायाम और प्रार्थना के बाद सुबह आठ बजे से दो बजे तक स्कूल की कक्षाओ में पढाई, शाम 6.30 से रात 9.30 तक सेल्फ स्टडी.
इस स्कूल के वैसे छात्र जिन्हे किसी विषयों को समझने मे परेशानी होती है उसके लिए स्कूल के शिक्षक अलग से उन छात्रों को समय देते हैं. पूरी तरह से आवासीय विद्यालय के छात्र अध्ययन के लिए स्कूल परिसर से कहीं बाहर नहीं जाते है. कम्प्यूटर से लेकर आईटी की शिक्षा स्कूल परिसर में ही मौजूद है.
महापुरूषों के नाम पर हैं आश्रम
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति या यूं कहे कि बिहार बोर्ड के अनुसार चलने वाले इस स्कूल में छात्रों के बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक के किताबों के साथ एनसीईआरटी के किताबों से भी पढाई जाती है. इसके अलावा अन्य सहयोगी किताबों से भी अभ्यास कराया जाता है.
अंग्रेजी माध्यम से होने वाली पढाई के साथ स्कूल के छात्रों में समुचित विकास हो इस कारण समय-समय पर विज्ञान-प्रदर्शनी, वाद-विवाद जैसे अन्य गतिविधियां भी कराई जाती है. सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्रों को लिए यहां महापुरुषों के नाम पर कुल दस आश्रम बनाए गए है. जैसे रामानुजम, दशरथ, दिनकर, गौतम, मैत्रेयी, सरोजनी.
स्कूल के प्राचार्य डा राजीव रंजन का कहना है कि पूरे सूबे के चयनित होकर इस स्कूल में पढने वाले छात्र आगे भी अपनी प्रतिभा का परिचय देंगे. सफल छात्रों को शुभकामना देते हुए प्राचार्य ने कहा कि स्कूल के शिक्षकों का इन छात्रों के सफलता के लिए मेहनत जारी रहेगा.
सिमुलतला आवासीय विद्यालय के कक्षा 6 से 12वीं तक के सभी छात्रो को पढाने के लिए इस स्कूल मे एक प्राचार्य और उप-प्राचार्य के अलावा 17 शिक्षक पदस्थापित है.
मानदेय पर काम करते हैं शिक्षक
प्राचार्य से लेकर शिक्षक जो भी इस स्कूल के छात्र और देश के प्रतिभा के निखारने मे लगे है उनकी नियुक्ति मानदेय पर हुई है. इन शिक्षको को बिहार सरकार के अन्य शिक्षकों की तरह वेतनमान का लाभ नहीं मिलता है.
सरकार का शिक्षा के क्षेत्र में ड्रीम प्रोजेक्ट सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्र लगातार अपनी प्रतिभा का परिचय तो दे रहे है. जरुरी है कि सरकार भी नेतरहाट स्कूल के तर्ज पर खुले सिमुलतला आवासीय विद्यालय पर समय पर अपना ध्यान दें.