शिक्षक संघ की राजनीति : संदेश मिले तो विचलीत ना हों , परन्तु सत्य कड़वा है

संदेश मिले तो विचलीत ना हों। परन्तु सत्य कड़वा है। संघ की राजनीति
लानत है संघों पर जो शिक्षक हित मे एक माँग का समर्थन एक साथ नही कर सकते। अपने अहं का त्याग कीजिये नही तो साथियों के हितों से खिलवाड़ करने वाले का खुद साथी ही त्याग कर देंगे।
प्राथमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षक का कैडर ही अलग है । प्राथमिक शिक्षक की प्रोन्नति माध्यमिक शिक्षक में नहीं हो सकती । इसलिए दोनों का संयुक्त संघ अप्रासंगिक है । यदि ऐसा होता है, तो सबसे पहला प्रयास कैडर मर्ज करवाने का हो । ताकि 1-5 शिक्षक भी +2 तक प्रोन्नति पा सके । वरन् यह प्राथमिक शिक्षकों को बेवकूफ बनने/बनाने के सिवाय कुछ भी नहीं है ।
समझ सकते हैं।राजनीति चमकाने के लिये कुछ संघ सरकार की दलाली से नी चूकेंगे।ऐसे मे तमाम शिक्षक साथियों से अपील करता हूँ ऐसे दोगले चरित्र के संघ के नेत्रित्व का बहिष्कार करें। नेत्रित्व परिवर्तन करवायें जो सर्वहित और सामुहिक कार्य करने को सहमत हों। आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि एकता की बात सुनते ही स्वस्थापित महाराज चूं तक नही करते। प्रजा त्राहिमाम कर रही है मठाधीश महोदय जागिये। सच में कही आपने ये तो नही मान लिया कि आपके सदस्य आपके अनुयायी हैं जो आपके हुक्म की तामिल करेंगे। बुद्धि विवेक सब पर अधिकार करें नही तो मठ उजरने वाला है। और जो भी संघ एक साथ आने से पीछे भागे साथियों समझ लेना वो सत्ता की दलाली कर रहा है।
हमें चाहिये समान काम समान वेतनमान ।
राज्यकर्मी का दर्जा
अगर आपकी माँग समान है तो हम एक साथ क्यों नही हैं?
पूरे बिहार के शिक्षक एक साथ स्वतः ............. मार्च से विरोध करें न कोई संघ न कोई बैनर। शेष अगले अंक मे............
धीरेंद्र कुमार धीरज
जिला संयोजक
टी एस एस
समस्तीपुर