देवघर: वर्ष 2016 बीतने वाला है. लेकिन, शिक्षा विभाग का क्रियाकलाप
देवघरवासियों को कई मायने में सालता रहेगा. प्रारंभिक स्कूलों में अध्ययनरत
बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के नीयत से
विभागीय स्तर पर देवघर के सरकारी स्कूलों में इंटर एवं स्नातक प्रशिक्षित 599 शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा का बड़ा घोटाला हुआ. प्रशासनिक एवं विभागीय स्तर पर कई चरणों की जांच के बाद कई चौकाने वाला तथ्य सामने आया.
रिपोर्ट के आधार पर जिले के तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक सुधांशु शेखर मेहता सहित जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के दो लिपिक मनीष कुमार एवं संतोष कुमार के विरूद्ध नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. विभागीय स्तर पर तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक सहित लिपिक द्वय का तबादला प्रशासनिक स्तर पर कर दिया गया. जांच रिपोर्ट में आरोपित नियुक्ति संचिका प्रभारी सह प्रधान लिपिक सदानंद ठाकुर के विरूद्ध कोई कार्रवाई के बदले उनका प्रतिनियुक्ति डॉयट जसीडीह कर दिया गया.
टीम के जांच रिपोर्ट एवं झारखंड अधिविद्य परिषद रांची द्वारा सत्यापन में टेट प्रमाण पत्र को गलत करार दिया गया है. बावजूद अबतक आरोपित नवनियुक्त शिक्षकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गयी. शिक्षक नियुक्ति में घोटाले की सच सामने आने के बाद नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर न तो पुलिस द्वारा अनुसंधान की दिशा में एक कदम बढ़ाया गया. न ही प्रशासनिक स्तर पर जांच की कार्रवाई पूरी करते हुए किसी नतीजे पर ही पहुंचा जा सका. यही वजह है कि शिक्षक नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी भी है. आक्रोशित अभ्यर्थियों का चरणबद्ध आंदोलन आज भी जारी है.
विभागीय स्तर पर देवघर के सरकारी स्कूलों में इंटर एवं स्नातक प्रशिक्षित 599 शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा का बड़ा घोटाला हुआ. प्रशासनिक एवं विभागीय स्तर पर कई चरणों की जांच के बाद कई चौकाने वाला तथ्य सामने आया.
रिपोर्ट के आधार पर जिले के तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक सुधांशु शेखर मेहता सहित जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के दो लिपिक मनीष कुमार एवं संतोष कुमार के विरूद्ध नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. विभागीय स्तर पर तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक सहित लिपिक द्वय का तबादला प्रशासनिक स्तर पर कर दिया गया. जांच रिपोर्ट में आरोपित नियुक्ति संचिका प्रभारी सह प्रधान लिपिक सदानंद ठाकुर के विरूद्ध कोई कार्रवाई के बदले उनका प्रतिनियुक्ति डॉयट जसीडीह कर दिया गया.
टीम के जांच रिपोर्ट एवं झारखंड अधिविद्य परिषद रांची द्वारा सत्यापन में टेट प्रमाण पत्र को गलत करार दिया गया है. बावजूद अबतक आरोपित नवनियुक्त शिक्षकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गयी. शिक्षक नियुक्ति में घोटाले की सच सामने आने के बाद नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर न तो पुलिस द्वारा अनुसंधान की दिशा में एक कदम बढ़ाया गया. न ही प्रशासनिक स्तर पर जांच की कार्रवाई पूरी करते हुए किसी नतीजे पर ही पहुंचा जा सका. यही वजह है कि शिक्षक नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी भी है. आक्रोशित अभ्यर्थियों का चरणबद्ध आंदोलन आज भी जारी है.