सीतामढ़ी। प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति व पदस्थापन के लिए
शिक्षामंत्री के आदेश के आलोक में डीएम द्वारा गठित कमेटी पर डीईओ ने सवाल
उठाया है। उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि नियमावली के अधिकार को
अतिक्रमित कर त्रिस्तरीय समिति द्वारा प्रोन्नति व पदस्थापन कराना उचित
नहीं है।
डीईओ ने डीएम द्वारा गठित कमिटी के सदस्य के व्यवहार को भी संदेहास्पद बताते हुए डीडीसी द्वारा मांगे गए अभिलेख पर टिप्पणी कर मार्गदर्शन मांगा है। डीईओ की इस कार्रवाई के बाद शिक्षा विभाग में एक बार फिर ऊहापोह की स्थिति है।
डीईओ के पत्र से सनसनी
सूत्रों के अनुसार डीईओ मेहश्वर साफी ने डीएम को पत्रांक 2270 दिनांक 9 सितंबर को भेजे अपने पत्र में डीएम के निर्णय को चुनौती देते हुए कई सवाल खड़े किए हैं। सूत्रों के अनुसार डीईओ ने पत्र में कहा है कि नव प्रोन्नत प्रधानाध्यापक के पदस्थापन को लेकर गठित त्रिस्तरीय समिति द्वारा पदस्थापन के लिए निदेशित किया गया है। इसके आलोक में डीडीसी द्वारा प्रोन्नति संबंधित संचिका व कागजात उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है। प्रावधान के अनुसार स्थानांतरण, प्रोन्नति, पदस्थापना समिति के सचिव डीपीओ स्थापना व अध्यक्ष डीईओ होते हैं। इसलिए उन्हें नियमावली के तहत दिए गए अधिकार को अतिक्रमित कर त्रिस्तरीय समिति द्वारा प्रोन्नति व पदस्थापन करना उचित नहीं है। जहां तक प्रधानाध्यापकों की प्रोन्नति व पदस्थापन में हो रहे विलंब के कारणों की जांच का है, तो इसकी जांच जिलाधिकारी द्वारा करायी जा सकती थी।
संचिका को लेकर मांगा मार्गदर्शन
डीईओ ने डीएम को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि कमेटी के सदस्य वरीय उपसमाहर्ता कुमारिल सत्यनंदन का व्यवहार संदेहास्पद है। प्रधानाध्यापक के प्रोन्नति संबंधी बैठक में वरीय उपसमाहर्ता का व्यवहार डीपीओ प्रेमचंद्र के प्रति उदार था। इसलिए संचिका अथवा कागजात कार्यालय से बाहर भेजने में असहज महसूस हो रहा है। इसलिए मार्गदर्शन दें कि उप विकास आयुक्त को प्रधानाध्यापक की प्रोन्नति संबंधी याचिका उपलब्ध करायी जाए अथवा नहीं।
प्रोन्नति को लेकर सुर्खियों में है शिक्षा विभाग
प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति व पदस्थापन को लेकर पिछले तीन माह से शिक्षा विभाग सुर्खियों में है। इस दौरान धरना-प्रदर्शन से लेकर मारपीट व दुव्यर्वहार का भी दौर चला।
प्रोन्नति को लेकर हुई गतिविधियों पर एक नजर
20 फरवरी : पीओ रामजी पासवान के नेतृत्व में मध्य विद्यालय सोशल क्लब में दो दिवसीय शिविर आयोजित की गई थी। जिसमें तीन बीईओ की निगरानी में करीब 600 से अधिक शिक्षकों का शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा कराया गया था।
अप्रैल : अपर सचिव के निर्देश के बाद प्रोन्नति को लेकर जिला स्तरीय कमेटी का हुआ गठन। 3 अप्रैल को पैनल निर्माण समिति ने दिया औपबंधिक मेधा सूची निर्माण का निर्देश। इसके बाद शिक्षक संघ की अलग अलग प्रतिनिधिमंडल ने डीईओ व डीपीओ से मिलकर बढ़ाने लगे दबाब।
जुलाई : औपबंधिक मेधा सूची का प्रकाशन नहीं होने पर शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय का किया गया घेराव। 9 जुलाई को अराजपत्रित शिक्षक संघ ने शिक्षा अधिकारियों को घेराव कर जताया था विरोध।
28 ज लाई : प्रोन्नति समिति की बैठक में 324 शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति दिए जाने की सहमति बनी।
11 अगस्त : प्रोन्नति की स्वीकृति के बाद भी पत्र निर्गत नहीं होने पर शिक्षकों के दबाब के बाद शिविर आयोजित कर प्रोन्नति पत्र व पदस्थापन पत्र देने की घोषणा की गई।
14 अगस्त : विभागीय निर्देश का हवाला देते हुए एमपी हाई स्कूल में काउंस¨लग कराई गई। जिसमें प्रोन्नति प्राप्त दिव्यांग, महिला व एक वर्ष के भीतर सेवानिवृत होने वाले शिक्षकों से अधिच्छा प्राप्त कर स्कूल आवंटन करने का निर्णय लिया गया। जिसमें 51 शिक्षक व शिक्षिकाएं शामिल हुई।
14 अगस्त : काउंस¨लग के बाद 16 व 17 अगस्त को होने वाली काउंस¨लग को रद किए जाने की घोषणा की गई। साथ ही वंचित शिक्षकों को 18 अगस्त को प्रोन्नति एवं पदस्थापना पत्र देने का आश्वासन दिया गया।
18 अगस्त : अधिकारियों में अन्तर्कलह शुरू, शिक्षकों को नहीं मिला पदस्थापन पत्र। डीइओ कार्यालय में पहुंचे दो संघ भिड़े। देर शाम को जमकर हुई झड़प।
19 अगस्त : डीपीओ स्थापना व पीओ दिन भर कार्यालय में बैठे रहे, शिक्षकों से भरा रहा डीईओ कार्यालय, नहीं पहुंचे डीईओ। कई शिक्षक की टोली डीईओ को मनाने में जुटे रहे।
24 अगस्त : अराजपत्रित शिक्षक संघ ने किया धरना का एलान, आश्वासन के बाद किया स्थगित।
28 अगस्त : डीपीओ स्थापना प्रेमचंद्र ने डीपीओ सुरेश प्रसाद को दिया स्थापना का प्रभार।
29 अगस्त : अराजपत्रित शिक्षक संघ बैठे सत्याग्रह पर, शिक्षा मंत्री के निर्देश की भनक पर शिक्षा अधिकारियों की मंत्रणा हुई शरू, देर रात तक चली मंत्रणा के बाद भी नहीं बनी सहमति ।
30 अगस्त : शिक्षा मंत्री के निर्देश पर डीएम ने प्रोन्नति को लेकर गठित की तीन सदस्यीय कमेटी।
17 सितंबर : डीएम द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष डीडीसी ने बुलाई बैठक को किया स्थगित।
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डीईओ ने डीएम द्वारा गठित कमिटी के सदस्य के व्यवहार को भी संदेहास्पद बताते हुए डीडीसी द्वारा मांगे गए अभिलेख पर टिप्पणी कर मार्गदर्शन मांगा है। डीईओ की इस कार्रवाई के बाद शिक्षा विभाग में एक बार फिर ऊहापोह की स्थिति है।
डीईओ के पत्र से सनसनी
सूत्रों के अनुसार डीईओ मेहश्वर साफी ने डीएम को पत्रांक 2270 दिनांक 9 सितंबर को भेजे अपने पत्र में डीएम के निर्णय को चुनौती देते हुए कई सवाल खड़े किए हैं। सूत्रों के अनुसार डीईओ ने पत्र में कहा है कि नव प्रोन्नत प्रधानाध्यापक के पदस्थापन को लेकर गठित त्रिस्तरीय समिति द्वारा पदस्थापन के लिए निदेशित किया गया है। इसके आलोक में डीडीसी द्वारा प्रोन्नति संबंधित संचिका व कागजात उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है। प्रावधान के अनुसार स्थानांतरण, प्रोन्नति, पदस्थापना समिति के सचिव डीपीओ स्थापना व अध्यक्ष डीईओ होते हैं। इसलिए उन्हें नियमावली के तहत दिए गए अधिकार को अतिक्रमित कर त्रिस्तरीय समिति द्वारा प्रोन्नति व पदस्थापन करना उचित नहीं है। जहां तक प्रधानाध्यापकों की प्रोन्नति व पदस्थापन में हो रहे विलंब के कारणों की जांच का है, तो इसकी जांच जिलाधिकारी द्वारा करायी जा सकती थी।
संचिका को लेकर मांगा मार्गदर्शन
डीईओ ने डीएम को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि कमेटी के सदस्य वरीय उपसमाहर्ता कुमारिल सत्यनंदन का व्यवहार संदेहास्पद है। प्रधानाध्यापक के प्रोन्नति संबंधी बैठक में वरीय उपसमाहर्ता का व्यवहार डीपीओ प्रेमचंद्र के प्रति उदार था। इसलिए संचिका अथवा कागजात कार्यालय से बाहर भेजने में असहज महसूस हो रहा है। इसलिए मार्गदर्शन दें कि उप विकास आयुक्त को प्रधानाध्यापक की प्रोन्नति संबंधी याचिका उपलब्ध करायी जाए अथवा नहीं।
प्रोन्नति को लेकर सुर्खियों में है शिक्षा विभाग
प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति व पदस्थापन को लेकर पिछले तीन माह से शिक्षा विभाग सुर्खियों में है। इस दौरान धरना-प्रदर्शन से लेकर मारपीट व दुव्यर्वहार का भी दौर चला।
प्रोन्नति को लेकर हुई गतिविधियों पर एक नजर
20 फरवरी : पीओ रामजी पासवान के नेतृत्व में मध्य विद्यालय सोशल क्लब में दो दिवसीय शिविर आयोजित की गई थी। जिसमें तीन बीईओ की निगरानी में करीब 600 से अधिक शिक्षकों का शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा कराया गया था।
अप्रैल : अपर सचिव के निर्देश के बाद प्रोन्नति को लेकर जिला स्तरीय कमेटी का हुआ गठन। 3 अप्रैल को पैनल निर्माण समिति ने दिया औपबंधिक मेधा सूची निर्माण का निर्देश। इसके बाद शिक्षक संघ की अलग अलग प्रतिनिधिमंडल ने डीईओ व डीपीओ से मिलकर बढ़ाने लगे दबाब।
जुलाई : औपबंधिक मेधा सूची का प्रकाशन नहीं होने पर शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय का किया गया घेराव। 9 जुलाई को अराजपत्रित शिक्षक संघ ने शिक्षा अधिकारियों को घेराव कर जताया था विरोध।
28 ज लाई : प्रोन्नति समिति की बैठक में 324 शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति दिए जाने की सहमति बनी।
11 अगस्त : प्रोन्नति की स्वीकृति के बाद भी पत्र निर्गत नहीं होने पर शिक्षकों के दबाब के बाद शिविर आयोजित कर प्रोन्नति पत्र व पदस्थापन पत्र देने की घोषणा की गई।
14 अगस्त : विभागीय निर्देश का हवाला देते हुए एमपी हाई स्कूल में काउंस¨लग कराई गई। जिसमें प्रोन्नति प्राप्त दिव्यांग, महिला व एक वर्ष के भीतर सेवानिवृत होने वाले शिक्षकों से अधिच्छा प्राप्त कर स्कूल आवंटन करने का निर्णय लिया गया। जिसमें 51 शिक्षक व शिक्षिकाएं शामिल हुई।
14 अगस्त : काउंस¨लग के बाद 16 व 17 अगस्त को होने वाली काउंस¨लग को रद किए जाने की घोषणा की गई। साथ ही वंचित शिक्षकों को 18 अगस्त को प्रोन्नति एवं पदस्थापना पत्र देने का आश्वासन दिया गया।
18 अगस्त : अधिकारियों में अन्तर्कलह शुरू, शिक्षकों को नहीं मिला पदस्थापन पत्र। डीइओ कार्यालय में पहुंचे दो संघ भिड़े। देर शाम को जमकर हुई झड़प।
19 अगस्त : डीपीओ स्थापना व पीओ दिन भर कार्यालय में बैठे रहे, शिक्षकों से भरा रहा डीईओ कार्यालय, नहीं पहुंचे डीईओ। कई शिक्षक की टोली डीईओ को मनाने में जुटे रहे।
24 अगस्त : अराजपत्रित शिक्षक संघ ने किया धरना का एलान, आश्वासन के बाद किया स्थगित।
28 अगस्त : डीपीओ स्थापना प्रेमचंद्र ने डीपीओ सुरेश प्रसाद को दिया स्थापना का प्रभार।
29 अगस्त : अराजपत्रित शिक्षक संघ बैठे सत्याग्रह पर, शिक्षा मंत्री के निर्देश की भनक पर शिक्षा अधिकारियों की मंत्रणा हुई शरू, देर रात तक चली मंत्रणा के बाद भी नहीं बनी सहमति ।
30 अगस्त : शिक्षा मंत्री के निर्देश पर डीएम ने प्रोन्नति को लेकर गठित की तीन सदस्यीय कमेटी।
17 सितंबर : डीएम द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष डीडीसी ने बुलाई बैठक को किया स्थगित।
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