टेट सफल २०११ के अभय्थीओं की मन की बात, आप के साथ.
दोस्तों,आज सभी शिक्षक संघ सरकार से विभिन्न मांगों के लिए प्रयत्न कर रहे है, परंतु इन सभी संगठनो में संवेदना का घोर आभाव है, टेट पास २०११ से अहर्ता परीक्षा पास,योग्य अभय्थीओं के पूर्ण बहाली हेतु कोई
संगठन आगे नहीं आया सबको अपनी वेतनमान की पड़ी है,मान्यवर जरा उनके बारे में सोचिये जो २०११ से मानसिक,सामाजिक,आर्थिक,शोषण के शिकार है ?
जब वेतनमान की लड़ाई हुई और विभिन्न संघो ने हरताल किया और हम सब अनियोजित टेट सफल अभ्यथियों ने उस यज्ञ में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था सभी संघो को सरकार के साथ वार्ता पत्र में भी टेट सफल के बहाली हेतु पत्र मिला भी, परंतु शिक्षक संघो के उदासीनता ( मुख्य वजह अपनी मांगो को प्राथमिकता देने ) के कारण आज भी लगभग ६०-७० हज़ार योग्य युवा अभ्यथी सड़को पर है.क्या यही है मानवता ? कहाँ है संवेदना ?
मुझे तो लगता है की अगर पूर्ण बहाली हेतु सरकार जितनी दोषी है उससे कम ये अनगिनत शिक्षक संघ भी नहीं, जिनमे लोलुपता,और स्वार्थ कूट-कूट कर भरा हुआ है।
दोस्तों,आज सभी शिक्षक संघ सरकार से विभिन्न मांगों के लिए प्रयत्न कर रहे है, परंतु इन सभी संगठनो में संवेदना का घोर आभाव है, टेट पास २०११ से अहर्ता परीक्षा पास,योग्य अभय्थीओं के पूर्ण बहाली हेतु कोई
संगठन आगे नहीं आया सबको अपनी वेतनमान की पड़ी है,मान्यवर जरा उनके बारे में सोचिये जो २०११ से मानसिक,सामाजिक,आर्थिक,शोषण के शिकार है ?
जब वेतनमान की लड़ाई हुई और विभिन्न संघो ने हरताल किया और हम सब अनियोजित टेट सफल अभ्यथियों ने उस यज्ञ में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था सभी संघो को सरकार के साथ वार्ता पत्र में भी टेट सफल के बहाली हेतु पत्र मिला भी, परंतु शिक्षक संघो के उदासीनता ( मुख्य वजह अपनी मांगो को प्राथमिकता देने ) के कारण आज भी लगभग ६०-७० हज़ार योग्य युवा अभ्यथी सड़को पर है.क्या यही है मानवता ? कहाँ है संवेदना ?
मुझे तो लगता है की अगर पूर्ण बहाली हेतु सरकार जितनी दोषी है उससे कम ये अनगिनत शिक्षक संघ भी नहीं, जिनमे लोलुपता,और स्वार्थ कूट-कूट कर भरा हुआ है।