गोपालगंज : चौकिए मत! यह शिक्षा विभाग है. यहां फर्जी प्रमाणपत्रों का भी अनुमोदन कर उसे सही करार दिया गया है. निगरानी की जांच में परत-दर-परत फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है.
टीइटी प्रमाणपत्रों के आधार पर पंचायतों में सबसे अधिक फर्जीवाड़ा हुआ है. पटना हाइकोर्ट के आदेश पर चल रहे शिक्षक नियोजन के फर्जीवाड़े की जांच कर रही निगरानी टीम के सामने कई चौंकानेवाले तथ्य खुल कर आये है. माना जा रहा है कि पंचायत से लेकर प्रखंड नियोजन इकाइयों में डेढ़ हजार से अधिक फर्जी टीइटी प्रमाणपत्रों का अनुमोदन जिला शिक्षा पदाधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर से किया गया है.
डीइओ के हस्ताक्षर और मुहर को देख नियोजन इकाइयों ने फर्जी प्रमाणपत्रों को भी सही मान कर मेधा सूची का प्रकाशन कर दिया. और तो और अधिकतर शिक्षक नियोजन करा कर काम कर रहे हैं.
निगरानी की जांच में सच्चई खुल कर सामने आयी है. डीइओ अशोक कुमार, पीओ अरुण कुमार तथा क्लर्क भी निगरानी की जांच के घेरे में आ गये हैं. इस जांच को प्रभावित करने के लिए शिक्षा माफियाओं ने गोपालगंज से पटना तक अपना नेटवर्क फैला दिया है. फर्जीवाड़ा उजागर होते ही फर्जी शिक्षकों से लेकर अधिकारियों तक में हड़कंप मचा हुआ है.
बैकुंठपुर में अधिक मामला : पंचायतों में स्थिति यह है कि नियोजन इकाई और अभ्यर्थियों ने शिक्षा विभाग से सेटिंग कर प्रमाणपत्र का अनुमोदन कराने के बाद नियोजन कर लिया है.
इसमें सबसे अधिक बैकुंठपुर प्रखंड की पंचायत का मामला सामने आया है. शिक्षा विभाग के एक बाबू की भूमिका की जांच निगरानी के अधिकारी कर रहे हैं. नियोजन के दौरान अजिर्त किये गये अकूत संपत्ति पर भी निगरानी की नजर है.
एक ही प्रमाणपत्र पर दो जगह नौकरी: मांझा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, भड़कुइया में कार्यरत शिक्षिका शालिनी प्रकाश का टीइटी रौल नं-1222118523 है. शालिनी ने मांझा में योगदान किया.
जबकि, उसी रौल नं और सीरियल नंबर पर दूसरा शालिनी प्रकाश के नाम पर कोई अन्य काम कर रहा है, जिसे निगरानी ने फर्जीवाड़ा मानते हुए सामने लाया है. जांच में कई लोगों के शामिल होने की बात सामने आयी है.
क्या कहते हैं डीइओ
जिस प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर की बात कही जा रही है. वह मेरा नहीं है. फर्जी हस्ताक्षर और मुहर हो सकता है. इस फर्जीवाड़े की जांच में सब कुछ खुल कर सामने आ जायेगा. दोषी जो भी होंगे. उन पर कार्रवाई जरूर होगा.
अशोक कुमार, डीइओ, गोपालगंज
गोपालगंज : अब सरकारी स्कूल की बेटियां भी आइआइटीयन बनेंगी. गरीब बेटियों को आइआइटीयन बनने के लिए पैसे उनकी बाधा नहीं बनेगी.
प्रतिभावान छात्राओं को नि:शुल्क आइआइटी की शिक्षा मिलेगी. सीबीएसइ बोर्ड ने देश के सरकारी स्कूलों की छात्राओं को आइआइटीयन बनाने की कवायद शुरू कर दी है.
सीबीएसइ बोर्ड ने अपने कार्यक्रम उड़ान के दूसरे फेज में सरकारी स्कूलों की छात्राओं को आइआइटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए उनका मार्गदर्शन करने के साथ परीक्षा की तैयारी कराने की योजना बनायी है ताकि देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में निजी स्कूलों की तरह सरकारी स्कूल की छात्राएं भी सफलता हासिल कर सकें.
इस उड़ान योजना में केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय तथा अन्य सरकारी विद्यालयों की छात्राएं शामिल हो सकती हैं. चाहे वे किसी भी बोर्ड से संबंधित हों. छात्राओं के चयन के लिए सीबीएसइ की ओर से परीक्षाएं आयोजित होंगी.
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