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बापू के बुनियादी स्कूलों की बुनियाद ही खत्म

विद्यालयों की बुनियाद खत्म हो चुकी है। बच्चों में शुरुआती स्तर से कौशल विकास के लिए खुले ये स्कूल शिक्षकों और संसाधनों की कमी से बेजार हैं। भागलपुर जिले में 14 बुनियादी स्कूलों में 7967 बच्चों का नामांकन है लेकिन अब यहां कौशल विकास सिर्फ नाम का रह गया है।
बुनियादी स्कूलों में पहली से आठवीं तक सभी छात्रों को तकनीकी रूपसे दक्ष किया जाता था मसलन कढ़ाई, बुनाई, सिलाई, कृषि, बढ़ईगिरी जैसी शिक्षा दी जाती थी। लेकिन अब स्कूलों में न तो इन विषयों के शिक्षक बचे हैं और ना ही उपकरण है। पीरपैंती के बुनियादी विद्यालय के प्रभारी हेडमास्टर डॉ इंदू भूषण मिश्र देवेंदु बताते हैं कि हमारे स्कूल में अब आम स्कूलों की तरह ही पढ़ाई होती है। कौशल विकास के कोई उपकरण नहीं हैं। स्थायी हेडमास्टर भी दो साल से नहीं है। कौशल विकास की पढ़ाई तो 15 साल पहले ही बंद हो गई। बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ के नेता राणा कुमार झा ने कहा कि शिक्षकों की कमी से बुनियादी विद्यालय अपनी उपयोगिता खो बैठे। विभाग और सरकार ने इन पर ध्यान नहीं दिया। सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ नसीम अहमद ने बताया कि बुनियादी विद्यालय गांधीजी के द्वारा स्थापित थे। इन स्कूलों में शिक्षक बहाली राज्य से ही होती है। इन स्कूलों में खेल कूद के विकास का भी कार्यक्रम था जो अब बंद हो चुका है। लेकिन जिला शिक्षा पदाधिकारी फूल बाबू चौधरी ने हार नहीं मानी है। उनका कहना है कि बुनियादी विद्यालयों का फिर से उद्धार किया जाएगा। सरकार इसके बारे में कदम उठाने जा रही है। हमने सभी हेडमास्टरों से शिक्षकों की सूची और दूसरी समस्याओं का ब्योरा मांगा है। इसे पटना भेजा जाएगा।

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