बक्सर : जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड अंतर्गत शिक्षकों के नियोजन का मामला इस
समय हॉटकेक बना हुआ है। खासकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार के
विरमित होने से निगरानी जांच के प्रभावित होने की संभावना जताई जाने लगी
है।
सूत्रों का कहना है कि निगरानी को अभी तक 16 बिन्दुओं पर मांगे गए कागजात भी प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई द्वारा नहीं दिया गया है। इस परिस्थिति में यह आशंका जताई जा रही है कि शिक्षकों का नियोजन करने वाले कहीं जांच को भी प्रभावित न करें।हालांकि, जिला शिक्षा पदाधिकारी इससे इनकार करते हैं। उन्होंने बताया कि निगरानी को जरूरत पड़ने पर संजीव कुमार चाहें जहां रहें उनको वह बुला लेगी। ऐसे में जांच प्रभावित नहीं हो सकती है। बहरहाल, जो भी हो यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि निगरानी द्वारा मांगे गए कागजात प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई द्वारा क्यों नहीं दिया जा रहा है। जाहिर सी बात है वहां नियोजन में गड़बड़ी हुई है। प्रथम दृष्टया निगरानी को भी जांच में इसके प्रमाण मिले हैं। बताते चलें कि पिछले दिनों निगरानी डीएपी के नेतृत्व में जांच को पहुंची टीम को वहां दो निर्गत पंजियां मिली हैं। इसके अलावा कन्या मध्य विद्यालय ब्रह्मपुर के तीन शिक्षकों के फर्जी टीईटी प्रमाणपत्रों का खुलासा होने के उपरांत जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा उन्हें बर्खास्त करने और उन पर प्राथमिकी दर्ज कराने तथा वेतन भुगतान की वसूली करने का निर्देश जाने के उपरांत प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा एक शिक्षक के प्रमाणपत्रों की दोबारा जांच की मांग किए जाने पर डीईओ द्वारा भी यह सवाल उठाया गया है कि बीडीओ उक्त शिक्षक को बचा रहे हैं। इन परिस्थितियों के मद्देनजर यह कहना गलत नहीं कि वहां नियोजन में गड़बड़ी हुई है। सबसे बड़ी बात कि नियोजन में गड़बड़ी की आशंका पर ही तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार ने ब्रह्मपुर में 2015 में बहाल 123 शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाई है। बताया जाता है कि उनके द्वारा मांगे गए मार्गदर्शन और बहाली में गड़बड़ी की आशंका जाहिर करने के बाद ही निगरानी ने जांच का बीड़ा उठाया है। इधर, कांग्रेस नेता टी एन चौबे ने बताया कि वहां हुई फर्जी बहाली की जानकारी उनके द्वारा निगरानी को दिए जाने के बाद ही निगरानी की टीम वहां जांच करने पहुंची थी। श्री चौबे ने बताया कि इसमें नियोजन इकाई समेत विभाग के और अधिकारियों की गर्दन फंसने की संभावना है। बहरहाल, मामला जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। फिलहाल, प्रखंड और जिला में यह मामला इस समय हॉटकेक बना हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि निगरानी को अभी तक 16 बिन्दुओं पर मांगे गए कागजात भी प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई द्वारा नहीं दिया गया है। इस परिस्थिति में यह आशंका जताई जा रही है कि शिक्षकों का नियोजन करने वाले कहीं जांच को भी प्रभावित न करें।हालांकि, जिला शिक्षा पदाधिकारी इससे इनकार करते हैं। उन्होंने बताया कि निगरानी को जरूरत पड़ने पर संजीव कुमार चाहें जहां रहें उनको वह बुला लेगी। ऐसे में जांच प्रभावित नहीं हो सकती है। बहरहाल, जो भी हो यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि निगरानी द्वारा मांगे गए कागजात प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई द्वारा क्यों नहीं दिया जा रहा है। जाहिर सी बात है वहां नियोजन में गड़बड़ी हुई है। प्रथम दृष्टया निगरानी को भी जांच में इसके प्रमाण मिले हैं। बताते चलें कि पिछले दिनों निगरानी डीएपी के नेतृत्व में जांच को पहुंची टीम को वहां दो निर्गत पंजियां मिली हैं। इसके अलावा कन्या मध्य विद्यालय ब्रह्मपुर के तीन शिक्षकों के फर्जी टीईटी प्रमाणपत्रों का खुलासा होने के उपरांत जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा उन्हें बर्खास्त करने और उन पर प्राथमिकी दर्ज कराने तथा वेतन भुगतान की वसूली करने का निर्देश जाने के उपरांत प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा एक शिक्षक के प्रमाणपत्रों की दोबारा जांच की मांग किए जाने पर डीईओ द्वारा भी यह सवाल उठाया गया है कि बीडीओ उक्त शिक्षक को बचा रहे हैं। इन परिस्थितियों के मद्देनजर यह कहना गलत नहीं कि वहां नियोजन में गड़बड़ी हुई है। सबसे बड़ी बात कि नियोजन में गड़बड़ी की आशंका पर ही तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार ने ब्रह्मपुर में 2015 में बहाल 123 शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाई है। बताया जाता है कि उनके द्वारा मांगे गए मार्गदर्शन और बहाली में गड़बड़ी की आशंका जाहिर करने के बाद ही निगरानी ने जांच का बीड़ा उठाया है। इधर, कांग्रेस नेता टी एन चौबे ने बताया कि वहां हुई फर्जी बहाली की जानकारी उनके द्वारा निगरानी को दिए जाने के बाद ही निगरानी की टीम वहां जांच करने पहुंची थी। श्री चौबे ने बताया कि इसमें नियोजन इकाई समेत विभाग के और अधिकारियों की गर्दन फंसने की संभावना है। बहरहाल, मामला जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। फिलहाल, प्रखंड और जिला में यह मामला इस समय हॉटकेक बना हुआ है।