पटना : राज्य के
प्रारंभिक स्कूलों के 2.78 लाख नियोजित शिक्षकों के बकायेे वेतन के लिए
सरकार ने 2100 करोड़ रुपये को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है. इसमें केंद्रांश
मद में 1470.18 करोड़ और राज्यांश के रूप में 629.81 करोड़ रुपये मंजूर
किये गये हैं. इस राशि से 2.78 लाख नियोजित शिक्षकों को नवंबर, 2016 से
फरवरी, 2017 तक के वेतन का भुगतान होगा.
केंद्र से सर्वशिक्षा अभियान की
राशि नहीं मिलने के कारण नियोजित शिक्षकों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं
मिल सका है. इसलिए, राज्य सरकार ने केंद्र से राशि मिलने के इंतजार में
अपने मद से केंद्रांश व राज्यांश की राशि मंजूर की है. सर्वशिक्षा अभियान
मद में वित्तीय वर्ष 2016-17 में केंद्रांश के रूप में 5799.16 करोड़ रुपये
मंजूर किये थे.
केंद्र ने दो बार में 2707.98 करोड़
रुपये दिये हैं. वहीं, राज्यांश 3866.11 करोड़ में से 1804.58 करोड़ का
भुगतान हो सका है. वहीं, प्रारंभिक स्कूलों के 66 हजार वैसे नियोजित
शिक्षक, जिन्हें राज्य सरकार अपने मद से वेतन की पूरी राशि देती है उनके
फरवरी, 2017 तक के वेतन की मंजूरी सरकार ने पिछले साल ही दे दी थी.
ओडीएफ वाली पंचायतों को हाइ स्कूल की
प्राथमिकता : कैबिनेट के फैसले के मुताबिक प्रदेश की सभी पंचायतों को खुले
में शौच मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है. इस काम में और तेजी लाने के
मकसद से मंत्रिपरिषद ने फैसला किया है कि जो पंचायतें खुले में शौच से
मुक्त हो जायेंगी, वहां प्राथमिकता के आधार पर प्रति पंचायत एक हाइस्कूल की
स्थापना की जायेगी.
कैबिनेट की बैठक में पटना में डाकबंगला
चौराहे पर आइटी टावर निर्माण का फैसला भी लिया गया. आइटी आधारित उद्योगों
में निवेश के लिए डाकबंगला चौराहे के पास पीपीपी मोड पर आइटी टावर का
निर्माण किया जायेगा. इसमें आइटी के क्षेत्र में निवेश करनेवाली कंपनियों
को जगह दी जायेगी.
पटना में सीवरेज प्लांट के लिए 426.71 करोड़
मंत्रिपरिषद ने पटना शहर के लिए सैदपुर
जोन में 172.50 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क निर्माण के लिए 426.71 करोड़ रुपये
की प्रशासनिक स्वीकृति दी है. इसमें राज्यांश के रूप में 238.67 करोड़
रुपये खर्च होंगे. विश्व बैंक की मदद से राजधानी के बेऊर इलाके में 179.74
किलोमीटर सीवरेज निर्माण के लिए 394.89 करोड़ स्वीकृति दी गयी थी. तीस
फीसदी राज्यांश के रूप में 236.85 करोड़ की राशि खर्च की जायेगी.
छात्रावास निर्माण पर 56.81 करोड़ रुपये होंगे खर्च
मंत्रिपरिषद ने पिछड़ा वर्ग व अतिपिछड़ा
वर्ग कल्याण योजना के तहत सौ बिस्तर वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास
निर्माण योजना के तहत 18 छात्रावास निर्माण के लिए 56.81 करोड़ रुपये खर्च
की अनुमति दी है. इसमें 23.15 करोड़ राज्य पुल निर्माण निगम के कॉरपोरेट
सोशल रिस्पांशब्लिटी के तहत खर्च किये जायेंगे. प्रति छात्रावास निर्माण पर
1.87 करोड़ खर्च होंगे.
राज्य में 2019 तक बनेंगे 4.76 लाख आवास
प्रधाानमंत्री अावास योजना के तहत राज्य
में 2016-17, 2017-18 अौर 2018-19 में चार लाख 76 हजार आवास बनाये जाने को
मंजूरी दी गयी. इसके लिए केंद्र सरकार साठ प्रतिशत और राज्य सरकार चालीस
प्रतिशत राशि खर्च करेगी. 269 वर्ग मीटर की जगह में 25 वर्ग मीटर रसोई के
लिए जगह होगी. सामान्य जिलों में प्रति आवास एक लाख बीस हजार रुपये व नक्सल
प्रभावित 11 जिलों में एक लाख तीस हजार रुपये खर्च किये जायेंगे. सामान्य
जिलों में नब्बे दिनों में तथा नक्सलग्रस्त जिलों में 95 दिनों में आवास
बनाये जायेंगे.शौचालय निर्माण के लिए प्रति आवास 12 हजार रुपये लोहिया
स्वच्छ योजना के तहत दिये जायेंगे.
सड़क के लिए 4450.50 करोड़
मंत्रिपरिषद ने राज्य की विभिन्न सड़कों
के निर्माण के लिए कुल 4450.50 करोड़ की राशि स्वीकृत की है. इसमें
3935.13 करोड़ भारत-नेपाल सीमा के समांतर पूर्वी चंपारण के गोबरिहया से
किशनगंज जिले के गलगलिया तक कुल 552.29 किलोमीटर लंबी दो लेन की सड़क बनाने
पर खर्च होंगे. पावापुरी-पासरावां पथ के लिए 22.34 करोड़, समस्तीपुर जिले
के सिघिंया से हिरणी के चौड़ीकरण पर 25.29 करोड़ तथा नाबार्ड ऋण योजना के
तहत भागलपुर के नौगछिया के निकट कोसी नदी पर पहुंच पथ निर्माण के लिए
467.84 करोड़ खर्च करने की मंजूरी दी गयी है.
कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने सात
निश्चयों के तहत सभी प्रखंडों में कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण
के लिए 152.60 करोड़ की मंजूरी दी है. इसमें प्रत्येक केंद्र पर 28.57 लाख
रुपये खर्च होंगे. चालू वित्तीय वर्ष के लिए इस योजना में 44 करोड़ रुपये
दिये जा रहे हैं.
23 जिलों के लिए ड्रॉप मोर क्रॉप योजना
मंजूर : कैबिनेट की बैठक में राज्य के 23 जिले बांका, बेगूसराय, भागलपुर,
बक्सर, गोपालगंज, कटिहार, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा, रोहतास, सीतामढ़ी, वैशाली,
नवादा, औरंगाबाद, भोजपुर, गया, जहानाबाद, जमुई, लखीसराय, मुंगेर, नालंदा,
पटना, सारण और सीवान में केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई
योजना पर ड्रॉप मोर क्रॉप के तहत
केंद्रांश मद में 29.61 करोड़ और राज्यांश मद में 19.74 करोड़ की लागत पर
जल स्रोत के निर्माण व खेतों तक पानी पहुंचाने के साधन विकसित करने की
योजना को मंजूरी दी गयी. योजना के प्रभावी होने से कृषि पैदावार में वृद्धि
के साथ-साथ भूगर्भ जल स्तर में भी वृद्धि होगी.
आरबीआइ से रजिस्टर्ड नॉन बैंकिंग
कंपनियों को राहत कैबिनेट की बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में राज्य
में कार्यरत वैसी नॉन बैंकिंग कंपनियां जो रिजर्व बैंक से निबंधित हैं,
उन्हें बिहार मनी लाउंड्रिंग एक्ट 1974 के प्रावधानों से मुक्त कर दिया
गया है.
गाइड बांध तक मिट्टी के नये बांध
निर्माण के लिए 62.81 करोड़ की स्वीकृति : उत्तरप्रदेश के अहरौली दान बांध
से बेतिया-गोपलगंज के गाइड बांध तक मिट्टी के नये बांध निर्माण को 62.81
करोड़ की स्वीकृति भी मंत्रिपरिषद ने दी. नदी जोड़ अभियान के तहत कोसी-मेची
लिंक योजना के पर्यावरण प्रभाव का आकलन करने के लिए 34 लाख रुपये खर्च
किये जायेंगे और सेंटर फॉर इवोटेक मैनजमेंट कंसलटेसी को यह काम सौंपा गया
है.
कोसी के पानी का उपयोग अररिया,
पूर्णिया, किशनगंज से कटिहार तक होगा : कोसी-मेची नदी लिंक योजना के तहत
कोसी नदी के पानी की सिंचाई के लिए उपयोग अररिया, पूर्णिया, किशनगंज से
कटिहार तक होगा. इस योजना से दो लाख 10 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य
है.
इसके तहत पूर्वी कोसी मुख्य नहर को मेची
नदी तक 75.2 किलोमीटर बढ़ाया जायेगा. इस पर उनचास सौ करोड़ रुपये खर्च
होंगे. कैबिनेट ने इसके लिए भुवनेश्वर की सेंटर फाॅर इनवोटेक मैनेजमेंट
कंसलटेंसी को पर्यावरण इम्पैक्ट असेसमेंट करने की जिम्मेवारी सौंपी है.
इसके लिए 34 लाख रुपये की मंजूरी दी गयी है. सीएम बागवानी मिशन योजना के
तहत 38.33 करोड़ मंजूर किये गये हैं. इस राशि से फल, सब्जी, फूल, मसाला,
औषधीय पौधे, मखाना और मधुमक्खी पालन योजना को बढ़ावा दिया जायेगा.
पटना : संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों
को वेतन मिलेगा कि नहीं, अब यह फैसला राज्य सरकार करेगी. सुप्रीम कोर्ट के
सरकारी दर्जा नहीं देने के आदेश के बाद प्रदेश भर के 429 विद्यालयों के
शिक्षकों के वेतन के ऊपर खतरा मंडराने लगा है. अब राज्य सरकार इन शिक्षकों
के लिए फैसला लेगी कि इन्हें वेतन दिया जायेगा कि नहीं.
प्रदेश भर के 3861 शिक्षक इसमें शामिल
हैं, जिन्हें सरकारीकरण किया जाना था. वहीं, शिक्षक वेतन नहीं मिलने पर
स्कूल छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं. ज्ञात हो कि 1989 में बिहार सरकार
ने 429 संस्कृत विद्यालयों को नियंत्रण में लेकर सरकारी दर्जा देने की
घोषणा की थी. 429 विद्यालयों को सरकारी दर्जा दिया भी गया. लेकिन, 1992 में
सरकारी दर्जा का अध्यादेश समाप्त हो गया.
इसके बाद सरकार ने शिक्षकों को सरकारी
वेतनमान देने से मना कर दिया. इसके बाद शिक्षक पहले हाइकोर्ट गये.
हाइकोर्ट से शिक्षक जीत गये. लेकिन इसके बाद संस्कृत शिक्षा बोर्ड सुप्रीम
कोर्ट के पास गया. 22 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के पक्ष में फैसला
सुनाया है. शिक्षकों के वेतन पर संकट आने से कई विद्यालयों के शिक्षक
विद्यालय छोड़ने का निर्णय ले रहे हैं. संस्कृत शिक्षक संघ से मिली जानकारी
के अनुसार बिना वेतन के शिक्षक कैसे काम करेंगे. राज्य सरकार को हमारे
बारे में सोचना चाहिए.
अगर सरकार हमें वेतन नहीं देगी तो हम
स्कूल छोड़ देंगे. ज्ञात हो कि इसमें वैसे शिक्षक भी शामिल है जो
सेवानिवृत हो चुके है. शिक्षकों के विद्यालय छोड़ देने से विद्यालय के बंद
हो जाने का भी डर है.
अभी निर्णय नहीं
ये सारे स्कूल अनुदान वाले थे. अनुदान
के रूप में ही हमेशा यहां के शिक्षकों को वेतन दिया जाता रहा है. अब राज्य
सरकार इन शिक्षकों के वेतन को लेकर फैसला लेगी. अभी निर्णय नहीं लिया गया
है. इसमें प्रदेश भर के 3861 शिक्षक शामिल हैं.
पीएन मिश्रा, अध्यक्ष, बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड