सीवान। कार्यालय संवाददाता सीवान जिले के आंदर प्रखंड के पतार पंचायत में नौ सालों से कार्यरत नौ फर्जी शिक्षकों की खबर हिन्दुस्तान अखबार में छपने के बाद डीपीओ स्थापना ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से ऐसे शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है।
यह खबर हिन्दुस्तान में एक नवंबर को प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। जिन शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाई गई है, उनमें मनोज कुमार सिंह, सीमा कुमारी, अतुल कुमार सिंह, जयंती त्रिपाठी, सविता सिंह, वीरेन्द्र कुमार सिंह, सुनील कुमार प्रसाद, पिंकी कुमारी व मुकेश कुमार राम शामिल है।
एक अन्य आवेदक मनोज कुमार सिंह ने 31 अक्टूबर को डीपीओ स्थापना को आवेदन देकर ऐसे शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाने व जांच कर हटाने की मांग की थी। इसमें कहा गया था कि 2006-07 में शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया शुरू की गई। उस दौरान मनोज कुमार सिंह व गौतम सिंह आवेदक थे। आवेदन पत्र की प्राप्ति रसीद उन्हें मिली, लेकिन मेधा सूची जारी की गई तो उस समय दोनों के नाम सूची से गायब थे। फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर आवेदन करने वालों के नाम सूची में शामिल कर दिये गये। आपत्ति जताने के बाद अमान्य संस्था वाले प्रमाणपत्र के आधार पर नियोजन कर दिया गया। आरक्षण रोस्टर का ख्याल नहीं रखा गया। आवेदन में आरोप लगाया गया कि उर्दू शिक्षक के पद पर सामान्य शिक्षक की बहाली कर दी गई। आवेदन में नौ शिक्षकों की सूची सौंपी गई है। इसमें कहा गया है कि अमान्य संस्था के फर्जी प्रमाणपत्र पर कार्यरत हैं। उनका वेतन भुगतान हो रहा है। जांच के लिए आवेदन पत्र के साथ 2006 के रजिस्टर की छाया प्रति, आवेदन पंजी की छाया प्रति,नियोजन के लिए कार्यवाही की छाया प्रति व चयनित अभ्यर्थियों से संबंधित रजिस्टर की छाया प्रति शामिल है।
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यह खबर हिन्दुस्तान में एक नवंबर को प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। जिन शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाई गई है, उनमें मनोज कुमार सिंह, सीमा कुमारी, अतुल कुमार सिंह, जयंती त्रिपाठी, सविता सिंह, वीरेन्द्र कुमार सिंह, सुनील कुमार प्रसाद, पिंकी कुमारी व मुकेश कुमार राम शामिल है।
एक अन्य आवेदक मनोज कुमार सिंह ने 31 अक्टूबर को डीपीओ स्थापना को आवेदन देकर ऐसे शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाने व जांच कर हटाने की मांग की थी। इसमें कहा गया था कि 2006-07 में शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया शुरू की गई। उस दौरान मनोज कुमार सिंह व गौतम सिंह आवेदक थे। आवेदन पत्र की प्राप्ति रसीद उन्हें मिली, लेकिन मेधा सूची जारी की गई तो उस समय दोनों के नाम सूची से गायब थे। फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर आवेदन करने वालों के नाम सूची में शामिल कर दिये गये। आपत्ति जताने के बाद अमान्य संस्था वाले प्रमाणपत्र के आधार पर नियोजन कर दिया गया। आरक्षण रोस्टर का ख्याल नहीं रखा गया। आवेदन में आरोप लगाया गया कि उर्दू शिक्षक के पद पर सामान्य शिक्षक की बहाली कर दी गई। आवेदन में नौ शिक्षकों की सूची सौंपी गई है। इसमें कहा गया है कि अमान्य संस्था के फर्जी प्रमाणपत्र पर कार्यरत हैं। उनका वेतन भुगतान हो रहा है। जांच के लिए आवेदन पत्र के साथ 2006 के रजिस्टर की छाया प्रति, आवेदन पंजी की छाया प्रति,नियोजन के लिए कार्यवाही की छाया प्रति व चयनित अभ्यर्थियों से संबंधित रजिस्टर की छाया प्रति शामिल है।