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शिक्षकों को चार माह से वेतन नहीं

पटना : राज्य के हाइ व प्लस टू स्कूलों के करीब 33 हजार नियोजित शिक्षकों व 1800 पुस्तकालयाध्यक्षों को पिछले चार माह से (मार्च-जून) वेतन नहीं मिल सका है. जिलों से वित्तीय वर्ष 2014-15 का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं आने से वित्त विभाग में वेतन पर सहमति की फाइल अब तक अटकी हुई है. शिक्षा विभाग के बार-बार निर्देश के बाद भी सभी जिलों से अब तक उपयोगिता प्रमाण पत्र की रिपोर्ट नहीं आ सकी है. इस मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी हस्तक्षेप करना पड़ा. पिछले दिनों उन्होंने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डाॅ डीएस गंगवार को अपने आवास पर बुला कर इस मामले की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली और 10 दिनों के अंदर मामले का निराकरण कर वेतन भुगतान की कार्रवाई सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. 
 
 मुख्यमंत्री ने सख्त रूप से निर्देश दिया है कि अगर जिलों से उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिलता है, तो संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. इसके बाद शिक्षा विभाग ने जिलों से उपयोगिता प्रमाणपत्र लेने के लिए फिर से शिड्यूल निकाला है. शनिवार को पटना, नालंदा, भोजपुर, रोहतास, बक्सर, कैमूर, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, नवादा व गया से उपयोगिता प्रमाणपत्र लिया गया. 
 
वहीं, 18 जुलाई को वैशाली, शिवहर,सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी व समस्तीपुर से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट लिया जायेगा. 19 जुलाई को छपरा, गोपालगंज, सीवान, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, खगड़िया, बेगूसराय, भागलपुर व बांका जिलों 
 
का, वहीं, 20 जुलाई को पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल व मधेपुरा जिलों से उपयोगिता प्रमाणपत्र लिया जायेगा. विभाग के प्रधान सचिव डाॅ डीएस गंगवार ने सख्त रूप से निर्देश दिया है कि अगर निर्धारित तारीख तक जिलों से उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिला, तो फिलहाल तो सिर्फ डीइओ-डीपीओ का वेतन ही रुका हुआ है, अागे विभागीय कार्रवाई भी की जायेगी.
 
पटना.राज्य के सरकारी स्कूलों का स्वयं सहायता समूह (जीविका) की दीदी औचक निरीक्षण करेंगी. ये स्कूल की शैक्षणिक स्थिति से लेकर सरकार की चल रही योजनाओं का लाभ बच्चों को मिल पा रहा है या नहीं और शिक्षकों-बच्चों की उपस्थिति का निरीक्षण करेगी. 
 
शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है. निरीक्षण में जीविका से जुड़ी ग्राम संगठन की अध्यक्ष और उपाध्यक्ष समेत पांच सदस्यीय टीम को भेजने की योजना तय की जा रही है. इसके लिए  जिलों को बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् की ओर से आदेश भी भेजा जा रहा है. जीविका की दीदी स्कूलों में जाकर वहां की सभी प्रकार की स्थिति का जायजा लेगी.  इसके लिए विभाग की ओर से एक फॉर्मेट तैयार किया गया है. जीविका की टीम स्कूलों के खुलने और बंद होने के जांच करने पहुंचेंगी. जिस गांव में उन्हें निरीक्षण का जिम्मा दिया जायेगा, वहां वे दो बार औचक निरीक्षण करेंगी. 
 
स्कूल के बच्चों से हर दिन स्कूल खुलने व बंद होने का जानकारी भी लेगी. साथ ही कौन शिक्षक नियमित आते हैं, कौन देर से और कौन शिक्षक बहुत कम स्कूल आते हैं, उनका भी डाटा जुटायेगी. निरीक्षण के दिन अगर बिना सूचना के कोई शिक्षक गायब रहते हैं तो उनके वेतन रोकने की भी अनुशंसा वह करेगी. जांच टीम बच्चों की उपस्थिति पर भी ध्यान देगी और स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति सुनिश्चित करायेगी. अगर कोई बच्चा सरकारी स्कूल में नामांकित है और वह निजी स्कूल में पढ़ता है तो वैसे बच्चों का नाम भी उस स्कूल से कटवाने की अनुशंसा करेगी. इसके अलावा जांच टीम स्कूल में बने मिड डे मील की गुणवत्ता भी जांचेगी. कितने बच्चों का भोजन बन रहा है, कितने बच्चे खा रहे हैं और मेनू के आधार पर बन हा है या नहीं और भोजन की क्वालिटी कैसी है?
जीविका दीदी की समितियों की रिपोर्ट की समीक्षा हर महीने संकुल स्तर पर  होगी. इसमें ग्राम संगठन के दो सदस्य भी रहेंगे. उन्हें जांच की कॉपी बैठक  में लेकर आना होगा. अगस्त महीने में ही ग्राम संगठन समिति  का प्रशिक्षण करा लिया जायेगा. इस काम से जिला स्तर पर जिला शिक्षा  पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भी जोड़ा जायेगा. 
 

शिक्षकों को चिह्नित कर करेंगी दंडित : शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि जीविका की दीदी स्कूलों का औचक निरीक्षण करेगी. किसी स्कूल में अगर पांच शिक्षक हैं और तीन आते हैं, तो बाकि दो पर कार्रवाई होगी. ऐसे शिक्षकों को चिह्नित कर सरकार दंडित करेगी. इस काम के लिए लोगों को भी जागरुक होना होगा, जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं. सरकार की नियत साफ है, शिक्षा देना चाहती है. शिक्षा के प्रति सभी में जागरुकता आए इसके लिए वे सीमांचल से पदयात्रा भी शुरू कर रहे हैं. अगर सभी जागरुक हो गये तो जो दो शिक्षक स्कूल नहीं आते हैं वे भी गैर हाजिर नहीं रहेंगे.
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