दरभंगा। हाल
ही में प्रदेश में शिक्षा को लेकर इतनी बड़ा खुलासा हुआ है। जिसने बिहार
में शिक्षा पुरोधाओं की पोल खोल कर रख दी है। मैट्रिक और इंटर की परीक्षा
में जिस कदर कदाचार और धांधली की तस्वीरें सामने आई हैं, उसने प्रदेश की
छवि धूमिल कर दी है। इसके इतर एक तस्वीर ऐसी भी है कि जिसने शिक्षआ की लाज
रख ली है।
हम आपको बता
रहे हैं कि इंटर टॉपर स्कैम को लेकर बिहार की छवि जो धूमिल हुई उसकी भरपाई
करना मुश्किल है, लेकिन उसमें सुधार के लिए किस स्तर से प्रयास किए जा सकते
हैं, इसकी एक बानगी जरूर दिखा सकते हैं। बिहार-यूपी सीमा पर खुले आसमां के
नीचे चल रहा यह स्कूल शिक्षा विभाग को मुंह चिढा रहा है। बगहा के पिपरासी
प्रखंड के सेमरा-लबेदहा का यह विद्यालय पूरी तरह मौसम के मिजाज पर चलता है।
यह हर बिगड़े मौसम में बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है। अभिभावकों ने इस खुली पाठशाला में एक झोपड़ी तो बनायी है मगर वो भी नाकाफी साबित हो रही है। पिपरासी के बीडीओ रघुवर प्रसाद का कहना है कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित में जानकारी दी गई है, लेकिन अभी तक हल नहीं निकला है।
हालांकि स्कूल में 250 बच्चे पढ़ते हैं और कुल 4 टीचर हैं। स्कूल के लिए गांव में पांच कट्ठा जमीन भी आवंटित हैं लेकिन फिर भी लालफीताशाही के कारण स्कूल का निर्माण नहीं हो सका है। फिर भी यहां बच्चों में पढ़ने के लेकर जो ललक है वह देखते ही बनती है।
जानकारी के अनुसार यह स्कूल दो दशक पहले शुरु हुआ था। दियारा के इस गांव के लोगों ने हर घर में शौचालय का निर्माण कराकर बिहार में पहला खुले में शौचमुक्त गांव बनने का सपना पूरा किया। किसी ने सपने में नहीं सोचा होगा बगहा के सुदूर गांव का यह स्कूल तो उदाहरण है। ऐसे ही कई विद्यालय है जहां भगवान भरोसे बच्चे अपने तरक्की के लिए सपने देख कर उड़ान की कोशिश में है। अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, शिक्षा सचिव डी एस गंगवार बगहा के इस स्कूल को अपनी बिल्डिंग दिलाने में मदद करेंगे या नहीं , हालांकि सीएम अपने भाषणों में यह जरूर कहते फिर रहे हैं कि बिहार को जो नजारा बीते दिनों दिखा, बाकी बच्चे ऐसे नहीं हैं।
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यह हर बिगड़े मौसम में बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है। अभिभावकों ने इस खुली पाठशाला में एक झोपड़ी तो बनायी है मगर वो भी नाकाफी साबित हो रही है। पिपरासी के बीडीओ रघुवर प्रसाद का कहना है कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित में जानकारी दी गई है, लेकिन अभी तक हल नहीं निकला है।
हालांकि स्कूल में 250 बच्चे पढ़ते हैं और कुल 4 टीचर हैं। स्कूल के लिए गांव में पांच कट्ठा जमीन भी आवंटित हैं लेकिन फिर भी लालफीताशाही के कारण स्कूल का निर्माण नहीं हो सका है। फिर भी यहां बच्चों में पढ़ने के लेकर जो ललक है वह देखते ही बनती है।
जानकारी के अनुसार यह स्कूल दो दशक पहले शुरु हुआ था। दियारा के इस गांव के लोगों ने हर घर में शौचालय का निर्माण कराकर बिहार में पहला खुले में शौचमुक्त गांव बनने का सपना पूरा किया। किसी ने सपने में नहीं सोचा होगा बगहा के सुदूर गांव का यह स्कूल तो उदाहरण है। ऐसे ही कई विद्यालय है जहां भगवान भरोसे बच्चे अपने तरक्की के लिए सपने देख कर उड़ान की कोशिश में है। अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, शिक्षा सचिव डी एस गंगवार बगहा के इस स्कूल को अपनी बिल्डिंग दिलाने में मदद करेंगे या नहीं , हालांकि सीएम अपने भाषणों में यह जरूर कहते फिर रहे हैं कि बिहार को जो नजारा बीते दिनों दिखा, बाकी बच्चे ऐसे नहीं हैं।