मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की अगले सप्ताह पदोन्नति को
लेकर होने वाली बैठक को लेकर माहौल गर्मा गया है। बूस्टा ने विश्वविद्यालय
प्रशासन पर मनमानी नीति अपनाने का आरोप लगाया है। इस संबंध में बूस्टा
अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह की अगुवाई में लंगट सिंह कॉलेज शिक्षक संघ का
प्रतिनिधिमंडल कुलानुशासक डॉ. सतीश कुमार राय से मिला।
संघ के अध्यक्ष डॉ. अवधेश कुमार सिंह, सचिव डॉ. प्रमोद कुमार सिंह के साथ अन्य प्राध्यापक थे।
बातचीत के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने पदोन्नति को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज की। कहा कि यह नीति विवेकपूर्ण नहीं है। यह कहना कि सरकार के आदेश से विश्वविद्यालय बंधा हुआ है। इस पर कहा गया कि यह कौन सी नीति है, जिसमें 150 शिक्षक बिना पदोन्नति के रिटायर हो गए। अभी 250 प्राध्यापकों की पदोन्नति रुकी हुई है। कुल 400 प्राध्यापकों के भविष्य का सवाल है।
सेवा काल में दो प्रमोशन अनिवार्य
प्राध्यापक सेवा नियमावली के तहत एक प्राध्यापक की कुल सेवा काल में दो प्रमोशन अनिवार्य है। पहला रीडर व दूसरा प्रोफेसर। ऐसा समयबद्ध पदोन्नति की नीति के तहत है। लेकिन, इसका पालन नहीं हुआ है।
आपत्ति का मुद्दा
संघ के नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने समयबद्ध पदोन्नति को अपने एजेंडे से हटा दिया है। इस मामले में राजभवन के निर्देश को भी विश्वविद्यालय ने नजरअंदाज कर दिया। इस मामले में शिक्षा विभाग के निर्देश की विश्वविद्यालय दुहाई दे रहा है। संघ का तर्क यही है कि विश्वविद्यालय अपनी सुविधानुसार राजभवन या शिक्षा विभाग के आदेश का पालन करता है।
नहीं चलने देंगे मनमानी
संघ के नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय की यह मनमानी चलने नहीं दी जाएगी। अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि शुक्रवार को एमडीडीएम कॉलेज शिक्षक संघ का प्रतिनिधिमंडल यहां आकर मिलेगा। इस तरह सिलसिला चलता रहेगा। मांग नहीं मानी तो आंदोलन भी होगा।
केंद्रीय मंत्री का पहला प्रमोशन
मुजफ्फरपुर : कुलानुशासक डॉ. सतीश कुमार राय ने बताया कि केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का पहला प्रमोशन उच्च वेतनमान का है। इसके लिए उन्हें साक्षात्कार के लिए आना नहीं पड़ेगा। उन्हें जानकारी दी गई है कि पदोन्नति की सूची में उनका नाम भी है। कुशवाहा जंदाहा के समता डिग्री कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक हैं।
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संघ के अध्यक्ष डॉ. अवधेश कुमार सिंह, सचिव डॉ. प्रमोद कुमार सिंह के साथ अन्य प्राध्यापक थे।
बातचीत के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने पदोन्नति को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज की। कहा कि यह नीति विवेकपूर्ण नहीं है। यह कहना कि सरकार के आदेश से विश्वविद्यालय बंधा हुआ है। इस पर कहा गया कि यह कौन सी नीति है, जिसमें 150 शिक्षक बिना पदोन्नति के रिटायर हो गए। अभी 250 प्राध्यापकों की पदोन्नति रुकी हुई है। कुल 400 प्राध्यापकों के भविष्य का सवाल है।
सेवा काल में दो प्रमोशन अनिवार्य
प्राध्यापक सेवा नियमावली के तहत एक प्राध्यापक की कुल सेवा काल में दो प्रमोशन अनिवार्य है। पहला रीडर व दूसरा प्रोफेसर। ऐसा समयबद्ध पदोन्नति की नीति के तहत है। लेकिन, इसका पालन नहीं हुआ है।
आपत्ति का मुद्दा
संघ के नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने समयबद्ध पदोन्नति को अपने एजेंडे से हटा दिया है। इस मामले में राजभवन के निर्देश को भी विश्वविद्यालय ने नजरअंदाज कर दिया। इस मामले में शिक्षा विभाग के निर्देश की विश्वविद्यालय दुहाई दे रहा है। संघ का तर्क यही है कि विश्वविद्यालय अपनी सुविधानुसार राजभवन या शिक्षा विभाग के आदेश का पालन करता है।
नहीं चलने देंगे मनमानी
संघ के नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय की यह मनमानी चलने नहीं दी जाएगी। अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि शुक्रवार को एमडीडीएम कॉलेज शिक्षक संघ का प्रतिनिधिमंडल यहां आकर मिलेगा। इस तरह सिलसिला चलता रहेगा। मांग नहीं मानी तो आंदोलन भी होगा।
केंद्रीय मंत्री का पहला प्रमोशन
मुजफ्फरपुर : कुलानुशासक डॉ. सतीश कुमार राय ने बताया कि केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का पहला प्रमोशन उच्च वेतनमान का है। इसके लिए उन्हें साक्षात्कार के लिए आना नहीं पड़ेगा। उन्हें जानकारी दी गई है कि पदोन्नति की सूची में उनका नाम भी है। कुशवाहा जंदाहा के समता डिग्री कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक हैं।
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