सरकार शिक्षकों को बनाएगी संवेदनशील , इन बदलावों की है उम्मीद

पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरो शिक्षा विभाग राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को उनके विद्यालयों के बच्चों के प्रति और संवेदनशील बनाएगा। इसके लिए शिक्षकों का एक विशेष प्रशिक्षण होगा। शिक्षकों में क्षमता विकास के लिए पांच दिवसीय विद्यालय तत्परता प्रशिक्षण माड्यूल बनकर पहले से तैयार है।

शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक कुमार चौधरी ने इस पर अमल की स्वीकृति प्रदान कर दी है। विदित है कि विद्यालय तत्परता प्रशिक्षण माड्यूल बालभवन किलकारी द्वारा तैयार ‘चहक कार्यक्रम पर आधारित है। पटना के कई विद्यालयों में प्रयोग के तौर पर इसे आजमाने के बाद राज्य शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद ने ‘विद्यालय तत्परता प्रशिक्षण माड्यूल का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को सौंपा था। विभाग ने इस शिक्षक प्रशिक्षण के लिए 4 करोड़ 12 लाख 85 हजार रुपए प्रदान कर दिये हैं। पहले चरण में 21 जिलों में शिक्षकों का प्रशिक्षण इस माड्यूल के तहत किया जाएगा। शेष 17 जिलों में अगले चरण में शिक्षक प्रशिक्षित किये जाएंगे। गुणवत्ता शिक्षा के तहत यह पहल की जा रही है। इस ट्रेनिंग के तहत विद्यालय तत्परता कार्यक्रम प्रशिक्षण, कला समेकित अधिगम प्रशिक्षण और शिक्षा में खेल संबंधी गुर शिक्षकों को दिये जाएंगे। इसके लिए जिलों में पहले मास्टर ट्रेनर तैयार होंगे। यहीं ट्रेनर शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।
इस पर होगा फोकस
बच्चों को सीखने का अधिकाधिक अवसर मिले। शिक्षक बच्चों से ऐसा संबंध विकसित करे कि उसका मन विद्यालय में रमे। बल्कि घर से बेहतर महसूस हो। शिक्षण की प्रणाली, शिक्षकों का व्यवहार, वातावरण, कक्षा की प्रक्रियाएं, अध्ययन एवं सहायक सामग्री बच्चों के लिए रोचक, आकर्षक एवं आनंददायी हो। यह सब बच्चों को विद्यालय में ठहराव सुनिश्चित करेंगे।
क्या होगा ट्रेनिंग का माध्यम
शिक्षकों की पांच दिवसीय ट्रेनिंग मुख्यत: तीन बातों पर केंद्रित होगी। शिक्षक चहक की उन गतिविधियों से परिचित होंगे जो बच्चों को आकर्षित करने में सहायक बनेंगे। शिक्षकों को अपने-अपने विद्यालयों के बच्चों के प्रति संवेदनशील बनाने की कोशिश होगी। शिक्षकों में ऐसे कौशल का विकास किया जाएगा जिससे वे विद्यालय आने वाले बच्चों के साथ विभिन्न गतिविधियां संचालित कर सकें।
इन बदलावों की है उम्मीद
शिक्षकों के इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण से विद्यालय आने वाले बच्चों में ठहराव बढ़ने की उम्मीद है। शिक्षकों और बच्चों के बीच अपनापन बढ़ेगा। बच्चे विद्यालय आने के लिए इच्छुक होंगे। इन सबों का प्रभाव उनके सीखने -सिखाने पर होगा।