पटना: आज शिक्षक दिवस है. शायद बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के मुद्दे पर महत्वपूर्ण फैसला आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होगी. इस फैसले को लेकर राज्य के नियोजित शिक्षकों की निगाहें टिकी है.
इधर, बिहार माध्ममिक शिक्षक संघ ने 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का बहिष्कार करने का फैसला किया है. माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में बहस से शिक्षकों में एक उम्मीद जगी थी कि उन्हें उचित सम्मान मिलेगा. लेकिन सरकार उन्हें सम्मान देने के बजाय उनका विरोध कर रही है.
उन्होंने केंद्र सरकार को भी घेरते हुए कहा कि 5 सिंतबर शिक्षकों के लिए सम्मान का दिन होता है. ऐसे में केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल उसी दिन शिक्षकों के विरोध में अपना पक्ष रखेंगे. ऐसे में शिक्षक दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है.
बता दें कि, कोर्ट ने इस मसले पर अब तक राज्य सरकार का पक्ष सुना है. अब शिक्षक संगठनों के वकील अपना पक्ष रख रहे हैं. समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पटना हाई कोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था. इसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इससे पहले केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन का विरोध किया था.
सरकार के हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है. कोर्ट में पूर्व में सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने यह कहा है कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है.