Video: बिहार मे है एक एेसा अनोखा स्कूल, जहां टीचर्स दो, स्टूडेंट्स तीन, है ना नाइंसाफी ...जानिए
गया [रंजन कुमार]। बिहार के गया से लगभग 20 किलोमीटर
दूर खिजरसराय प्रखंड में स्टेट हाई वे के किनारे एक गांव है मनसा बिगहा।
इस गांव में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जिसमें हर रोज सिर्फ तीन छात्र, एक
पहली क्लास की छात्रा जाह्नवी और चौथी क्लास के ऋषि और शशि ही पढ़ने के लिए
आते हैं। इन तीन छात्रों को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक भी स्कूल पहुंचते
हैं। अनूठा है स्कूल, यहां हैं सारी सुविधाएं
इतना ही नहीं, स्कूल में मिड डे मील योजना के तहत रसोइया इन तीन छात्रों
के लिए भोजन भी बनाती है। पहले तो मात्र एक ही छात्रा स्कूल में पढ़ने आती
थी, लेकिन बहुत कहने पर अब गांव के लोगों ने दो छात्रों को भी स्कूल भेजना
शुरू किया है। है ना अनोखा स्कूल, जहां एक छात्रा के लिए थे दो शिक्षक।
मनसा बिगहा का ये प्राथमिक विद्यालय अनूठा है। चार कमरों वाले स्कूल की
दो मंजिली बिल्डिंग में पढ़ने आने वाले छात्र सिर्फ तीन है। स्कूल में
शौचालय, चापाकल, किचन शेड के अलावा एक अतिरिक्त क्लास रूम भी है, नहीं हैं
तो सिर्फ यहां पढ़ने वाले छात्र।
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स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका प्रियंका का कहना है कि यह इस
विद्यालय का दुर्भाग्य है कि यहां मात्र नौ छात्र नामांकित हैं, जिनमें से
प्रथम वर्ग में नामांकित जाह्नवी कुमारी और चौथी के शशि और ऋषि ही केवल
यहां पढ़ने आते है। सरकारी स्कूल नहीं पसंद है लोगों को, प्राइवेट का है बोलबाला
ऐसा नहीं है कि 35 परिवारों वाली मनसा बिगहा बस्ती के अन्य बच्चे पढ़ते
नहीं हैं। अनुमंडल मुख्यालय खिजरसराय के पास होने के कारण वहां के बच्चे
प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने चले जाते हैं, कोई सरकारी स्कूल में अपने बच्चे
को पढ़ने के लिए नहीं भेजना चाहता।
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#bihar के गया जिले का एक ऐसा school जहां students तीन- शिक्षक दो, जानकर आप भी कहेंगे... बहुत नाइंसाफी है। देखें वीडियो pic.twitter.com/ZzAro9Lc1u
— kajal lall (@lallkajal)
February 5, 2020
खिजरसराय की प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मंजू कुमारी कहती हैं कि अभिभावक
अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजते हैं। इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों
को दी गयी है। इस स्कूल को अन्य स्कूल में सामंजित करने का प्रस्ताव पूर्व
के बी ई ओ के द्वारा भी जिला मुख्यालय में दिया जा चुका है।
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घर-घर जाकर शिक्षक कहते हैं-हमारे स्कूल में भेजिए ना...
प्रियंका कुमारी कहती हैं कि इसी स्कूल में नामांकित अन्य छात्रों के
अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें पढ़ने भेजने का अनुरोध किया जाता है। पर वे
दिलचस्पी नहीं लेते हैं। इस स्कूल में एक नियोजित शिक्षक संजय कुमार को
प्रतिनियोजित किया गया हैं। हम दोनों नियमित रूप से स्कूल आते हैं और
उपस्थित छात्रों को पढ़ाते हैं।
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पहले एक ही छात्रा आती थी, अब तीन बच्चे पढ़ते हैं
शिक्षक संजय कुमार बताते है कि बी ई ओ के द्वारा निर्देश के बाद हमलोग
गांव में रोजाना घूम कर बच्चों के अभिभावकों से मिलकर उन्हें विद्यालय
भेजने के किये प्रेरित करते हैं। कुछ लोगो ने उनकी बात मान कर अब तीन
छात्रों को विद्यालय भेजना शुरू कर दिया है। पहले सिर्फ एक छात्रा ही
विद्यालय में पढ़ने आती थी। पास के स्कूलों में पढ़ने जाते हैं छात्र, यहां नहीं आते
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वहीं पास के एक निजी मिडिल स्कूल और एक प्राइमरी स्कूल साधुनगर में
क्रमशः ढाई सौ और पचहतर बच्चे पढ़ते हैं।प्रधानाध्यापक प्रियंका ने बताया
कि गांव के लगभग सभी परिवार सम्पन्न हैं। इस गांव से खिजरसराय प्रखंड
मुख्यालय की दूरी महज एक किमी है। ऐसे में संपन्न वर्ग के लोग अपने बच्चों
को निजी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए भेज देते हैं।
पूर्व में महादलित टोले से छात्र यहां पढ़ने आते थे। लेकिन अब 1 किलोमीटर
की परिधि में एक मध्य विद्यालय और दो प्राथमिक विद्यालय का संचालन किया जा
रहा है।इसके अलावे कई निजी विद्यालय भी संचालित किये जा रहे हैं।
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प्रधानाध्यापिका प्रियंका कुमारी ने बताया कि वर्ष 2015 में भी मात्र 12
छात्र नामांकित थे। पिछले दिनों प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने जिला में पत्र
लिखकर इस विद्यालय को पास के किसी दूसरे विद्यालय में सामंजन करने की मांग
की थी। अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं हुई। लोगों को सरकारी स्कूल में भेजने को कर रहे प्रोत्साहित
खिजरसराय के संकुल समन्वयक रंजय कुमार ने बताया कि छात्रों और उनके
परिजनों को सरकारी विद्यालय में पढ़ने आने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा
है। गांव में घूमकर इसके लिए ग्रामीणों के साथ बैठक भी की गई है।ग्रामीणों
ने अगले सत्र से छात्रों का नामांकन इस विद्यालय में करवाने का भरोसा भी
दिया है।