नई दिल्ली.
बिहार हमेशा से तरह-तरह के विचित्र कारनामों के लिए चर्चित रहा है, लेकिन
इस बार यहां की प्रशासनिक व्यवस्था का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने
लोगों को अचंभित कर दिया है.
दरअसल बिहार के एक शिक्षक को देश की सर्वोच्च न्यायालय से बहुत बड़ी राहत मिली है. इस शिक्षक को अपनी नियुक्ति से लेकर रिटायरमेंट तक कभी भी शिक्षा विभाग से वेतन नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया है कि शिक्षक को उनकी नियुक्ति की तारीख से लेकर रिटायरमेंट तक के सभी भुगतान तत्काल किये जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के एक सेवानिवृत्त शिक्षक को बड़ी राहत दी है. गोपाल कृष्ण गोखले नामक इस शिक्षक को नियुक्ति से लेकर सेवानिवृत्ति तक कभी वेतन ही नहीं मिला था. अब शीर्ष अदालत ने उनके पूरे वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया है.
यह है बिहार की प्रशासनिक निरंकुश कार्यप्रणाली का मामला
बिहार के सलेमपुर स्थित भरत मिश्रा संस्कृत कॉलेज में जुलाई 1980 में गोखले की नियुक्ति हुई थी और वह जुलाई 2013 में रिटायर हो गए थे. 72 वर्षीय गोखले के वकीलों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कॉलेज प्रबंधन उनके बकाए भुगतान को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है. उनके एक अन्य वकील ने बताया कि एक अन्य प्रवक्ता से कानूनी लड़ाई के चलते गोखले के बकाए का भुगतान नहीं हो सका है.
यहां फंसा नौकरी का पेंच
दरअसल, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध इस कॉलेज में 31 जुलाई, 1980 को गोखले के साथ ही प्रेम कुमारी की नियुक्ति भी प्रवक्ता पद पर हुई थी. विज्ञापन एक पद इतिहास के प्रवक्ता के लिए निकला था. प्रेम कुमारी की नियुक्ति इतिहास के प्रवक्ता के पद पर हुई थी. उसी दिन कॉलेज की प्रबंधन समिति ने गोखले की नियुक्ति भी कर दी थी. प्रेम कुमारी का कहना था कि गोखले अर्थशास्त्र के प्रवक्ता थे, जिसका विज्ञापन ही नहीं निकला था.
रजिस्ट्रार ने कर दिया था अस्थायी
उनका यह भी कहना था कि विश्वविद्यालय से गोखले की नियुक्ति को कभी मंजूरी ही नहीं मिली, जबकि, गोखले ने प्रेम कुमारी की नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा था कि नियुक्ति के समय वह पोस्ट ग्र्रेजुएट भी नहीं थी. बाद में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने गोखले की नियुक्ति को रद कर उसे अस्थायी कर दिया था. उन्होंने इसे कोर्ट में चुनौती दी.
जांच के बाद कोर्ट ने सुनाया हक में फैसला
कोर्ट के आदेश पर जांच हुई, जिसके बाद कुलपति ने प्रेम कुमारी की नियुक्ति को 2013 में रद्द कर उनसे वेतन की वसूली का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने गोखले के साथ ही प्रेम कुमारी को भी राहत दी है. शीर्ष अदालत ने प्रेम कुमारी को दोबारा नियुक्त करने और उन्हें बकाया वेतन समेत सभी तरह के लाभ भी देने का आदेश दिया है.
दरअसल बिहार के एक शिक्षक को देश की सर्वोच्च न्यायालय से बहुत बड़ी राहत मिली है. इस शिक्षक को अपनी नियुक्ति से लेकर रिटायरमेंट तक कभी भी शिक्षा विभाग से वेतन नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया है कि शिक्षक को उनकी नियुक्ति की तारीख से लेकर रिटायरमेंट तक के सभी भुगतान तत्काल किये जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के एक सेवानिवृत्त शिक्षक को बड़ी राहत दी है. गोपाल कृष्ण गोखले नामक इस शिक्षक को नियुक्ति से लेकर सेवानिवृत्ति तक कभी वेतन ही नहीं मिला था. अब शीर्ष अदालत ने उनके पूरे वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया है.
यह है बिहार की प्रशासनिक निरंकुश कार्यप्रणाली का मामला
बिहार के सलेमपुर स्थित भरत मिश्रा संस्कृत कॉलेज में जुलाई 1980 में गोखले की नियुक्ति हुई थी और वह जुलाई 2013 में रिटायर हो गए थे. 72 वर्षीय गोखले के वकीलों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कॉलेज प्रबंधन उनके बकाए भुगतान को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है. उनके एक अन्य वकील ने बताया कि एक अन्य प्रवक्ता से कानूनी लड़ाई के चलते गोखले के बकाए का भुगतान नहीं हो सका है.
यहां फंसा नौकरी का पेंच
दरअसल, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध इस कॉलेज में 31 जुलाई, 1980 को गोखले के साथ ही प्रेम कुमारी की नियुक्ति भी प्रवक्ता पद पर हुई थी. विज्ञापन एक पद इतिहास के प्रवक्ता के लिए निकला था. प्रेम कुमारी की नियुक्ति इतिहास के प्रवक्ता के पद पर हुई थी. उसी दिन कॉलेज की प्रबंधन समिति ने गोखले की नियुक्ति भी कर दी थी. प्रेम कुमारी का कहना था कि गोखले अर्थशास्त्र के प्रवक्ता थे, जिसका विज्ञापन ही नहीं निकला था.
रजिस्ट्रार ने कर दिया था अस्थायी
उनका यह भी कहना था कि विश्वविद्यालय से गोखले की नियुक्ति को कभी मंजूरी ही नहीं मिली, जबकि, गोखले ने प्रेम कुमारी की नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा था कि नियुक्ति के समय वह पोस्ट ग्र्रेजुएट भी नहीं थी. बाद में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने गोखले की नियुक्ति को रद कर उसे अस्थायी कर दिया था. उन्होंने इसे कोर्ट में चुनौती दी.
जांच के बाद कोर्ट ने सुनाया हक में फैसला
कोर्ट के आदेश पर जांच हुई, जिसके बाद कुलपति ने प्रेम कुमारी की नियुक्ति को 2013 में रद्द कर उनसे वेतन की वसूली का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने गोखले के साथ ही प्रेम कुमारी को भी राहत दी है. शीर्ष अदालत ने प्रेम कुमारी को दोबारा नियुक्त करने और उन्हें बकाया वेतन समेत सभी तरह के लाभ भी देने का आदेश दिया है.