विश्वविद्यालय सेवा आयोग गठन की तैयारी अंतिम चरण में है। इस माह के अंततक
आयोग का गठन हो जाएगा। शिक्षा विभाग ने आयोग के अध्यक्ष सहित सदस्यों के
वेतन आदि का संशोधित प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज दिया
है। माना जा रहा है कि एक सप्ताह में वित्त विभाग से सहमति के बाद आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। नए साल में विश्वविद्यालय सेवा आयोग काम करना शुरू कर देगा।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार अप्रैल, 2019 तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों के करीब 9 हजार पदों पर बहाली के लिए आवेदन मांगे जाएंगे। पिछले साल विधानमंडल में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग विधेयक 2017 पारित किया गया था। आयोग में एक अध्यक्ष और अधिकतम 6 सदस्य होंगे। अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्षों के लिए होगा। अध्यक्ष की सेवानिवृत्त की अधिकतम आयु 72 वर्ष और सदस्यों की 70 वर्ष रखी गई है।
प्राचार्य के पद पर न्यूनतम 5 वर्षों का अनुभव : राज्य सरकार में मुख्य सचिव के समकक्ष या भारत सरकार में सचिव के समकक्ष पद पर कार्यरत या सेवानिवृत्त व्यक्ति अध्यक्ष हो सकते हैं। या वैसे व्यक्ति, जिन्हें विवि के कुलपति के रूप में कार्य का अनुभव हो या फिर प्रख्यात शिक्षाविद् होना चाहिए। 6 सदस्यों में न्यूनतम आधे सदस्य विश्वविद्यालय के प्राचार्य होंगे, जिन्हें प्राचार्य के पद पर न्यूनतम 5 वर्षों का अनुभव हो। आधे सदस्य राज्य सरकार में न्यूनतम संयुक्त सचिव पद पर कार्यरत या सेवानिवृत्त अधिकारी या केंद्र सरकार के समकक्ष कार्यरत या सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे। आयोग का सचिव पूर्णकालिक पदाधिकारी होगा। राज्य सरकार में कम से कम संयुक्त सचिव के वेतनमान में कार्यरत पदाधिकारी हों।
10 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 13564 पद स्वीकृत, 6079 कार्यरत
पिछले आकलन में राज्य के 10 विश्वविद्यालय में वर्तमान में स्वीकृत पद 13564 हैं, जबकि कार्यरत 6079 हैं। रिक्त पद 7485 हैं। बिहार लोक सेवा आयोग से विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 3364 पदों पर नियुक्ति के लिए कहा गया था। बीपीएससी से सहायक प्रोफेसर की बहाली प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। इसमें करीब एक हजार पद भी रिक्त रह गए हैं। यानी अगले साल नए सिरे से बहाली के आकलन के अनुसार करीब 9 हजार सहायक प्रोफेसर के पदों पर बहाली की आवश्यकता होगी। पाटलिपुत्र, मुंगेर और पूर्णिया विश्वविद्यालय की भी स्थापना हुई है।
है। माना जा रहा है कि एक सप्ताह में वित्त विभाग से सहमति के बाद आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। नए साल में विश्वविद्यालय सेवा आयोग काम करना शुरू कर देगा।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार अप्रैल, 2019 तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों के करीब 9 हजार पदों पर बहाली के लिए आवेदन मांगे जाएंगे। पिछले साल विधानमंडल में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग विधेयक 2017 पारित किया गया था। आयोग में एक अध्यक्ष और अधिकतम 6 सदस्य होंगे। अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्षों के लिए होगा। अध्यक्ष की सेवानिवृत्त की अधिकतम आयु 72 वर्ष और सदस्यों की 70 वर्ष रखी गई है।
प्राचार्य के पद पर न्यूनतम 5 वर्षों का अनुभव : राज्य सरकार में मुख्य सचिव के समकक्ष या भारत सरकार में सचिव के समकक्ष पद पर कार्यरत या सेवानिवृत्त व्यक्ति अध्यक्ष हो सकते हैं। या वैसे व्यक्ति, जिन्हें विवि के कुलपति के रूप में कार्य का अनुभव हो या फिर प्रख्यात शिक्षाविद् होना चाहिए। 6 सदस्यों में न्यूनतम आधे सदस्य विश्वविद्यालय के प्राचार्य होंगे, जिन्हें प्राचार्य के पद पर न्यूनतम 5 वर्षों का अनुभव हो। आधे सदस्य राज्य सरकार में न्यूनतम संयुक्त सचिव पद पर कार्यरत या सेवानिवृत्त अधिकारी या केंद्र सरकार के समकक्ष कार्यरत या सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे। आयोग का सचिव पूर्णकालिक पदाधिकारी होगा। राज्य सरकार में कम से कम संयुक्त सचिव के वेतनमान में कार्यरत पदाधिकारी हों।
10 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 13564 पद स्वीकृत, 6079 कार्यरत
पिछले आकलन में राज्य के 10 विश्वविद्यालय में वर्तमान में स्वीकृत पद 13564 हैं, जबकि कार्यरत 6079 हैं। रिक्त पद 7485 हैं। बिहार लोक सेवा आयोग से विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 3364 पदों पर नियुक्ति के लिए कहा गया था। बीपीएससी से सहायक प्रोफेसर की बहाली प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। इसमें करीब एक हजार पद भी रिक्त रह गए हैं। यानी अगले साल नए सिरे से बहाली के आकलन के अनुसार करीब 9 हजार सहायक प्रोफेसर के पदों पर बहाली की आवश्यकता होगी। पाटलिपुत्र, मुंगेर और पूर्णिया विश्वविद्यालय की भी स्थापना हुई है।