जमुई। बिहार के नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन के मामले
में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद नियोजित
शिक्षकों में आस बंधी है कि समान काम के बदले समान वेतन मिल सकेगा।
बिहार
पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश सचिव सह याचिकाकर्ता जमुई
निवासी आनंद कौशल ¨सह ने बताया कि सुनवाई में बिहार सरकार की तरफ से जो
रिपोर्ट पेश पेश किया गया उस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि जो
शिक्षक छात्रों का भविष्य निर्धारित करते हैं। उनका वेतन चपरासी के वेतन से
कम क्यों है। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 27 मार्च को रखी है। 27 को ही
इस बात पर भी सुनवाई होगी कि शिक्षकों को एरियर कहां से और कैसे दिया
जाएगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों
मिलकर यह सुनिश्चित करे कि शिक्षकों की हालत में सुधार कैसे हो। सरकार
नियोजित शिक्षकों को बीस फीसद की दर से वेतन वृद्धि देने के पक्ष में है।
गुरुवार को राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय को इन तथ्यों के बारे में
जानकारी दी गई। 29 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने समान काम के बदले समान
सुविधा पर पहली सुनवाई की थी। गुरुवार दूसरी बार सुनवाई हुई। कोर्ट के आदेश
पर सरकार ने नियोजित शिक्षकों से मिले सुझावों को ध्यान में रखते हुए
रिपोर्ट तैयार कर मुहैया करा दी है। रिपोर्ट में साफ किया गया है कि सरकार
नियोजित शिक्षकों के हित के लिए प्रयासरत है लेकिन समान काम के बदले समान
सुविधा देने में उसे बड़ी रकम की व्यवस्था करनी होगी। इसी क्रम में एरियर का
जिक्र किया गया है। सुनवाई के दौरन संघ के पूरण कुमार (प्रदेश अध्यक्ष)
केशव कुमार (प्रदेश महासचिव), नवीन कुमार ¨सह (प्रदेश उपाध्यक्ष), राम
पुकार सिन्हा (प्रदेश उपाध्यक्ष), जयंत ¨सह (प्रदेश उपाध्यक्ष), आनंद कौशल
¨सह (प्रदेश सचिव), धर्मेन्द्र कुमार (प्रदेश सचिव), राकेश कुमार (प्रदेश
सचिव), धर्मेन्द्र कुमार (प्रदेश कोषाध्यक्ष) आदि थे।