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बिहार में शिक्षक नियुक्ति पर बड़ा एक्शन: 69 हजार से अधिक शिक्षकों के प्रमाणपत्र अब तक लापता, शिक्षा विभाग सख्त

 पटना / सीतामढ़ी।

बिहार में शिक्षक बहाली से जुड़ा एक बड़ा और गंभीर मामला सामने आया है। राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त शिक्षकों के शैक्षणिक और अन्य आवश्यक प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है कि 69,000 से अधिक शिक्षकों के दस्तावेजी फोल्डर अब तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने अब सख्त रुख अपना लिया है।


🔍 क्या है पूरा मामला?

राज्य में 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की वैधता की जांच की जा रही है। इस जांच के तहत जिलों से नियुक्ति से संबंधित फोल्डर मांगे गए थे, जिनमें शामिल हैं:

  • शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र

  • प्रशिक्षण प्रमाणपत्र (बीएड / डीएलएड / बीटीसी)

  • जाति प्रमाणपत्र

  • नियुक्ति आदेश

  • अन्य आवश्यक अभिलेख

लेकिन विभागीय रिपोर्ट के अनुसार, कुल मांगे गए फोल्डरों में से 90% से अधिक अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं।


⚠️ शिक्षा विभाग क्यों हुआ सख्त?

इतनी बड़ी संख्या में दस्तावेजों का न मिलना नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी या फर्जीवाड़े की आशंका को बढ़ाता है।
इसी कारण शिक्षा विभाग ने:

✔️ जिला शिक्षा अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं
✔️ लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई के संकेत दिए हैं
✔️ जांच एजेंसियों को तेजी से जांच पूरी करने को कहा है


👩‍🏫 शिक्षकों पर क्या पड़ेगा असर?

अगर जांच में यह साबित होता है कि:

  • दस्तावेज फर्जी हैं

  • प्रमाणपत्र अमान्य हैं

  • रिकॉर्ड जानबूझकर छुपाया गया है

तो संबंधित शिक्षकों पर:

  • नियुक्ति रद्द

  • वेतन वसूली

  • विभागीय कार्रवाई

  • आपराधिक मामला

जैसी सख्त कार्रवाई हो सकती है।


📊 प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल

इस पूरे मामले ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:

  • इतने वर्षों तक फाइलों का सुरक्षित न रहना

  • जिला स्तर पर रिकॉर्ड मैनेजमेंट की कमजोरी

  • नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर संदेह

विशेषज्ञों का मानना है कि यह जांच भविष्य में शिक्षक बहाली प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बना सकती है।


📌 आगे क्या?

➡️ शिक्षा विभाग जल्द ही सभी जिलों से रिपोर्ट तलब करेगा
➡️ जिन जिलों से फोल्डर नहीं मिले, वहां विशेष जांच टीम भेजी जा सकती है
➡️ दोषी पाए जाने वालों पर बिना किसी दबाव के कार्रवाई की जाएगी


🔑 निष्कर्ष

बिहार में शिक्षक प्रमाणपत्रों का यह मामला सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राज्य की शिक्षा गुणवत्ता और छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ मुद्दा है। आने वाले दिनों में इस जांच के नतीजे शिक्षक बहाली व्यवस्था में बड़े बदलाव ला सकते हैं।

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