मैट्रिक टॉपर्स को बधाई के साथ सरकार से सवाल:विपक्ष ने पूछा- शिक्षक और इंफ्रास्ट्रक्चर की इतनी कमी के बावजूद क्यों इतनी खुश है सरकार?

 बिहार बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट देश के सभी राज्यों से पहले जारी किया है। इधर विपक्ष ने सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने अपने ऑफिशियल फेसबुक

पेज पर टॉपर रामायणी राय का फोटो पोस्ट करते हुए लिखा है- 'सफलता पर इतराना नहीं है, असफलता से घबराना नहीं है, जीवन बहुत लंबी होती है, इस एक पड़ाव पर ठहर जाना नहीं है! बिहार बोर्ड की दसवीं के नतीजों में जो बच्चे असफल हुए, वे घबराएं नहीं! मनोबल ऊंचा रखें! सब हासिल होगा! एक परीक्षा किसी का जीवन निर्धारित नहीं करता! सफल अभ्यर्थियों को बहुत-बहुत बधाई ! 487 नंबर प्राप्त कर के बिहार बोर्ड दसवीं की टॉपर बनी गोह, औरंगाबाद के पटेल हाई स्कूल की रामायणी रॉय, सुपुत्री भोला यादव को समस्त राष्ट्रीय जनता दल परिवार की ओर से इस सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई और आगे के लिए शुभकामनाएं।'

शिक्षकों की घोर कमी और जल्द रिजल्ट को बड़ा सुधार बता रही सरकार- राजद
बिहार बोर्ड द्वारा रिकॉर्ड समय में रिजल्ट दिए जाने पर राजद के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि यह बिहारी मिट्टी का संस्कार है कि स्कूल में टीचर की कमी, आधारभूत संचरना की कमी, किताबों की कमी के बावजूद बिहार के बच्चों ने ऐसा रिजल्ट किया है। आधे से ज्यादा शिक्षक का पद विद्यालयों में रिक्त है। ज्यादातर बच्चे कोचिंग करते हैं। बिहार में हर चौक-चारौहे पर कोचिंग सेंटर दिख जाते हैं। स्कूल का सिस्टम ध्वस्त कर सरकार ताली बजा रही है। उन्होंने बताया कि फोरथ टॉपर पटना की निर्जला ने जिस महादेवा हाईस्कूल से पढ़ाई की, वहां विज्ञान में एक शिक्षक है, हिंदी में शिक्षक नहीं है, गणित और अंग्रेजी में एक शिक्षक हैं। कहा कि जमुई के अलीगंज प्रखंड में पड़ने वाले प्लस टू उच्च विद्यालय मिर्जागंज के सुसेन कुमार ने 483 अंक हासिल किया और टॉप फाइव में जगह बनाई। उसके स्कूल में 9 वीं से 12 वीं तक की पढ़ाई होती है और इसमें शिक्षक हैं तीन।

सरकार के दिखावे को जनता खूब समझ रही है- कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद मिश्रा ने बिहार बोर्ड में पास करने वाले सभी स्टूडेंट को बधाई दी है, साथ ही कहा है कि कुछ स्टूडेंट के टॉपर होने से शिक्षा की बेहतर स्थिति नहीं दिखती, शिक्षा की बेहतर स्थिति तभी दिखेगी जब स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक होंगे और स्कूल के पास संसाधन पर्याप्त होंगे। सरकार जल्दी रिजल्ट देकर जैसे जश्न मना रही है और स्कूलों के शिक्षकों की सैलरी में भेदभाव कर रही है। सरकार के दिखावे को जनता खूब समझती है।

5520 उत्क्रमित विद्यालयों में शिक्षक नहीं- माले
माले विधायक संदीप सौरभ कहते हैं कि बिहार में 5520 उत्क्रमित विद्यालय हैं। इसमें शिक्षक नहीं हैं, जो शिक्षक पहले से हैं उन्हीं से काम चलाया जा रहा है। सवाल यह है कि इन विद्यालयों से कैसे छात्र-छात्राओं को डिग्री मिल रही है? संदीप ने आरोप लगाया कि सरकार के पोर्टल में गलत जानकारी भी दी जा रही है। फेक डाटा अपलोड किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि 100 फीसदी स्कूलों में क्लास रुम हैं, सभी में गर्ल्स टॉयलेट हैं, जबकि सच यह नहीं है।